Rajasthan Assembly Session: गाय लेकर विधानसभा पहुंचे थे बीजेपी विधायक, फिर जो हुआ वो आप खुद देखिए
पुष्कर से बीजेपी विधायक सुरेश सिंह रावत तो लंपी बीमारी और गायों की मौत पर विरोध जताने के लिए अपने साथ एक गाय ले आए.

Rajasthan Assembly Session: 15वीं राजस्थान विधानसभा के 7वें सत्र की कार्यवाही सोमवार सुबह 11 बजे शुरू हुई. इसमें बीजेपी विधायक दल ने लंपी रोग को लेकर सरकार पर निशाना साधा. पुष्कर से बीजेपी विधायक सुरेश सिंह रावत तो लंपी बीमारी और गायों की मौत पर विरोध जताने के लिए अपने साथ एक गाय ले आए. विधानसभा के बाहर जब विधायक रावत मीडिया को बयान दे रहे थे तभी गाय रस्सी छुड़ाकर भाग गई. गाय को पकड़ने के लिए एमएलए रावत के साथ आए लोगों ने पीछे दौड़कर पकड़ने का प्रयास किया. अचानक हुई इस घटना से सड़क पर अफरा-तफरी मच गई. गाड़ियों पर गुजर रहे लोग घबरा गए. इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर लोग गाय को राजनीति के लिए प्रयोग करने पर नाराजगी जता रहे हैं.
सरकारी आंकड़ों से अलग है हकीकत
वहीं बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा "राजस्थान सरकार सदन और धरातल से भागना चाह रही है लेकिन राजस्थान की जनता और प्रतिपक्ष उन्हें भागने नहीं देगा. सदन में भी और सदन के बाहर भी उन्हें एक-एक प्रश्न का जवाब देना होगा. इस वक्त जो बड़ा सवाल है वो लंपी का है. राजस्थान के गौवंश को भारी नुकसान हुआ है. सरकार का आंकड़ा 10 लाख के संक्रमण का और 57 हजार गौवंश के काल-कल्वित होने का है. लेकिन हकीकत इससे परे है. 30 लाख से ज्यादा संक्रमण हुआ है और 10 लाख से ज्यादा गौवंश का नुकसान हुआ है. यह सरकार की संवेदनहीनता का प्रमाण है."
लंपी रोग पर सरकार को घेरने के लिए पुष्कर से भाजपा विधायक सुरेश रावत आज गाय लेकर राजस्थान विधानसभा पहुंचे और लंपी रोग पर मीडिया को बयान दे रहे थे तभी गाय वहां से भाग गई। शायद गाय को राजनीति रास नहीं आई।#Cow #LumpyVirus #Rajasthan #Politics #LumpySkinDisease #BJP #Congress pic.twitter.com/ysgZhQPsDt
— Sumit Saraswat SP (@SumitSaraswatSP) September 19, 2022
'पड़ोसी राज्यों से सबक लें प्रदेश सरकार'
पूनिया ने बीजेपी शासित राज्यों की प्रशंसा करते हुए कहा, "प्रदेश के पड़ोसी राज्य हरियाणा, मध्य प्रदेश और गुजरात में लंपी को रोकने और आपदा से निपटने के लिए युद्ध स्तर पर प्रयास किए और वह सफल भी हुए हैं. उत्तर प्रदेश में 2 से 3 लाख टीकाकरण प्रतिदिन हो रहा है. पड़ोसी प्रदेशों ने पहले से ही शेल्टर्स बनाए, आइसोलेशन सेंटर्स बनाए, अस्थाई तौर पर पशुधन सहायकों की नियुक्तियां की. यही कारण है कि वहां हालात काबू में हैं लेकिन राजस्थान में सरकार की गाय के प्रति संवेदनाएं मर गई हैं, यह दुर्भाग्यपूर्ण है."
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Source: IOCL





















