डिजिटल क्रांति और 'चक्रव्यूह' वाली कनेक्टिविटी, यूपी का जेवर एयरपोर्ट बनेगा भारत की वैश्विक उड़ान का केंद्र!
जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट डिजिटल बुनियादी ढांचे और मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी से युक्त होगा, जिसमें रेल, रैपिड रेल और बस शामिल हैं. एयरपोर्ट में स्मार्ट तकनीक, पेपरलेस सुविधाएं और एक विशाल कार्गो हब होगा.

Jewar Airport: भारत को सीधे वैश्विक मंच से जोड़ने वाला नोएडा का जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट अब अपने उद्घाटन की अंतिम चरण में है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के 'विकसित उत्तर प्रदेश' विजन के अनुरूप यह एयरपोर्ट सिर्फ एक हवाई अड्डा नहीं, बल्कि डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर और मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी का एक अत्याधुनिक केंद्र बनने जा रहा है. इसका निर्माण कार्य लगभग 90 फीसदी पूरा हो चुका है और संभावना है कि दिसंबर में इसका औपचारिक उद्घाटन हो सकता है.
एकीकृत मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी की तैयारी
जेवर एयरपोर्ट को सड़क, रेल, रैपिड रेल और बस चारों माध्यमों से एकीकृत कनेक्टिविटी देने वाला देश के चुनिंदा एयरपोर्ट्स में शामिल किया जाएगा.
सड़क कनेक्टिविटी: एयरपोर्ट सीधे यमुना एक्सप्रेसवे से जुड़ा है. वहीं, ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे (ईपीई) से जोड़ने का काम तेजी से चल रहा है, जिससे गाजियाबाद, मेरठ, पलवल और सोनीपत जैसे क्षेत्रों से सीधी पहुंच मिलेगी. दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे (बल्लभगढ़ लिंक) से हरियाणा और पश्चिमी भारत की सुगमता बढ़ी है.
रेल और रैपिड रेल: दिल्ली से जेवर एयरपोर्ट तक रीजनल रैपिड रेल परियोजना (आरआरटीएस) का डीपीआर राज्य सरकार द्वारा स्वीकृत है. वहीं, रेल मंत्रालय एयरपोर्ट को चोला-रुंधी रेल लाइन से जोड़ने की योजना बना रहा है, जबकि दिल्ली-वाराणसी हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर में भी जेवर स्टेशन का प्रावधान किया गया है.
बस और कैब सेवा: यूपीएसआरटीसी के साथ-साथ उत्तराखंड, हरियाणा, दिल्ली और राजस्थान के साथ अंतरराज्यीय बस सेवा की सहमति बन चुकी है. नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण मिलकर 500 इलेक्ट्रिक बसें चलाएंगे. यात्रियों के लिए एनआईए ब्रांडेड कैब (महिंद्रा लॉजिस्टिक्स), ओला, उबर, रैपिडो जैसी ऐप-आधारित टैक्सियां और कार रेंटल सेवाएं भी उपलब्ध होंगी.
डिजिटल और फ्यूचर-रेडी इंफ्रास्ट्रक्चर
जेवर एयरपोर्ट को एक पारंपरिक हवाई अड्डे की तरह नहीं, बल्कि एक स्मार्ट, फ्यूचर-रेडी डिजिटल नेटवर्क के रूप में डिजाइन किया गया है.
निर्बाध कनेक्टिविटी: यह ड्यूल फाइबर ऑप्टिक नेटवर्क से लैस होगा, जिसमें दो स्वतंत्र नेटवर्क और दो अलग-अलग स्थानों पर स्वतंत्र डेटा सेंटर होंगे, जो डेटा प्रवाह को निर्बाध और सुरक्षित रखेंगे.
नियंत्रण केंद्र: मुख्यमंत्री योगी के विजन के तहत एयरपोर्ट में तीन प्रमुख डिजिटल कंट्रोल हब तैयार किए गए हैं...
- एयरपोर्ट ऑपरेशंस सेंटर (एओसी): पूरे एयरपोर्ट का रियल-टाइम कंट्रोल.
- सिक्योरिटी ऑपरेशंस कंट्रोल सेंटर (एसओसीसी): निरंतर सुरक्षा निगरानी.
- एयरपोर्ट इमरजेंसी ऑपरेशंस सेंटर (एईओसी): आपात स्थिति में त्वरित कार्रवाई.

स्मार्ट टेक्नोलॉजी: संपूर्ण एयरपोर्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर एकीकृत नेटवर्क से जुड़ा होगा, जिसमें व्यापक वीडियो सर्विलांस सिस्टम और आगमन-प्रस्थान मार्गों पर लाइसेंस प्लेट रिकग्निशन और ड्राइवर इमेजिंग कैमरे जैसी स्मार्ट ट्रैकिंग की व्यवस्था होगी.
पेपरलेस सुविधा: इसे पूरी तरह पेपरलेस और हाई-टेक बनाया जा रहा है. टिकट से लेकर चेक-इन तक की सभी सुविधाएं मोबाइल ऐप से मिलेंगी.
निर्माण प्रगति और भव्य सुविधाएं
रिपोर्ट्स के अनुसार, एयरपोर्ट पर कार्गो टर्मिनल, रनवे और एटीसी टावर का काम खत्म हो चुका है. पहले चरण में एयरपोर्ट की वार्षिक यात्री क्षमता 12 मिलियन होगी. भविष्य में छठे रनवे की योजना के साथ, यह एशिया का सबसे बड़ा और दुनिया का छठा सबसे बड़ा एयरपोर्ट होगा. टर्मिनल में 240 कमरों का होटल, वर्ल्ड क्लास लाउंज, स्पा, कॉकटेल बार और इंटरैक्टिव फूड स्टेशंस की व्यवस्था है. इतना ही नहीं एयरपोर्ट पर 80 एकड़ में मल्टी-मॉडल कार्गो हब बनाया जा रहा है, जिसकी शुरुआती क्षमता दो लाख टन कार्गो की होगी, जिसे बाद में 20 लाख टन तक बढ़ाया जाएगा. यह उत्तर प्रदेश और एनसीआर के लिए बड़ा आर्थिक लाभ लाएगा.
निवेश और रोजगार का केंद्र
जेवर एयरपोर्ट उत्तर प्रदेश की आर्थिक प्रगति और रोजगार सृजन का केंद्र बनने जा रहा है.
कौशल विकास: एयरपोर्ट और नोएडा फिल्मसिटी जैसे मेगा प्रोजेक्ट्स में रोजगार देने के लिए यूपीएसडीएम के तहत युवाओं को इलेक्ट्रॉनिक्स, मीडिया, मनोरंजन और नागरिक उड्डयन जैसे क्षेत्रों में विशेष कौशल प्रशिक्षण दिया जा रहा है.
निवेश केंद्र: यीडा क्षेत्र में मेडिकल डिवाइस पार्क, टॉय सिटी, हैंडीक्राफ्ट पार्क और डेटा सेंटर पार्क जैसे क्लस्टर आधारित उद्योग स्थापित किए गए हैं. इन परियोजनाओं ने बड़े पैमाने पर निवेश आकर्षित किया है, जिससे लाखों युवाओं को रोजगार मिलने की संभावना है.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि उद्घाटन से पहले सभी कार्य निर्धारित समय सीमा में पूरे कर लिए जाएं, ताकि यह परियोजना उत्तर प्रदेश के विकास और परिवर्तन का प्रतीक बन सके.
Source: IOCL





















