मायावती के एक्टिव होते ही अखिलेश यादव के PDA पर खतरा? बसपा की पुरानी रणनीति बढ़ाएगी टेंशन
UP News: लखनऊ में हुई बसपा की बैठक में ऐलान हुआ है कि 9 अक्टूबर 2025 को कांशीराम की पुण्यतिथि पर एक बड़ी रैली होगी, जिसमें पुराने नेताओं की वापसी और नई रणनीति की घोषणा हो सकती है

बहुजन समाजवादी पार्टी (बीएसपी) की सुप्रीमो और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले पूरी तरह एक्टिव हो गई हैं. हाल ही में रविवार (7 सितंबर) को राजधानी लखनऊ में हुई बसपा की बैठक में मायावती ने संगठन के पुनर्गठन और आगामी कार्यक्रमों की रणनीति पर विस्तार से चर्चा की. इसके साथ ही बसपा के प्रदेश भर से आए वरिष्ठ पदाधिकारियों ने बूथ से लेकर जिला स्तर तक की कमेटियों की प्रगति रिपोर्ट मायावती के सामने रखी.
बसपा सुप्रीमो की इस बैठक के बाद से कयास लगाए जा रहे हैं कि मायावती अपने पुरानी रणनीति पर उतर आई हैं और उनके इस पुराने अंदाज से समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो अखिलेश यादव के पीडीए पर भी खतरा दिखाई दे रहा है. क्योंकि अखिलेश के पीडीए में जो दलित और अल्पसंख्यक हैं वह मायावती के भी कोर वोटर रहे हैं. हालांकि पिछले चुनावों में मायावती का वोट बैंक काफी गिरा है.
लखनऊ में हुई बसपा की बैठक में ऐलान हुआ है कि 9 अक्टूबर 2025 को कांशीराम की पुण्यतिथि पर एक बड़ी रैली होगी, जिसमें पुराने नेताओं की वापसी और नई रणनीति की घोषणा हो सकती है. बसपा प्रमुख के आदेश के बाद सभी कार्यकर्ता मिशन 2027 के तहत गांव-गांव जाकर दलित समुदायों, खासकर जाटव वोट बैंक को मजबूत करने में लगे हुए हैं.
अखिलेश यादव ने किया था MY फॉर्मूले का विस्तार
साल 2024 के लोकसभा चुनाव में बसपा के कमजोर प्रदर्शन के बाद पार्टी को उबरने के लिए जमीनी स्तर पर उतरना होगा. क्योंकि अखिलेश यादव के नेतृत्व में सपा की पीडीए रणनीति ने 2024 के लोकसभा चुनाव में यूपी में 37 सीटें जीतीं, जिसकी मुख्य वजह MY (मुस्लिम-यादव) फॉर्मूले को विस्तार देकर दलित वोटों को अपनी तरफ आकर्षित करना था. हालांकि अब मायावती के एक्टिव होने से अखिलेश यादव के पीडीए पर असर पड़ सकता है. क्योंकि सपा के PDA का एक बड़ा हिस्सा दलित वोटों पर टिका है, जो मायावती की बसपा का कोर वोट बैंक रहा है. अगर मायावती की पुरानी रणनीति काम कर पाई तो सपा के PDA का 20-25% वोट प्रभावित हो सकता है.
क्या था पिछले चुनावों में मायावती की बसपा का हाल
साल 2024 के लोकसभा चुनाव और 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में मायावती की बसपा के प्रदर्शन पर नजर डालें तो वह काफी खराब रहा है. जहां 2024 लोकसभा चुनाव में बसपा यूपी में एक भी सीट नहीं जीत पाई, वहीं 2022 के विधानसभा चुनाव में बसपा का प्रदर्शन उसके इतिहास में सबसे खराब रहा. 2022 के विधानसभा चुनाव में बसपा ने 403 सीटों पर उम्मीदवार उतारे लेकिन केवल 1 सीट रसड़ा पर ही पार्टी की जीत हुई.
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