![metaverse](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-top.png)
Pitru Paksha 2023: कल से पितृपक्ष शुरू, 14 अक्टूबर तक नहीं किए जाएंगे कोई भी शुभ कार्य
Pitru Paksha 2023 Date: पितृपक्ष 29 सितंबर से शुरू हो रहा हे.10 अक्टूबर को कोई श्राद्ध नहीं होगा. पितृपक्ष में पंडित द्वारा पितरों का श्राद्ध (पिंडदान) कराया जाता है.
![Pitru Paksha 2023: कल से पितृपक्ष शुरू, 14 अक्टूबर तक नहीं किए जाएंगे कोई भी शुभ कार्य Pitru Paksha 2023 will start from tomorrow No auspicious work will be done till 14th October Rajasthan News ANN Pitru Paksha 2023: कल से पितृपक्ष शुरू, 14 अक्टूबर तक नहीं किए जाएंगे कोई भी शुभ कार्य](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/09/28/e0c5fa2550043d1ba7eeb5945f1a57bd1695896127478658_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Pitru Paksha: हिन्दू धर्म में पितृपक्ष (Pitru Paksha) का बहुत महत्व माना जाता है. भाद्रपद मास की पूर्णिमा से पितृपक्ष की शुरुआत हो जाती है. पितृपक्ष को ब्रज क्षेत्र में कनागत के नाम से भी जाना जाता है. वहीं कई जगह लोग इसे श्राद्ध के नाम से भी जानते हैं. पितृपक्ष में पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध किया जाता है. मान्यता है की श्राद्ध करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और पितृदोष दूर होते हैं. मान्यता है की जब किसी के परिजन अपना शरीर त्याग करके चले जाते हैं, तो उनकी आत्मा की शांति के लिए सच्ची श्रद्धा भाव से तर्पण किया जाता है. इसे ही श्राद्ध कहते हैं.
पितृपक्ष में तिथि का बहुत महत्व माना जाता है. पितृपक्ष जब प्रारम्भ होते हैं, तो उनके हर दिन की तिथि अलग होती है. कभी-कभी एक दिन में दो तिथियां भी पड़ जाती हैं. जैसे इस बार 29 सितम्बर को भादपद्र की पूर्णिमा और 3 बजकर 27 मिनट से अश्विन माह की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि शुरू हो जाएगी. किसी के भी पूर्वज का निधन जिस तिथि को होता है, तो उसे उसी तिथि पर अपने पितृ का श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करना होता है. श्राद्ध पक्ष की अमावस्या के दिन ज्ञात और अज्ञात पितरों के लिए श्राद्ध किया जाता है. मान्यता के अनुसार श्राद्ध पक्ष में पूर्वजों का श्राद्ध और तर्पण किया जाता है. लोगों का मानना है की कनागत के समय पूर्वज धरती पर आते हैं और 16 दिन तक धरती पर ही वास करते हैं.
29 सितम्बर से शुरू हो रहा पितृपक्ष
श्राद्ध में विधि विधान से पितरों से सम्बंधित कार्य करने पर पूर्वजों का आशीर्वाद मिलता है और उनको मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस बार पितृपक्ष 29 सितम्बर से शुरू होंगे और 14 अक्टूबर तक चलेंगे. 10 अक्टूबर को कोई श्राद्ध नहीं होगा. कनागत में किसी पंडित के द्वारा श्राद्ध (पिंडदान) कराया जाता है. श्राद्ध में पूरी श्रद्धा से ब्राह्मणों को दान दिया जाता है और गरीब जरूरतमंद की सहायता करके पुण्य प्राप्त किया जाता है. श्राद्ध में पशु पक्षियों के साथ-साथ गाय-कुत्ते और कौवे आदि को भोजन के अंश डाल कर भी पुण्य प्राप्त किया जाता है. पितृपक्ष में विधि विधान से पूजा कराके ब्राह्मणों को भोजन करवाकर और दान-दक्षिणा देकर संतुष्ट किया जाता है. कई जगह लोग अपने पूर्वजों के श्राद्ध पर गाय, कुत्ते और कौवे को खिलाकर ही श्राद्ध कर लेते हैं.
श्राद्ध में कोई भी मांगलिक कार्य नहीं होते
श्राद्ध के जो 16 दिन होते हैं, उनमें कोई भी शुभ और मांगलिक कार्य जैसे विवाह, मुंडन, उपनयन संस्कार, नींव पूजन गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं. मान्यता यह भी है की पितृपक्ष में अगर कोई शुभ कार्य करता है, तो उस काम का कोई फल नहीं मिलता है. विद्वान पंडित तो अपनी बात पर आज भी अडिग हैं की पितृपक्ष में किसी भी तरह का कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए. घर के अंदर कोई भी नई चीज खरीद कर नहीं लानी चाहिए. इसका मुख्य कारण यह भी बताया जाता है कि इस दौरान अगर घर में कोई नई चीज आएगी तो सबका ध्यान उसी में लग जाता है और फिर पूर्वजों की सेवा नहीं कर पाते. इस बार पितृपक्ष 29 सितंबर से शुरू होंगे और 14 अक्टूबर को इसका समापन होगा. इसके बाद 15 अक्टूबर से नवरात्र शुरू हो जाएंगे.
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![metaverse](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)
![डॉ. सब्य साचिन, वाइस प्रिंसिपल, जीएसबीवी स्कूल](https://feeds.abplive.com/onecms/images/author/045c7972b440a03d7c79d2ddf1e63ba1.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=70)