Rajasthan News: जोधपुर के दिव्यांग बच्चों ने खोला स्कूल प्रशासन के खिलाफ मोर्चा, जिला कलेक्टर को दिया ज्ञापन
Jodhpur News: जिला कलेक्टर ने बताया कि जोधपुर बधिर कल्याण द्वारा संचालित गांधी बधिर उच्च माध्यमिक विद्यालय जोधपुर और छात्रावास में प्रबंध समिति पढ़ने वाले मासूम दिव्यांग बच्चों ने ज्ञापन दिया है.

Jodhpur Disabled Children News: राजस्थान (Rajasthan) के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने शिक्षा के क्षेत्र में कई काम किए हैं. सरकारी हिंदी मीडियम स्कूलों को इंग्लिश मीडियम किया गया है. साथ ही प्रदेश में कई नए कॉलेज भी खोले गए हैं. इसका दवा सीएम खुद भी कर रहे हैं, लेकिन बधिर कल्याण द्वारा संचालित गांधी बधिर उच्च माध्यमिक विद्यालय जोधपुर और छात्रावास में प्रबंध समिति पढ़ने वाले मासूम दिव्यांग बच्चे जो बोल भी नहीं सकते और सुन भी नहीं सकते. वह अपनी समस्या को लेकर पिछले तीन दिनों से स्कूल में संघर्ष कर रहे हैं. सुनवाई नहीं होने पर बच्चे जोधपुर जिला कलेक्टर हिमांशु गुप्ता के पास अपनी समस्या का ज्ञापन देने पहुंचे.
इस दौरान बच्चों के हाथों में तख्तियां थीं. जो साफतौर से उनकी पीड़ा को बता रही थी. दरअसल, बच्चे गांधी बधिर उच्च माध्यमिक विद्यालय पर अवैध वसूली और उनको इनाम में मिली राशि को दबाने का आरोप लगा रहे हैं. मूकबधिर बच्चे अपनी पीड़ा को लेकर जिला कलेक्टर पहुंचे. वहीं एबीपी न्यूज से उनके लैंग्वेज ट्रांसलेटर ने बताया कि बच्चों को क्या-क्या समस्या है. लैंग्वेज ट्रांसलेटर ने ये भी बताया कि बच्चों की समस्याओं की सुनवाई भी नहीं हो रही है. बेबस बच्चे अपनी पढ़ाई को छोड़कर उनके साथ किया जा रहे हैं भेदभाव और अवैध वसूली को लेकर आवाज तो नहीं उठा पा रहे हैं, लेकिन वह अपने हाथों की तख्तियां से अपने साथ हो रही परेशानियों के बारे में जरूर बता रहे हैं.
जिला कलेक्टर ने क्या कहा
वहीं जिला कलेक्टर हिमांशु गुप्ता ने बताया कि जोधपुर बधिर कल्याण द्वारा संचालित गांधी बधिर उच्च माध्यमिक विद्यालय जोधपुर और छात्रावास में प्रबंध समिति पढ़ने वाले मासूम दिव्यांग बच्चों ने ज्ञापन दिया है. उनकी समस्याओं को देखते हुए हमने कमेटी बनाई है. कमेटी जल्द जांच की रिपोर्ट देगी. दोषियों को सख्त से सख्त सजा दी जाएगी.
ये हैं समस्साएं
1. जोधपुर बधिर कल्याण द्वारा संचालित गांधी बधिर उच्च माध्यमिक विद्यालय जोधपुर और छात्रावास में प्रबंध समिति के अध्यक्ष सोहनलाल जैसलमेरिया और सचिव विक्रम अहजा (यूरो इंटरनेशनल स्कूल के संचालक) के द्वारा राज्य सरकार के विशेष योग्यजन निदेशालय द्वारा अनुदानित संस्थान में बच्चों के अभिभावकों से अनुदान राशि जबरदस्ती ली जा रही है, जबकि विद्यालय राज्य सरकार द्वारा शत-प्रतिशत अनुदानित है. विद्यालय में अध्यनरत छात्र-छात्राओं के अभिभावक इस राशि को वहन करने में सक्षम नहीं हैं. यह राशि 13 से
लेकर 26 हजार तक विभिन्न छात्र-छात्राओं से ली जाती है.
2. छात्र-छात्राओं से अन्य विभिन्न मद में परीक्षा शुल्क, कॉपी किताब, और आई कार्ड, बस शुल्क के नाम से राशि ली जाती है, जो नियमानुसार राज्य सरकार द्वारा वहन की जा रही है, लेकिन उसके उपरान्त भी यह राशि ली जा रही है.
3. खाद्य सामग्री का वय राज्य सरकार द्वारा किया जाता है, लेकिन खाद्य सामग्री गुणवत्तापूर्वक नहीं है. जिसकी शिकायत हमने विद्यालय प्रधानाचार्य के माध्यम से प्रबंध समिति को कई बार सूचित किया गया, लेकिन उसमें सुधार न करते हुए प्रबंध समिति द्वारा समय-समय पर हमें छात्रावास और विद्यालय से निकालने की धमकी दी जाती है. पिछले काफी दिनों से इसकी शिकायत की जा रही है. छात्रावास अधीक्षक द्वारा खाना भी पर्याप्त मात्रा में नहीं बनाया जाता है, जिसके कारण भोजन हमेशा कम पड़ जाता है, जिससे 5 से 6 विद्यार्थी हमेशा भूखे सोते हैं.
4. खाना कम पड़ने की शिकायत प्रधानाचार्य को की गई जिसका औचक निरक्षण करने पर यह जांच सही पाई गई, लेकिन इसमें सुधार नहीं किया गया उल्टा छात्रों को दोषित ठहराया जाता है.
5. प्रधानचार्य बाबूराम यादव उसके सहायक रमेश गहलोत, शर्मीला पंचोली, रेणु रस्तोगी के द्वारा बार-बार हम सबको को धमकाया जाता है और गूंगिया, पागल बोलकर हमारी विभिन्न शारीरिक कमियों का मजाक बनाया जाता है. जब भी किसी प्रशासनिक अधिकारी तक हम बात पहुंचाने का प्रयास करते हैं, तो ये हमारी बात को गलत तरीके से पेश करते हैं और हमें दोषी ठहराया जाता है. हमारी छवि खराब कर दी गई.
6. प्रधानाचार्य और इनके सलाहकार को सांकेतिक भाषा की जानकारी नहीं है, जिसके कारण हम इनको समस्या बताते हैं तो हमारा मजाक बनाया जाता है और ये समाधान नहीं करते है. जिसकी पूर्व में हमने कई बार शिकायत की, लेकिन उसका समाधान नहीं हुआ क्योंकि ये लोग सोहनलाल जैसलमेरिया के माध्यम से हमारी बात को दबा देते हैं और हमारी समस्या जस की तस बनी रहती है.
7. हमारे उत्कृष्ट कार्य के लिए समय-समय पर आने वाली सहायता राशि को प्रबंध समिति बीच में रख लेती है, जो भामाशाही द्वारा हमें प्रदान की गई है. जैसे-26 जनवरी 2023 को श्याम कुम्भट द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम में भाग लेने वाले सभी बच्चों (लगभग 111 बच्चों) के लिए रु.5000/- प्रति छात्र दी गई, जो प्रबंध समिति द्वारा किसी भी छात्र की आज तक नहीं दी गई.
8. विद्यालय में प्रवेश लेने और छात्रावास में रहने की सुविधा के लिए जब आवेदन किया जाता है तब शर्मीला पचीली रेणु रस्तोगी, रमेश गहलोत, भारती कलवानी और शर्मा के द्वारा हमारे अभिभावकों को सहायता राशि के लिए जोर दिया जाता है, जिसकी रशीद NGO के नाम से अनुदान के रूप में काटी जाती है और कहा जाता है कि फीस देनी पड़ेगी. वो कहते हैं कि मुफ्त में आपके बच्चों को कितना खिलाएंगे. तुमको भीख मांगने की आदत पड़ गई है. पूर्व जनम में बुरे कार्य किए थे इस कारण ऐसी औलाद पैदा हुई है.
9. छात्रावास में साफ-सफाई नहीं की जाती है. एक स्वीपर रखा गया है जोकि विद्यालय, महाविद्यालय, छात्रावास और विद्यालाय परिसर सभी की सफाई करता है, लेकिन ये पर्याप्त नहीं है. इस कारण साफ-सफाई नहीं रहती है और जब इसकी शिकायत की जाती है, तो प्रधानाचार्य और उनके सलाहकारों द्वारा कहा जाता है कि तुम इस लायक ही हो. घर पर क्या ऐसे बने हुए हैं? जिंदगी में कभी देखे हैं ऐसे?
10. छात्रावास में रहने के लिए पर्याप्त बेड नहीं है. इस कारण एक बेड पर 2-2 बच्चे सोते हैं और कुछ बच्चे नीचे सोते हैं. छात्रावास में पर्याप्त शौचालय नहीं होने के कारण विद्यालय समय पर पहुंच नहीं पाते और इस कारण हमें गालियां दी जाती हैं.
11. गर्ल्स हॉस्टल वार्डन द्वारा सेनेटरी नेपकिन हमारे सामने फेंक दिए जाते हैं उसका इल्जाम भी हमारे ऊपर लगाया गया जबकि इसकी शिकायत प्रधानाचार्य से करने पर प्रधानाचार्य ने उल्टा हमें ही दोषी ठहराया गया.
12. हमारे द्वारा जब-जब शिकायत की गई तो सोहनलाल जैसलमेरिया और विक्रम अहूजा द्वारा हमको धमकाया गया और टीसी देने के लिए हमारे घर पर नोटिस भेजा गया. प्रशासनिक अधिकारियों को सूचना दी गई जैसे, थाना, ADM सर, समाज कल्याण अधिकारी तो इनके द्वारा समिति का गठन किए जाने की बात कही गई, लेकिन ऐसा हुआ नहीं.
13. जब सरकार के द्वारा हमारे लिए शत-प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है, हमारे भविष्य को सुधारने और हमें मुख्य धारा से जोड़ने के लिए इतने प्रयास किए जा रहे हैं, तो सरकार हमें अपने संरक्षण में ले क्योंकि ये लोग हमारा मानसिक, शारीरिक और आर्थिक शोषण करते है और हमारे सांकेतिक भाषा अनुवादक की बात करने से भी रोक देते हैं.
Source: IOCL
























