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Prayagraj: प्रयागराज प्राधिकरण की बिल्डिंग में अवैध अतिक्रमण, अब हाई कोर्ट ने दिया ये निर्देश

प्रयागराज विकास प्राधिकरण की अपनी खुद की बिल्डिंग और उसके दफ्तर का नक्शा नहीं है. इसके अलावा सिविल लाइंस की इंदिरा भवन बिल्डिंग में बड़े पैमाने पर अतिक्रमण है.

UP News: योगी आदित्यनाथ के शासन में उत्तर प्रदेश में अवैध निर्माणों (Illegal Construction) के खिलाफ सबसे ज्यादा कार्रवाई संगम नगरी प्रयागराज (Prayagraj) में हुई है. प्रयागराज में विकास प्राधिकरण (Development Authority) के बुलडोजरों ने सैकड़ों बड़ी-बड़ी इमारतें और आलीशान आशियाने सिर्फ इसलिए जमींदोज कर दिए, क्योंकि या तो उनके नक्शे पास नहीं थे या फिर अतिक्रमण किया गया था. विकास प्राधिकरण में यहां 10 जून को हुई हिंसा के मास्टरमाइंड जावेद मोहम्मद उर्फ जावेद पंप (Javed Pump) के साथ ही पूर्व बाहुबली सांसद अतीक अहमद (Atiq Ahmed) और पूर्व बाहुबली विधायक विजय मिश्रा (Vijay Mishra) की बिल्डिंगों को भी कुछेक घंटों में ही बुलडोजरों से ध्वस्त कर दिया था.

विकास प्राधिकरण की बिल्डिंग का पास नहीं है नक्शा
प्रयागराज में हुई बुलडोजर कार्रवाई जहां यूपी विधानसभा चुनाव में बड़ा सियासी मुद्दा बनी थी, वही इस पर सड़क से लेकर संसद तक कोहराम मच चुका है. मामला सुप्रीम कोर्ट में भी पेंडिंग है, लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि जिस विकास प्राधिकरण ने नक्शा ना होने पर एक दो नहीं बल्कि सैकड़ों इमारतों को जमींदोज किया है, उसी विकास प्राधिकरण की अपनी खुद की बिल्डिंग और उसके दफ्तर का नक्शा नहीं है. विकास प्राधिकरण की बिल्डिंग का ही नक्शा नहीं होने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक बार फिर से सरकारी अमले को फटकार लगाई है. हाईकोर्ट ने यहां के कमिश्नर को 6 सितंबर को फिर से व्यक्तिगत तौर पर कोर्ट में तलब कर लिया है. यह अल्टीमेटम दिया है कि कि अगर इस आखिरी मोहलत पर भी नक्शा पेश नहीं किया गया तो कोर्ट सख्त कार्रवाई करेगी.

दरअसल प्रयागराज विकास प्राधिकरण का दफ्तर शहर के सबसे पॉश इलाके सिविल लाइंस की इंदिरा भवन में स्थित है. इंदिरा भवन का निर्माण खुद प्रयागराज विकास प्राधिकरण ने ही 1986 में कराया था. 10 मंजिला इस इमारत को प्रयागराज में पहली मल्टी स्टोरी बिल्डिंग कहा जाता है. इस बिल्डिंग के सातवें और आठवें फ्लोर पर प्रयागराज विकास प्राधिकरण का खुद का दफ्तर है. बिल्डिंग में कई दूसरे सरकारी विभागों व सार्वजनिक उपक्रमों का दफ्तर होने के साथ ही दर्जनों दुकानें भी हैं.

25 साल में दरकने लगी इमारत

सिर्फ 25 सालों में ही यह इमारत अब कई जगह से दरकने लगी है. बिल्डिंग में बड़े पैमाने पर अतिक्रमण भी है. कोर्ट ने कहा है कि 10 दिन में इंदिरा भवन का अवैध कब्जा हटाए. दरअसल, तमाम लोगों ने अवैध तरीके से दुकानें लगा रखी हैं. बिल्डिंग में पार्किंग की भी कोई उचित व्यवस्था नहीं है. रास्ते पर सैकड़ों की संख्या में वाहन बेतरतीब तरीके से खड़े रहते हैं. थोड़ी सी बारिश में ही गेट के पास के रास्तों पर जलभराव हो जाता है. बिल्डिंग का कई हिस्सा मरम्मत नहीं होने की वजह से उखड़ा हुआ नजर आता है. दावा यह भी किया जाता है कि विकास प्राधिकरण की अपनी इस बिल्डिंग का भी नक्शा पास नहीं है. नक्शा पास कराने के लिए विकास प्राधिकरण ने 25 साल पहले बिल्डिंग बनने पर किसी प्रक्रिया की शुरुआत ही नहीं की थी. अतिक्रमण बढ़ने और तमाम दूसरे तरह की अराजकता पैदा होने पर इंदिरा भवन के कई दुकानदारों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की.

कंप्यूटर से बना फर्जी नक्शा देने के आरोप

मुख्य रूप से याचिका दाखिल करने वाले दुकानदार मोहम्मद इरशाद उर्फ गुड्डू का कहना है कि साल 2019 में याचिका दाखिल करने से पहले दर्जनों बार विकास प्राधिकरण के अफसरों से शिकायत की गई. नक्शे के बारे में सूचना का अधिकार के तहत जानकारी भी मांगी गई, लेकिन ना तो कभी कोई कार्रवाई की गई और ना ही आरटीआई के तहत नक्शा स्वीकृत होने की जानकारी दी गई. विकास प्राधिकरण के अफसरों ने गुमराह करते हुए कंप्यूटर से बना नक्शा पेश किया. उसके साथ यह जानकारी नहीं दी गई कि नक्शे के लिए कब आवेदन किया गया. कब स्वीकृत हुआ और किसने नक्शे को मंजूरी दी थी.

फिलहाल हाईकोर्ट इस मामले में कई बार विकास प्राधिकरण से नक्शा पेश करने को कह चुका है. पिछले तीन सालों में हुई तमाम सुनवाइयों के दौरान विकास प्राधिकरण कभी नक्शा पेश नहीं कर सका है. हाईकोर्ट ने आज होने वाली सुनवाई में विकास प्राधिकरण के चेयरमैन और प्रयागराज मंडल के कमिश्नर को व्यक्तिगत तौर पर तलब किया था. नए अधिकारी विश्वास पंत ने सिर्फ 36 घंटे पहले ही यहां कमिश्नर का चार्ज लिया था. आज वह कोर्ट में पेश हुए और उन्होंने कोर्ट को सिर्फ 36 घंटे पहले ही चार्ज लिए जाने की जानकारी देते हुए कुछ दिनों की मोहलत दिए जाने की मांग की. इस पर कोर्ट ने कहा कि नक्शा आपको सिर्फ पेश करना था.  फाइल तैयार करने का काम नीचे के अधिकारियों और कर्मचारियों का था. हाईकोर्ट ने सरकारी अमले को आखिरी मोहलत देते हुए अगली सुनवाई के लिए 6 सितंबर की तारीख तय की है.

6 सितंबर को पेश नहीं हुआ नक्शा तो होगी कड़ी कार्रवाई
कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा है कि अगर 6 सितंबर को हुई सुनवाई में भी नक्शा पेश नहीं किया गया तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी. जिस इंदिरा भवन में विकास प्राधिकरण का दफ्तर है और जिस बिल्डिंग को उसने खुद बनवाया है वहां के मेन गेट पर आज एक घंटे की हुई बारिश में ही पानी भर गया. पानी इतना ज्यादा था कि लोग अंदर तक दाखिल ही नहीं हो सकते थे. याचिकाकर्ता इरशाद अहमद उर्फ गुड्डू का कहना है कि अगर विकास प्राधिकरण के अपने दफ्तर वाली बिल्डिंग का ही नक्शा नहीं है और वहां बड़े पैमाने पर अतिक्रमण हो रहा है तो इस बिल्डिंग को तुरंत सील कर देना चाहिए और नक्शे की मंजूरी मिलने के बाद ही इसे मरम्मत के बाद ही खोलना चाहिए.

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 तमाम दुकानदारों और बिल्डिंग में आने वाले लोगों को भी शिकायतें हैं. इस बारे में विकास प्राधिकरण के अधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है. कैमरे से अलग अफसरों की दलील है कि यह बेहद पुराना मामला है और उन्हें इस बारे में बहुत जानकारी नहीं है, लेकिन कोई भी अधिकारी कैमरे के सामने कुछ भी बोलने को कतई तैयार नहीं है. हालांकि तमाम लोग यही सवाल उठा रहे हैं कि नक्शा नहीं होने, लेआउट पास नहीं होने और अतिक्रमण होने पर जो विकास प्राधिकरण दूसरे लोगों की बिल्डिंगों को जमींदोज कर देता है, उन पर बुलडोजर चलाने में कतई नहीं हिचकता तो नियम के खिलाफ काम करने पर उस पर भी सख्त कार्रवाई होनी ही चाहिए. 

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