अमिताभ ठाकुर किस मामले में हुए अरेस्ट? जिन धाराओं में केस दर्ज उसमें कितनी हो सकती है सजा! जानें- यहां
Amitabh Thakur Arrested: भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व अफसर अमिताभ ठाकुर को लखनऊ पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. उन पर धोखाधड़ी और जालसाजी के आरोप हैं.

भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी अमिताभ ठाकुर को उत्तर प्रदेश की लखनऊ क्राइम ब्रांच ने उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार कर लिया है. वह लखनऊ सुपरफास्ट एक्सप्रेस से दिल्ली जा रहे थे. मिली जानकारी के अनुसार पूर्व IPS अधिकारी अमिताभ ठाकुर को उनके खिलाफ चल रही धोखाधड़ी के मामले में गिरफ्तार किया गया है. यह मामला वर्ष 1999 का है, जब ठाकुर देवरिया जिले में पुलिस अधीक्षक के पद पर कार्यरत थे.
अमिताभ ठाकुर पर आरोप है कि उनके द्वारा अपने पद का दुरुपयोग करते हुए जिला उद्योग केंद्र देवरिया के औद्योगिक प्लाट संख्या बी-2 का आवंटन अपनी पत्नी नूतन ठाकुर के नाम पर किया गया था, जिसमें उन्होंने जाली अभिलेख तैयार कर फर्जी नामों और पते का प्रयोग किया.प्रकरण की शुरुआत तब हुई, जब संजय शर्मा नामक एक व्यक्ति ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी. संजय ने आरोप लगाया कि नूतन ठाकुर ने अपने और अपने पति के नाम व पते में परिवर्तन कर, झूठे दस्तावेजों के आधार पर औद्योगिक प्लाट आवंटित करवाया.इसके बाद, इस प्लाट को लाभ कमाने के उद्देश्य से विक्रय कर दिया गया.
इस मामले में लखनऊ पुलिस ने प्रेस विज्ञप्ति भी जारी की है. लखनऊ पुलिस ने कहा है कि- पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर द्वारा वर्ष 1999 में जनपद देवरिया में पुलिस अधीक्षक देवरिया के रूप में नियुक्ति के दौरान अपने प्रभाव का दुरुपयोग करते हुए जिला उद्योग केंद्र देवरिया के औद्योगिक प्लाट संख्या - B2 का आवंटन अपनी पत्नी नूतन ठाकुर के नाम व पते में परिवर्तन कर कूट रचित अभिलेख तैयार कराकर छद्म नाम से आवंटित कराया तथा बाद में लाभ कमाने के उद्देश्य से इसे विक्रय कर दिया गया.
अमिताभ ठाकुर मामले में पुलिस की विज्ञप्ति में और क्या?
पुलिस ने कहा कि उपरोक्त प्रकरण में संजय शर्मा निवासी राजाजीपुरम थाना- तालकटोरा द्वारा शिकायती प्रार्थना पत्र दिया कि वर्ष 1999 में मती नूतन ठाकुर पत्नी अमिताभ ठाकुर तत्कालीन एसपी देवरिया ने जिला उद्योग केंद्र देवरिया से औद्योगिक प्लाट संख्या B-2 का आवंटन कराया था. इस आवंटन हेतु मती नूतन ठाकुर ने अपने एवं अपने पति के वास्तविक नाम पते के स्थान पर (झूठे नाम नूतन देवी) झूठे पति के नाम (अभिजात ठाकुर /अभिताप ठाकुर तथा झूठ पते (ग्राम खैरा जिला सीतामढ़ी बिहार) का प्रयोग किया तथा उक्त प्रक्रिया में कूट रचित दस्तावेज (आवेदन पत्र, शपथ पत्र, ट्रेजरी चालान ट्रांसफर डीड आदि) तैयार कर सरकारी विभागों को गुमराह किया तथा तत्समय अमिताभ ठाकुर देवरिया जिले के पुलिस अधीक्षक के पद पर कार्यरत थे.
प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि जिन्होंने अपने पद का दुरुपयोग कर उक्त अपराधों को संरक्षण एवं सहयोग प्रदान किया बाद में उसे उसे उक्त संपत्ति का विक्रय वास्तविक नाम पति के नाम एवं पते के आधार पर किया गया जिससे सरकारी विभागों बैंकों एवं अन्य पक्षकारों राज्य सरकार को लंबे समय तक धोखे में रखा गया.
आरोप है कि नूतन ठाकुर द्वारा अपने और अपने परिवार के लिए लाभ कमाने के उद्देश्य से सोच समझकर कपट पूर्ण व्यवहार किया और पहले तो अपने और अपने पति के फर्जी नाम वाले कूट रचित पहचान पत्र बनाएं और बाद में इस प्रकार बनाए गए कूट रचित पहचान पत्रों और दस्तावेजों को असली की तरह प्रयोग करके इन दस्तावेजों के आधार पर अपने और अपने पति के छद्म नामों से औद्योगिक स्थान में छल द्वारा प्लाट आवंटित करा लिया. इस प्रकार से नूतन ने निजी लाभ कमाने के लिए जालसाजी व धोखाधड़ी की और व्यावसायिक प्लाट की ट्रांसफर डीड छद्म नाम से बनाकर बाकायदा पंजीकृत कराकर धोखाधड़ी से प्लाट पर कब्जा कर लिया."
पुलिस ने बताया कि थाना तालकटोरा पर मुकदमा अपराध संख्या 183/25 धारा - 419, 420, 467, 468, 471, 34, 120 बी आईपीसी दिनांक 12.9.2025 को पंजीकृत हुआ.
अमिताभ ठाकुर पर जिन धाराओं में मामला दर्ज उनमें कितनी सजा?
- धारा 419 - किसी दूसरे व्यक्ति का रूप या पहचान (नाम, पद आदि) धारण करके धोखाधड़ी करना.
सजा: 3 वर्ष तक की कैद, या जुर्माना, या दोनों.
- धारा 420 - किसी को धोखा देकर उससे संपत्ति या कोई मूल्यवान वस्तु दिलवाना, या दस्तावेज बनवाना/बदलवाना जिससे आर्थिक हानि हो.
सजा: 7 वर्ष तक की कैद और साथ में जुर्माना; आम तौर पर गंभीर आर्थिक अपराधों में लगती है.
- धारा 467 - मूल्यवान सुरक्षा, मालिकाना हक का दस्तावेज, वसीयत, गोद लेने की अनुमति जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेजों की जालसाजी करना.
सजा: आजीवन कारावास या 10 वर्ष तक की कैद और जुर्माना; काफी कठोर धारा मानी जाती है.
- धारा 468 - धोखाधड़ी करने के उद्देश्य से कोई जाली दस्तावेज बनाना.
सजा: 7 वर्ष तक की कैद और जुर्माना; आम तौर पर जमानत योग्य नहीं माना जाता.
- धारा 471 - किसी जाली दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को असली की तरह इस्तेमाल करना, जबकि इस्तेमाल करने वाला जानता है कि यह जाली है.
- धारा 34 - जब दो या अधिक व्यक्ति समान इरादे से कोई अपराध करते हैं तो हर व्यक्ति को ऐसे माना जाता है जैसे उसने पूरा अपराध स्वयं किया हो.
- यह खुद अलग से सजा नहीं देती
- धारा 120बी - दो या अधिक व्यक्तियों की आपराधिक साजिश; यानी किसी अपराध को करने की योजना में शामिल होना.
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Source: IOCL





















