Udaipur News: जयपुर के बाद राजस्थान के उदयपुर में होगी लेपर्ड सफारी, जानिए क्या है खास?
राजस्थान के उदयपुर ( Udaipur) में जयपुर के बाद लेपर्ड सफारी शुरू होने जा रही है. कलेक्टर ताराचंद मीणा ने वन महोत्सव आयोजन के दौरान घोषणा की है.

Rajasthan News: देश की पहली और दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी मीठे पानी की उदयपुर स्थित जयसमंद झील की सेंचुरी में अब लोग इसकी खूबसूरती के साथ नया एडवेंचर कर सकेंगे. यहां राजस्थान में जयपुर के बाद लेपर्ड सफारी शुरू होने जा रही जिसकी कलेक्टर ताराचंद मीणा ने शुक्रवार को वन महोत्सव आयोजन के दौरान घोषणा की है. अब तक राजस्थान के झालाना और आमागढ़ में ही लेपर्ड सफारी होती है. इसके अलावा राजस्थान में कही भी लेपर्ड सफारी नहीं कराई जाती है. उदयपुर में इसकी शुरुआत होने पर पर्यटकों के लिए नया एडवेंचर हो जाएगा.
तेंदुए के लिए प्रसिद्ध है जयसमंद
उदयपुर करीब 30 किमी दूर दुनिया की दूसरी सबसे मीठे पानी की झील है और इसी के पास है जयसमंद अभ्यारण्य. यह अभ्यारण्य लेपर्ड के लिए फेमस है क्योंकि यहां एरिया की तुलना में पैंथर ज्यादा है. यानी यहां अभी 40 से ज्यादा पैंथर है. इसके अलावा घना जंगल और अन्य वन्यजीवों की भी उपलब्धता है. यहां लेपर्ड सफारी बनी तो काफी पर्यटकों को तो फायदा होगा ही इसके साथ रोजगार के नए आयाम बनेंगे. इस सफारी के बारे में लगातार मांग की जा रही थी जो अब पूरी होने वाली है. वैसे बना दे कि उदयपुर जिले एकमात्र ऐसा जिला है जहां तीन सेंचुरी है. सज्जनगढ़, फुलवारी की नाल और जयसमंद.
झालाना की तर्ज पर बनेगी सफारी
जिला कलक्टर ताराचंद मीणा ने कहा कि जिले की समृद्ध जैव विविधता को देखते हुए जयपुर के झालाना में लेपर्ड सफारी की तर्ज पर जयसमंद में भी लेपर्ड सफारी शुरू करेंगे. कलेक्टर मीणा ने कहा कि राष्ट्रीय वन नीति अनुसार देश के एक-तिहाई भू-भाग वनों से आच्छादित होने चाहिये जिसके विरुद्ध उदयपुर जिले के भूभाग का लगभग 30 प्रतिशत भाग वन क्षेत्र है. उन्होंने यह भी बताया कि राष्ट्रीय राजमार्ग, खेलगांव और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर पलाश, अमलतास आदि स्थानीय प्रजातियों के पौधों के रोपण पर फोकस किया गया है.
उन्होंने बताया कि बीस सूत्री कार्यक्रम के तहत सभी विभागों द्वारा पिछले वर्ष 34 लाख पौधे पर लगाकर शत-प्रतिशत लक्ष्य अर्जित किया था. इस बार भी राज्य सरकार से सभी विभागों को 28 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य आवंटित किया था जो पूर्ण कर लिया गया है. उन्होंने बताया कि कोरोना काल में सभी को वृक्षों का महत्व समझ में आ गया है तथा सभी लोग इसे जीवन से जोड़कर अधिक से अधिक वृक्षारोपण करने में सक्रिय भागीदारी निभा रहे हैं.
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