महाराष्ट्र: ठाणे में स्वतंत्रता दिवस पर मांस पर बैन का आदेश, शरद पवार के नेता बोले- 'मैं रखूंगा मटन पार्टी'
Maharashtra News: कल्याण डोंबिवली महानगरपालिका ने स्वतंत्रता दिवस पर मांस बिक्री पर रोक लगाई, जिसका NCP और शिवसेना UBT ने विरोध किया. इसे नागरिकों के भोजन विकल्पों का उल्लंघन बताया गया.

महाराष्ट्र के ठाणे जिले के कल्याण डोंबिवली महानगरपालिका (KDMC) ने स्वतंत्रता दिवस (Independence Day 2025) पर मांस की बिक्री पर रोक लगाने का आदेश दे दिया है, जिससे विवाद खड़ा हो गया. शरद पवार की एनसीपी और उद्धव ठाकरे की शिवसेना यूबीटी ने इसपर तीखी प्रतिक्रिया जाहिर की है.
शरद पवार गुट और उद्धव ठाकरे गुट ने KDMC के इस आदेश को जनता के भोजन विकल्पों का उल्लंघन करार दिया है. महानगरपालिका जारी नोटिस का जवाब देते हुए एनसीपी-एसपी विधायक जितेंद्र आव्हाड ने कहा कि 15 अगस्त को 'मटन पार्टी' आयोजित करेंगे, ताकि लोगों के लिए खाने की वैरायटी होने के हक और 'आजादी' का संदेश दे सकें.
बूचड़खाने और कसाई की दुकानें बंद रखने का आदेश
दरअसल, कल्याण-डोंबिवली महानगरपालिका की ओर से जारी नोटिस में कहा गया कि सभी बूचड़खाने और बकरियां, भेड़, मुर्गे तथा बड़े जानवर काटने वाले लाइसेंस प्राप्त कसाई 14 अगस्त की आधी रात से 15 अगस्त की आधी रात तक 24 घंटे के लिए अपना काम बंद रखेंगे.
इतना ही नहीं, महानगरपालिका ने चेतावनी भी दी है कि अगर इस अवधि में किसी भी पशु का वध किया गया या उसका मांस बेचा गया तो महाराष्ट्र नगर निगम अधिनियम, 1949 के तहत कार्रवाई की जाएगी.
'1988 से हर साल जारी होता है यह आदेश'- महानगरपालिका
संपर्क करने पर केडीएमसी की उपायुक्त (लाइसेंस) कंचन गायकवाड़ ने जानकारी दी कि नगर निकाय के प्रस्ताव के तहत 1988 से हर साल इसी तरह का आदेश जारी किया जाता रहा है. इस आदेश पर हस्ताक्षर करने वालीं कंचन गायकवाड़ ने बताया कि यह कदम सार्वजनिक व्यवस्था सुनिश्चित करने और महत्वपूर्ण राष्ट्रीय अवसरों का पालन करने के लिए लंबे समय से चले आ रहे प्रशासनिक संकल्पों के अनुरूप है. हालांकि, विपक्ष ने इस फैसले पर असहमति जताई है.
जितेंद्र आव्हाड ने इसपर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘‘मैं उस दिन मटन पार्टी रखने की योजना बना रहा हूं. जिस दिन हमें आजादी मिली थी, उसी दिन तुम हमसे अपनी मर्जी से खाने की आज़ादी छीन रहे हो.’’ इससे पहले, मुंब्रा-कलवा निर्वाचन क्षेत्र से विधायक ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘यह बहुत ज्यादा है. आप कौन होते हैं यह तय करने वाले कि लोग क्या और कब खाएंगे?’’
वहीं, शिवसेना यूबीटी नेता आदित्य ठाकरे ने लोगों के भोजन के विकल्प तय करने के लिए केडीएमसी आयुक्त को निलंबित करने की मांग की. उन्होंने कहा, “उपायुक्त लोगों को यह बताने वाला कौन होता है कि वे मांसाहारी खाना खा सकते हैं या नहीं?”
'समझ से परे है यह प्रतिबंध'- शरद पवार गुट
इसके अलावा, भिवंडी के सांसद और एनसीपी (एसपी) नेता सुरेश म्हात्रे ने भी इस प्रतिबंध का कड़ा विरोध किया और इसे लोगों की पारंपरिक भोजन आदतों का उल्लंघन बताया. उन्होंने कहा, ‘‘क्या खाना चाहिए और क्या नहीं, यह लोगों का व्यक्तिगत मामला है. स्थानीय मछुआरा समुदाय शाकाहारी और मांसाहारी दोनों तरह का भोजन करता है. खाने की आदतें राज्य के विभिन्न हिस्सों में प्रचलित परंपराओं के अनुसार तय होती हैं. मांस की बिक्री पर प्रतिबंध समझ से परे है.’’
कल्याण (पश्चिम) के विधायक और शिवसेना नेता विश्वनाथ भोईर ने केडीएमसी के फैसले का समर्थन किया. उन्होंने कहा, ‘‘लोग नोटिस का विरोध नहीं कर रहे हैं. अगर कोई एक दिन मांस नहीं खाएगा तो क्या बात है? विपक्ष तो सिर्फ आलोचना करना जानता है.’’
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Source: IOCL























