'साइबर क्राइम मूक वायरस की तरह, समाज को पैसे से भी ज्यादा नुकसान', हाईकोर्ट की बड़ी टिप्पणी
Allahabad High Court: हाईकोर्ट ने कहा साइबर अपराध ने पूरे देश के लोगों को प्रभावित किया है. चाहे उनका धर्म, क्षेत्र, शिक्षा या वर्ग कुछ भी हो. ऐसे अपराधों पर अंकुश लगाया जाना चाहिए.

Allahabad High Court: देश में तेजी से बढ़ रहे साइबर अपराध को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट की अहम टिप्पणी की है. हाईकोर्ट ने कहा कि साइबर अपराध एक मूक वायरस की तरह है. जो समाज को पैसे से भी ज्यादा नुकसान पहुंचा रहा है. हाईकोर्ट ने 'डिजिटल गिरफ्तारी' के आरोपी को जमानत देने से इंकार करते हुए ये टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा कि साइबर अपराध ने असंख्य निर्दोष पीड़ितों को प्रभावित किया है. जो अपनी मेहनत की कमाई से ठगे गए हैं.
हाईकोर्ट ने साइबर अपराध पर टिप्पणी करते हुए कहा कि ये पूरे देश के लोगों को प्रभावित कर रहा है. चाहे उनका धर्म, क्षेत्र, शिक्षा या वर्ग कुछ भी हो. ऐसे अपराधों पर अंकुश लगाया जाना चाहिए. डिजिटल इंडिया जैसी पहल ने देश के डिजिटल परिवर्तन को गति दी है. लेकिन, साइबर क्राइम ने उन कमजोरियों को भी उजागर किया है. जिनका साइबर अपराधी फायदा उठाते हैं.
कोर्ट ने जमानत देने से किया इनकार
हाईकोर्ट में जस्टिस आशुतोष श्रीवास्तव की सिंगल बेंच में मामले की सुनवाई हुई, जिसमें जज ने कहा कि न्यायालय का मानना है कि भारत में प्रौद्योगिकी की तीव्र प्रगति और डिजिटल बुनियादी ढांचे को व्यापक रूप से अपनाने से फिशिंग घोटाले, साइबर-स्टॉकिंग और डेटा उल्लंघनों सहित साइबर अपराधों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. अदालत ने ये टिप्पणियां निशांत रॉय नामक आरोपी व्यक्ति को जमानत देने से इंकार करते हुए की.
याची पर डिजिटल गिरफ्तारी के कथित मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा 384, 406, 419, 420, 506, 507 और 34 तथा आईटी अधिनियम की धारा 66- सी और 66- डी के तहत एफआईआर दर्ज है. यह एफआईआर थाना- साइबर क्राइम प्रयागराज में दर्ज है. इस मामले में, पीड़िता/प्रथम सूचनाकर्ता (काकोली दास) को एक कूरियर कंपनी के प्रतिनिधि के रूप में किसी व्यक्ति से कॉल आया था. जिसमें दावा किया गया कि उसके नाम से एक पार्सल ताइवान भेजा जा रहा है और इसमें 200 ग्राम एमडीएमए सहित अवैध सामग्री है. बाद में यह कॉल एक ऐसे व्यक्ति को स्थानांतरित कर दी गई जिसने खुद को अपराध शाखा का पुलिस उपायुक्त बताया और उसे डिजिटल तरीके से गिरफ्तार कर लिया.
आरोपी ने डिजिटल अरेस्ट करने के बाद जांच के लिए उससे अपने बैंक खाते का विवरण साझा करने के लिए दबाव डाला. इसके बाद, तीन दिनों (23-25 अप्रैल 2024) में, साइबर अपराधियों द्वारा आरटीजीएस के माध्यम से उनके एसबीआई और यस बैंक खातों से कुल 1.48 करोड़ की राशि धोखाधड़ी से स्थानांतरित कर दी गई.
टॉप हेडलाइंस
Source: IOCL























