Lockdown: डायलॉग्स के बादशाह है मनोज बाजपेयी, 'मुंबई का किंग कौन? भीकू म्हात्रे...
फिल्मों में अपनी बेहतरीन एक्टिंग और किरदार से हमेशा दर्शकों का दिल जीतने वाले एक्टर मनोज बाजपेयी अपनी सीरिज में भी लोखों का दिल जीत लिया है।

मनोज बाजपेयी ने साल 1994 में फिल्म 'बैंडिट क्वीन' से बॉलीवुड में कदम रखा था। इसके बाद से उन्होंने कई फिल्मों में अपनी एक्टिंग से लोगों को दीवाना बना दिया। फिल्मों में मनोज बाजपेयी का कॉमेडी अंदाज हो या विलेन और या फिर गंभीर अंदाज। वो फिल्मों में अपने हर एक रोल को बखूबी निभाते हैं। इतना ही नहीं फिल्मों में उनके दमदार डायलॉग आज भी सिनेप्रेमियों की पहली पसंद हैं। इस स्टोरी में हम आपको बताने वाले हैं उनकी फिल्मों के सदाबहार डायलॉग।
फिल्म- गैंग्स ऑफ वास्सेपुर

'आड़ चाहे जितना बड़ा हो जाए, लाड़ के नीचे ही रहता है।'
फिल्म- बेवफा

'छुपे-छुपे से सरकार नजर आते हैं। दिल की बरबादी के आसार नजर आते हैं।'
फिल्म- सत्या

'मुंबई का किंग कौन? भीकू म्हात्रे...'
फिल्म- शूटआउट एक वडाला

'बादशाह की गली में आ के उसका पता नहीं पूछते। गुलामों के झुके हुए सिर खुद-बा-खुद रास्ता बता देते हैं।'
फिल्म- राजनीति

'राजनीति में मुर्दे कभी गाड़े नहीं जाते। उन्हें जिंदा रखा जाता है। ताकि टाइम आने पर वो बोल सके।'
फिल्म- सात उचक्के

'अचीवमेंटों का ना कोई शॉर्टकट नहीं होता.. बस नेक इरादे और मजबूत हौसले होने चाहिए। बस फिर साइकिल गोल गोल ही सही, मंजिल पे पहुंच ही जाएगी एक दिन।'
फिल्म- स्वामी

'जिंदगी में कोई ना कोई चीज तो होनी ही चाहिए जो जीने का बहाना बनी रहे।'
फिल्म- जुबैदा

'सौ चांद भी चमकेंगे तो क्या बात बनेगी। तुम आए हो तो इस रात की औकात बनेगी।'
फिल्म- स्वामी

'चीजें तब छूटती हैं जब दिल से छोड़ी जाती हैं।'
फिल्म- रोड

'पुलिस वाले जहां से सोचना बंद कर देते हैं। बाबू वहां से सोचना शुरू करता है।'
टॉप हेडलाइंस
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