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नहीं माने राहुल, फिर सोनिया गांधी के हाथ कांग्रेस की कमान; बनीं अंतरिम अध्यक्ष

आखिरकार राहुल गांधी ने अपना इस्तीफा वापस नहीं लिया, जिसके बाद CWC की बैठक में बड़ा कदम उठाते हुए सोनिया गांधी को पार्टी का अंतरिम अध्यक्ष चुना गया और राहुल का इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया।

नई दिल्ली, एजेंसी। आखिरकार राहुल गांधी किसी के भी मनाने से नहीं माने। वे इस्तीफा वापस नहीं लेने के अपने रुख पर कायम रहे। जिसके बाद शनिवार को कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) ने बड़ा कदम उठाते हुए पार्टी की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी को अंतरिम अध्यक्ष नियुक्त किया। जिसके बाद सीडब्ल्यूसी ने आज राहुल का इस्तीफा भी स्वीकार कर लिया है।

पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल और मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने संवाददाताओं से कहा कि राहुल गांधी द्वारा पार्टी नेताओं का आग्रह ‘विनम्रता से अस्वीकार किए जाने’ के बाद सीडब्ल्यूसी ने सोनिया को अंतरिम अध्यक्ष नियुक्त किया। वह नए अध्यक्ष के चुनाव तक यह जिम्मेदारी निभाएंगी।

सीडब्ल्यूसी की दो बार हुई बैठक में तीन प्रस्ताव भी पारित किए गए। एक प्रस्ताव में बतौर अध्यक्ष राहुल गांधी के योगदान की सराहना की गई है, दूसरे में सोनिया को अंतरिम अध्यक्ष नियुक्त किए जाने और तीसरे प्रस्ताव में जम्मू-कश्मीर की स्थिति का उल्लेख है।

सोनिया की नियुक्ति वाले प्रस्ताव में कहा गया है, ‘सीडब्ल्यूसी ने पीसीसी अध्यक्षों, विधायक दल के नेताओं, एआईसीसी सचिवों और पार्टी सांसदों की राय पर विचार किया। सीडब्ल्यूसी ने सर्वसम्मति से यह दोहराया कि राहुल गांधी को अध्यक्ष पद पर बने रहना चाहिए।’ इसमें कहा गया है, ‘सीडब्ल्यूसी ने राहुल गांधी से आग्रह किया कि वह पद पर बने रहें, लेकिन उन्होंने विनम्रता के साथ मना कर दिया। इसके बाद सीडब्ल्यूसी ने सर्वसम्मति से सोनिया गांधी से आग्रह किया कि वह नए अध्यक्ष का चुनाव होने तक पद पर बने रहें।’

बतौर अध्यक्ष राहुल गांधी के योगदान की सराहना करते हुए एक प्रस्ताव में कहा गया है, ‘सीडब्ल्यूसी राहुल गांधी के अभूतपूर्व नेतृत्व की सराहना करती है और उनका धन्यवाद करती है। राहुल गांधी ने कांग्रेस का नेतृत्व कड़ी मेहनत और न थकने वाली निरंतर लड़ाई के साथ किया।’ इसमें आगे कहा गया है, ‘वह हर पल देश के किसानों, युवाओं, महिलाओं, अनुसूचित जातियों, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों की आवाज बनकर घर-घर गए। उन्होंने हिंसा और असहिष्णुता के वातावरण के खिलाफ आवाज उठाई। राहुल गांधी ने कांग्रेस को नयी उर्जा दी है। उन्होंने असामानता और नफरत के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ी।’ सीडब्ल्यूसी ने कहा, ‘राहुल गांधी ने पार्टी के भीतर आक्रमकता और आधुनिकता की नयी भावना भरी और नौजवानों के लिए अवसर के कई दरवाजे खोले। हर कांग्रेसी आशान्वित है कि उसे राहुल गांधी का सहयोग और मार्गदर्शन मिलता रहेगा।’

कांग्रेस ने ऐसे समय में सोनिया को अंतरिम अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी है, जब पार्टी अपने सबसे मुश्किल दौरे में है। सोनिया गांधी इससे पहले 14 मार्च, 1998 से 16 दिसंबर, 2017 तक कांग्रेस अध्यक्ष रह चुकी हैं और उनके अध्यक्ष रहते 2004 से 2014 तक पार्टी केंद्र में सत्तासीन रही।

सोनिया गांधी को अंतरिम अध्यक्ष बनाने का कदम युवा और अनुभवी नेताओं के बीच सामंजस्य बनाते हुए पार्टी को आगे ले जाने की रणनीति के तहत उठाया गया है। माना जा रहा है कि राहुल गांधी के नेतृत्व में काम करने वाले युवा नेताओं को सोनिया के तहत काम करने में कोई दिक्कत नहीं होगी और अनुभवी नेताओं का तो सोनिया के नेतृत्व में काम करने का लंबा अनुभव है।

सीडब्ल्यूसी की बैठक में मौजूद एक नेता ने बताया, ‘बहुत सोच-विचार कर यह निर्णय लिया गया है। पार्टी के इस निर्णय के पीछे सबसे बड़ी वजह यह है कि कांग्रेस में फिलहाल सोनिया एकमात्र ऐसी नेता हैं जो न सिर्फ पार्टी नेताओं, बल्कि दूसरे विपक्षी दलों को भी एक छतरी के नीचे ला सकती हैं।’

कांग्रेस के नए अध्यक्ष पर फैसले को लेकर शनिवार को सीडब्ल्यूसी की दो बैठकें हुईं। सुबह की बैठक के बाद सीडब्ल्यूसी के नेताओं ने पांच अलग-अलग समूहों- पूर्वोत्तर क्षेत्र, पूर्वी क्षेत्र, उत्तर क्षेत्र, पश्चिमी क्षेत्र और दक्षिण क्षेत्र- में बांटकर प्रदेश अध्यक्षों, राष्ट्रीय सचिवों तथा कई अन्य पदाधिकारियों के साथ परामर्श बैठकें कीं तथा उनकी राय ली। इन परामर्श बैठकों में यह आम राय बनी कि राहुल गांधी को पार्टी का नेतृत्व करते रहना चाहिए, हालांकि राहुल गांधी ने सीडब्ल्यूसी की सुबह की बैठक में पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि वह अपने इस्तीफे पर पुनर्विचार नहीं करेंगे।

परामर्श बैठकों के बाद रात के समय जब सीडब्ल्यूसी की दूसरी बैठक हुई तब पार्टी के नेताओं ने अपनी भावनाओं का उल्लेख करते हुए राहुल गांधी से इस्तीफे के फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया गया, लेकिन उन्होंने फिर से मना कर दिया। इसके बाद सोनिया गांधी को अंतरिम अध्यक्ष नियुक्त करने का फैसला हुआ।

सीडब्ल्यूसी की बैठक में सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, राहुल गांधी, महासचिव प्रियंका गांधी, वरिष्ठ नेता अहमद पटेल, एके एंटनी, गुलाम नबी आजाद, मल्लिकार्जुन खड़गे , राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और कई अन्य नेता शामिल हुए। पार्टी के नये अध्यक्ष के लिए मुकुल वासनिक, मल्लिकार्जुन खड़गे, अशोक गहलोत, सुशील कुमार शिंदे, ज्योतिरादित्य सिंधिया और सचिन पायलट सहित कई वरिष्ठ एवं युवा नेताओं के नामों की चर्चा चल रही थी। वैसे, अध्यक्ष पद के लिए पार्टी के कई नेता प्रियंका के नाम की पैरवी कर रहे थे।

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद 25 मई को हुई सीडब्ल्यूसी की बैठक में राहुल गांधी ने पार्टी अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया था। उस वक्त उनके इस्तीफे को अस्वीकार करते हुए सीडब्ल्यूसी ने उन्हें पार्टी में आमूलचूल बदलाव के लिए अधिकृत किया था, हालांकि गांधी अपने रुख पर अड़े रहे और स्पष्ट कर दिया कि वह अपने रुख से पीछे नहीं हटेंगे।

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