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‘राम लहर’ को हवा देने वाले ये तीन प्रमुख चेहरे, अब नहीं आएंगे संसद में नजर

अयोध्या राम मंदिर मामले को राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य देने वाले भारतीय जनता पार्टी के तीन प्रमुख चेहरे लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती अब लोकसभा में नहीं दिखेंगे। इन तीनों नेताओं पर पर विवादित ढांचा गिराने की साजिश के आरोप लगे थे।

अयोध्या, एबीपी गंगा। 27 साल बाद भी राम मंदिर निर्माण का मुद्दा गरम हैं, लेकिन राम लहर को हवा देने वाले प्रमुख चेहरे अब संसद के गलियारों में आपको नदारद नजर आएंगे। ये संयोग ही है कि अयोध्या राम मंदिर मामले को राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य देने वाले भारतीय जनता पार्टी के तीन प्रमुख चेहरे लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती अब लोकसभा में नहीं दिखेंगे। इन तीनों नेताओं पर  विवादित ढांचा गिराने की साजिश रचने के आरोप लगे थे।

आडवाणी-जोशी का टिकट कटा, उमा खुद पीछे हटीं

बीजेपी ने 2019 के आम चुनाव में पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी का टिकट काट दिया। वहीं, उमा भारती ने पहले ही ये स्पष्ट कर दिया था कि वो आगामी चुनाव नहीं लड़ेंगी। आडवाणी, जोशी के टिकट कटने और उमा के चुनाव न लड़ने के पीछे का कारण जो भी रहा हो, लेकिन इसे इन तीनों नेताओं के भारतीय राजनीति में एक लंबेयुग का अंत माना जा रहा है।

2014 में कौन-कहां से लड़ा

  1. लालकृष्ण आडवाणी                            गांधीनगर (गुजरात)
  2. मुरली मनोहर जोशी                            कानपुर (यूपी)
  3. उमा भारती                                         झांसी (यूपी)

अयोध्या मामले का हल निकालने की जद्दोजहद

सत्ताएं बदली गईं, चेहरे बदलते गए...लेकिन अयोध्या राम मंदिर का मसला जस का तस बना रहा। वर्तमान में शीर्ष न्यायालय राम मंदिर विवाद का हल निकालने के लिए मध्यस्थता के रास्ते पर आगे बढ़ने की कोशिश में जुटा है। हालांकि लोगों की अपेक्षाओं से विपरीत मामला चुनाव बाद तक के लिए टल गया। इस बीच 1992 में राम मंदिर निर्माण की हुंकार भरने वाले और विवादित ढांचे को गिराए जाने के मामले में आरोपी बनाए गए तीन प्रमुख चेहरे (आडवाणी, जोशी और उमा) लोकसभा में नहीं होंगे। पिछले चुनाव (2014) में तीनों लोकसभा के सदस्य थे। यहां तक की अब तो राज्यसभा में भी राम मंदिर मसले से जुड़ा कोई भी चेहरा नहीं है। इससे पहले बीजेपी नेता विनय कटियार बतौर सांसद राज्यसभा में थे, जिनकी अयोध्या मामले में अहम भूमिका रही है।

BJP के लिए राम मंदिर हमेशा रहा अहम चुनावी मुद्दा

6 अप्रैल, 1980 को भारतीय जनता पार्टी (BJP) अस्तित्व में आई, अपनी स्थापना के समय से ही बीजेपी के लिए राम जन्मभूमि मामला अहम चुनावी मुद्दा रहा है। राम लहर और राम मंदिर निर्माण मसले का बीजेपी को फायदा भी पहुंचा। विवादित ढांचा गिराने जाने के मामले में अदालती कार्रवाई का सामने करने के बावजूद आडवाणी, जोशी लोकसभा के सदस्य रहे। उमा भारती और विनय कटियार भी कई बार लोकसभा चुनाव जीतकर संसद पहुंचे। एक ओर मामला अदालत में विचाराधीन है, दूसरी ओर राम मंदिर मसले के प्रमुख चेहरों का 19वीं लोकसभा में नजर न आना एक बहस का मुद्दा बन गया है।

अबतक किसी पर सिद्ध नहीं हुए दोष

दो साल पहले रायबरेली की विशेष अदालत ने लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती और विनय कटियार समेत छह लोगों के खिलाफ विवादित ढांचा विध्वंस मामले में आरोप तय किए थे। इस मामले की सुनवाई अब भी जारी है। एक हकीकत यह भी है कि इस मसले पर अबतक किसी भी अदालत द्वारा किसी को भी दोषी करार नहीं दिया गया है।

CBI ने इनके खिलाफ आरोपपत्र किया दाखिल

सीबीआई ने अपनी जांच में 1992 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद ढहाने की साजिश रहचने के आरोप में आडवाणी, जोशी, उमा, कटियार के अलावा आचार्य गिरिराज किशोर, अशोक सिंघल, साध्वी रितंभरा, विष्णु हरी डालमिया के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था। बाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर शिवसेना प्रमुख रहे बाला साहेब ठाकरे, यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह समते 13 अन्य को आरोपी बनाया गया।

तीन आरोपियों को हो चुका निधन

राम मंदिर मसले की लंबी लड़ाई के बीच तीन आरोपितों अशोक सिंघल, विष्णु हरि डालमिया और आचार्य गिरिराज किशोर का निधन हो चुका है।

मोदी बोले- सरकार नहीं करेगी हस्तक्षेप, भागवत ने कहा- संसद में कानून बने

राम मंदिर निर्माण विवाद के हल का इंतजार तो हर कोई कर रहा है। जहां पिछले साल अक्टूबर में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने अयोध्या मसले पर संसद में कानून बनाकर रास्ता निकालने की मांग कर नई बहस छेड़ दी थी। तो देश के प्रधानमंत्री (निवर्तमान पीएम) नरेंद्र मोदी ने केंद्र का रुख स्पष्ट करते हुए कहा था कि जब तब मामला अदालत में लंबित है, सरकार कोई हस्तक्षेप नहीं करेगी। जिसका विरोध भी हुआ, यह कहकर कि अगर सरकार तीन तलाक मसले पर अध्यादेश ला सकती है, तो फिर राम मंदिर पर क्यों नहीं?

लालकृष्ण आडवाणी

‘राम लहर’ को हवा देने वाले ये तीन प्रमुख चेहरे, अब नहीं आएंगे संसद में नजर

  • बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी का जन्म अविभाजित भारत में 8 नवंबर, 1927 में कराची (पाकिस्तान) में हुआ।
  • आडवाणी 11 बार सांसद रहे। 1970, 1976, 1982 और 1988 में राज्यसभा सांसद रहे। जबकि 1989, 1991, 1998, 1999, 2004, 2009 और 2014 में लोकसभा के लिए चुने गए।
  • 1970-72 में भारतीय जनसंघ दिल्ली के अध्यक्ष रहे
  • तीन बार बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे। पहली बार 1986-91, दूसरी बार 1993-98 और तीसरी बार 2004-06 में।
  • 1999 से 2004 तक अटल सरकार में उप-प्रधानमंत्री और गृहमंत्री थे।
  • जब बीजेपी विपक्ष में थी, वह लोस में नेता प्रतिपक्ष भी रहे।

अयोध्या मामले में भूमिका

आडवाणी को सीबाआई ने 1992 बाबरी विध्वंस की साजिश रचने के मामले में मुख्य आरोपी बनाया। सितंबर 1990 में आडवाणी ने राम मंदिर आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए सोमनाथ से अयोध्या तक रथ यात्रा निकाली थी, जो करीब 10 हजार किलोमीटर लंबी थी। तब तत्कालीन लालू प्रसाद यादव की सरकार ने आडवाणी को गिरफ्तार कर उनकी रथयात्रा पर रोक लगा दी थी।

मुरली मनोहर जोशी

‘राम लहर’ को हवा देने वाले ये तीन प्रमुख चेहरे, अब नहीं आएंगे संसद में नजर

  • मुरली मनोहर जाशी बीजेपी के वरिष्ठ नेता है और वे 1991- 93 तक बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे।
  • जोशी दो बार राज्यसभा और छह बार लोकसभा के लिए चुने गए।
  • 1998-99 और 1999- 2004 की अटल सरकार में मानव संसाधन विकास मंत्री रहे।
  • अटल की 13 दिन की केंद्र सरकार में वह गृहमंत्री भी थे।
  • तीन बार इलाहाबाद (अब प्रयागराज) से सांसद चुने गए।
  • 2004 में इलाहाबाद से चुनाव हारे। सपा की रेवती रमण सिंह ने इलाहाबाद में 28 हजार वोटों से हराया था।
  • 2009 में जोशी ने बनारस से लोकसभा चुनाव लड़ा और जीते।
  • 2014 में कानपुर से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे, इस बार टिकट कटा।
  • 2017 में पद्मविभूषण से सम्मानित किए गए जोशी

अयोध्या मामले में भूमिका

सीबीआई के आरोपपत्र में जोशी का नाम भी शामिल था। 1992 में जब विवाजित ढांचे को गिराया गया, तो उस वक्त जोशी भी वहां मौजूद थे। जोशी, आडवाणी समेत कई नेताओं पर अयोध्या में भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगा।

उमा भारती

‘राम लहर’ को हवा देने वाले ये तीन प्रमुख चेहरे, अब नहीं आएंगे संसद में नजर
  • उमा भारती (16वीं लोकसभा) वर्तमान में मोदी सरकार में केंद्रीय पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री हैं।
  • छह बार लोकसभा के लिए चुनी गईं
  • अटल सरकार भी में केंद्रीय मंत्री रह चुकी हैं।
  • आठ दिसंबर 2003 से 22 अगस्त 2004 तक मध्यप्रदेश की मुख्यमंत्री भी रहीं। हालांकि कर्नाटक के दुबली में हुए दंगों के मामले में नाम आने पर उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया। जिसके बाद उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा।
  • नवंबर 2004 में बीजेपी ने अनुशासनहीनता के आरोप में उमा भारती को पार्टी से निलंबित कर दिया गया और मप्र में शिवराज सिंह चौहान को सीएम बना दिया गया।
  • बीजेपी से निलंबित करने के बाद उमा ने भारतीय जनशक्ति पार्टी का गठन किया।
  • 7 जून, 2011 को उमा की बीजेपी में वापसी हुई।
  • 2014 के आम चुनाव में बीजेपी से झांसी से उन्हें प्रत्याशी बनाया। वे न सिर्फ जीतीं बल्कि केंद्र में उन्हें कैबिनेट मंत्री भी बनाया गया।

अयोध्या मामले में भूमिका

राम मंदिर आंदोलन में उमा भारती की अहम भूमिका रही है। इसी आंदोलन ने उनका सियासी कद भी बढ़ाया। कहते हैं उनके आक्रमाक भाषणों के चलते बड़ी संख्या में महिलाएं भी कारसेवा के लिए अयोध्या पहुंच गईं। आरोप पत्र में वीएचपी नेताओं के अलावा उमा भारती का नाम भी शामिल था। 6 दिसंबर, 1992 में कारसेवकों द्वारा विवादित ढांचे गिराने जाने के वक्त वो भी वहां मौजूद थीं। उमा पर भी भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगा।

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