महाराष्ट्र सरकार ने वापस लिया थ्री लेंग्वेज पॉलिसी का आदेश तो क्या बोले राज ठाकरे? सामने आई पहली प्रतिक्रिया
Raj Thackeray On Hindi Contraversy: राज ठाकरे ने कहा कि महाराष्ट्र में तीन भाषाएं थोपने की कोशिश ताकि छात्रों को हिंदी सीखनी पड़े, एक बार और सभी महाराष्ट्रवासियों को इसके लिए बधाई.

Maharashtra Hindi Contraversy: महाराष्ट्र सरकार ने हिंदी भाषा की अनिवार्यता वाला आदेश वापस ले लिया है. सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि त्रिभाषा नीति को लेकर कमेटी बनाई जाएगी. वहीं सरकार के इस फैसले को लेकर मनसे प्रमुख राज ठाकरे की पहली प्रतिक्रिया सामने आई है. उन्होंने कहा कि अनिवार्यता केवल और केवल मराठी लोगों की नाराजगी के कारण वापस ली गई थी.
राज ठाकरे ने कहा, "कक्षा 1 से तीन भाषाएं पढ़ाने के नाम पर हिंदी भाषा थोपने का निर्णय हमेशा के लिए वापस ले लिया गया. सरकार ने इस संबंध में 2 जीआर रद्द कर दिए. इसे देर से लिया गया विवेक नहीं कहा जा सकता, क्योंकि यह अनिवार्यता केवल और केवल मराठी लोगों की नाराजगी के कारण वापस ली गई थी. सरकार हिंदी भाषा पर इतनी जोर क्यों दे रही थी और इसके लिए सरकार पर वास्तव में दबाव कहाँ था, यह अभी भी एक रहस्य है."
उन्होंने आगे कहा, "महाराष्ट्र में तीन भाषाएं थोपने की कोशिश ताकि छात्रों को हिंदी सीखनी पड़े, एक बार और सभी महाराष्ट्रवासियों को इसके लिए बधाई. महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने अप्रैल 2025 से इस मुद्दे पर अपनी आवाज़ उठाई थी और तब से यह मुद्दा गर्माने लगा था. उसके बाद एक के बाद एक राजनीतिक दल अपनी आवाज़ उठाने लगे. जब महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने एक गैर-पक्षपाती मार्च निकालने का फैसला किया, तो कई राजनीतिक दलों और संगठनों ने इसमें भाग लेने की तत्परता दिखाई. अगर यह मार्च निकला होता, तो यह इतना बड़ा होता कि संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन के समय को याद किया जाता. शायद इस एकता से सरकार को झटका लगा है, लेकिन डरना चाहिए कि ठीक है.
'महाराष्ट्र में नहीं करने देंगे काम'
राज ठाकरे ने अपने पोस्ट में ये भी लिखा, "एक और बात, सरकार ने एक बार फिर नई समिति नियुक्त की है. मैं साफ शब्दों में कह रहा हूं, समिति की रिपोर्ट आए या न आए, लेकिन ऐसी बातें दोबारा बर्दाश्त नहीं की जाएंगी, यानी नहीं होंगी. सरकार को यह बात हमेशा अपने दिमाग में रखनी चाहिए. हम मान रहे हैं कि यह फैसला हमेशा के लिए रद्द हो गया है और महाराष्ट्र की जनता ने भी यही मान लिया है. इसलिए समिति की रिपोर्ट के साथ एक बार फिर खिलवाड़ न करें, नहीं तो सरकार को ध्यान रखना चाहिए कि इस समिति को महाराष्ट्र में काम नहीं करने दिया जाएगा."
'मराठी लोगों को साथ आते देखना खुशी की बात'
मनसे प्रमुख ने आगे लिखा, "अब मराठी लोगों को भी इससे सबक लेना चाहिए. हमारे ही लोग आपके अस्तित्व, आपकी भाषा को पूरी तरह से नष्ट करने के लिए बैठे हैं और उनके लिए इसका उस भाषा से कोई लेना-देना नहीं है जिसमें उन्होंने सीखा, पले-बढ़े, जिस भाषा से वे परिचित हैं. वे शायद किसी को खुश करना चाहते हैं. इस बार मराठी मन का सामूहिक गुस्सा देखने को मिला, इसे बार-बार देखना चाहिए. खैर, लेकिन मराठी लोगों को भाषा के लिए एक साथ आते देखना खुशी की बात है. यह कटुता और मजबूत हो, तथा मराठी भाषा ज्ञान और वैश्विक मामलों की भाषा बने. एक बार फिर मराठी लोगों को बधाई."
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Source: IOCL























