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जसवंतनगर में सपा अध्यक्ष अखिलेश ने ऐसे ही नहीं छुए मंच पर शिवपाल के पैर, समझिए पूरा खेल

मैनपुरी लोकसभा और रामपुर विधानसभा उपचुनाव के लिए मतदान 5 दिसंबर को होगा और नतीजे 8 दिसंबर को आएंगे.

मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव की लड़ाई अपने चरम पर पहुंच गई है. समाजवादी पार्टी ने अपनी मुलायम सिंह यादव की सीट बचाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है. सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और शिवपाल यादव ने एक साथ आकर बीजेपी के समीकरणों को ध्वस्त की कोशिश की है. 

कुछ दिन पहले तक दोनों नेता एक दूसरे को देखना पसंद नहीं कर रहे थे. लेकिन मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद से यादव परिवार के अंदर के भी समीकरण बदले हैं. मैनपुरी से अखिलेश यादव ने पत्नी डिंपल को उतारकर परिवार के अंदर मुलायम सिंह यादव के उत्तराधिकार को लेकर किसी भी संभावित कलह को खत्म कर दिया है.

लेकिन बात सिर्फ इतने ही नहीं बनने वाली है. डिंपल यादव को हर हाल में यह सीट जीतनी होगी. अखिलेश यादव को पता है कि अगर इस सीट को भी नहीं बचा पाए तो उनकी नेतृत्व क्षमता पर सवाल खड़े हो जाएंगे साथ ही परिवार के अंदर भी कई तरह की आवाजें उठना शुरू हो सकती हैं. 

इसके साथ ही वो मुलायम की तरह यादवों के एकमात्र नेता होने दावा भी नहीं कर पाएंगे.लेकिन सपा की प्रत्याशी डिंपल यादव की जीत के लिए सबसे जरूरी था शिवपाल यादव का आशीर्वाद. 

अखिलेश और डिंपल यादव ने शिवपाल से मिलकर चाचा का आशीर्वाद मांगा. शिवपाल भी बड़े भाई के बेटे को मना नहीं कर पाए और मुलायम की सीट को जीतने के लिए डिंपल के लिए प्रचार करने के लिए मैदान में उतर आए. 

शिवपाल के साथ आ जाने से पहले उनको लेकर अखिलेश का जो रवैया था मैनपुरी में उनके सहयोगी भूल जाएंगे ये अपने आप में बड़ा सवाल है. दूसरी ओर शिवपाल के भरोसे मैनपुरी में सपा के किले में सेंध लगाने की कोशिश कर रही बीजेपी को भी झटका लग गया. इसका नतीजा ये रहा कि शिवपाल को मिली सिक्योरिटी कम कर दी गई. आगे भी शिवपाल को अपने इस फैसले के लिए आगे काफी कुछ झेलना पड़ सकता है.


जसवंतनगर में सपा अध्यक्ष अखिलेश ने ऐसे ही नहीं छुए मंच पर शिवपाल के पैर, समझिए पूरा खेल

लेकिन अखिलेश को शिवपाल ने पूरे मन से आशीर्वाद दे दिया है अभी इस परसेप्शन के पैमाने पर बात नहीं बन पा रही थी. इसको लेकर आज अखिलेश यादव ने वो किया जो समाजवादी पार्टी के चुनावी मंच पर शायद 2017 के पहले हुआ होगा.

जसवंतनगर में आयोजित एक रैली के दौरान कार्यकर्ताओं से मिलने के बाद मंच पर अखिलेश यादव पहुंचते हैं. इसके थोड़ी ही देर बाद शिवपाल यादव भी मंच पहुंचते हैं. चाचा के आते ही अखिलेश तुरंत उनके पैर छूते हैं. 

मैनपुरी के संग्राम में यह पल सपा के लिए एक निर्णायक टर्निंग प्वाइंट साबित हो सकता है. दरअसल इस बार मैनपुरी के चुनाव में जसंवत नगर के वोटर ही बहुत कुछ तय कर सकते हैं. जसवंतनगर विधानसभा सीट से ही शिवपाल यादव यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में सपा के टिकट से विधायक चुने गए हैं.

मतलब साफ है कि अखिलेश यादव ने जसवंतनगर के मतदाताओं को संदेश देने की कोशिश की है कि चाचा शिवपाल का आशीर्वाद उनके साथ है. इसके साथ ही सपा की रणनीति है अगर डिंपल यादव जसवंतनगर से एकमुश्त वोट लेकर एक बड़ी बढ़त के साथ आती हैं तो बाकी दूसरी विधानसभा सीटों पर लड़ना आसान हो जाएगा.  

जसवंतनगर के जातीय आंकड़ों पर विश्वास करें तो यहां पर एक लाख साठ हजार यादव, 60 हजार दलित, 15 हजार ब्राह्मण, 16 हजार मुस्लिम, 10 हजार ठाकुर, 5 हजार कोरी, 7 हजार वैश्य, 8 हजार लोध और अन्य जातियां 75 हजार के करीब हैं. ये समीकरण सपा के मनमुताबिक हैं और सपा की रणनीति है कि इस सीट पर कम से कम 1 लाख वोटों की बढ़त मिले. 

वहीं अगर पूरी मैनपुरी लोकसभा के जातीय आंकड़ों पर नजर डालें तो साढ़े चार लाख यादव, सवा तीन लाख शाक्य, दो लाख ठाकुर,एक लाख ब्राह्मण, एक लाख मुस्लिम, एक लाख लोध, दो लाख दलित जिसमें एक लाख 20 हजार जाटव, बाकी कटारिया,धोबी और पासी हैं.

यानी डिंपल यादव जसवंतनगर सीट से बढ़त लेकर आती हैं और बाकी जगहों पर अगर शाक्य वोट और अन्य जातियों का वोट को सपा को नहीं मिलता है तो भी बीजेपी प्रत्याशी रघुराज सिंह शाक्य के लिए इस बढ़त से पार पाना आसान नहीं होगा. लेकिन सवाल इस बात का है शिवपाल का मिला आशीर्वाद वोटों में कितना कन्वर्ट होगा.

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