अयोध्या : राम मंदिर निर्माण में तांबे का किया जाएगा उपयोग, सरकार से लिया जाएगा शुद्ध तांबा
अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण में तांबे का उपयोग सबसे अधिक किया जाएगा. जिसके लिए सरकार से शुद्ध तांबा खरीदा जाना है.

अयोध्या: भव्य राम मंदिर निर्माण में तांबे का सबसे अधिक महत्त्व होगा. राम मंदिर निर्माण के दौरान जब तराशे गए खंभों को खड़ा किया जाएगा उस दौरान एक पत्थर को दूसरे पत्थर के हुक से ज्वाइंट करने के लिए तांबे की पत्ती का उपयोग किया जाएगा. यह तांबे की पत्ती लोगों से नहीं ली जाएगी बल्कि सरकार से शुद्ध तांबा खरीदा जाएगा. साथ ही उसे पत्तियों की शक्ल में ढलाया जाएगा.
तांबे की यह पत्तियां 3 एमएम मोटी 30 एमएम चौड़ी और 18 इंच लंबी होंगी. ऐसी लगभग 10 हजार पत्तियों की आवश्यकता होगी. राम मंदिर में स्टील और लोहे का प्रयोग बिल्कुल नहीं किया जाएगा. उसकी जगह तांबे का किया जाएगा इसके पीछे की वजह यह है कि तांबे की उम्र लोहे और स्टील के मुकाबले काफी अधिक होती है. इसीलिए राम मंदिर के लिए तराशे गए पत्थरों को एक दूसरे से जोड़ने के लिए तांबे की पत्तियों का सहारा लिया जाएगा.
केंद्रीय मंत्री विश्व हिंदू परिषद राजेंद्र सिंह पंकज का कहना है कि यह तो निश्चित है की जो पत्थर के ज्वाइंट रहेंगे उसमें एक पीस को दूसरे पीस से जोड़ने के लिए तांबे की पत्ती का इस्तेमाल किया जाएगा. यह तांबे की पत्तियां 3 एमएम मोटी 30 एमएम चौड़ी और 18 इंच लंबी होगी. ऐसी पत्तियों की लगभग 10 हजार की संख्या में आवश्यकता रहेगी. तो उसके बारे में और जो डिटेल है यानि वह तांबा किस क्वालिटी का होगा उसका वजन कितना रहेगा उसकी कीमत क्या आएगी यह डिटेल आना अभी बाकी है. पर एक बात तो तय है कि लोहे और स्टील का उपयोग नहीं होगा.
उन्होंने कहा कि, तांबे की आयु भी अच्छी होती है और तांबा जो है दीर्घकाल तक रहता है. आपने देखा होगा कहीं किसी इतिहास को और चीज को कहीं संरक्षित करने के लिए ताम पत्र गाड़े जाते हैं. तांबे में लोअर क्लास की धातु नहीं मिलाई जाती है. उसमें सोना मिलेगा चांदी मिलेगी इसलिए हमारे यहां तांबा अच्छा माना गया है. प्राचीन स्थापत्य दीर्घकालीन जो बिल्डिंगों मे उपयोग हुए हैं उसमें तांबे को ही प्राथमिकता दी गई है. वहीं तांबा यहां भी लगेगा.
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