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MP Politics: महाकाल लोक के बाद सीएम शिवराज के 'मास्टर प्लान' पर गरमाई राजनीति, कांग्रेस नेता ने लगाए ये गंभीर आरोप

MP Master Plan: पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने शिवराज सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि सिंहस्थ बाईपास की जो भूमि सिंहस्थ 2016 में मेले के लिए आरक्षित थी, उसे आवासीय कर दिया गया है.

Mahakal Lok Master Plan: उज्जैन में महाकाल महलों की राजनीति के बाद अब मास्टर प्लान की राजनीति गरमा गई है. कांग्रेस ने बीजेपी सरकार पर सिंहस्थ क्षेत्र की भूमि को आवासी करने का आरोप लगाया है. इस पूरे मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) ने भी मास्टर प्लान में परिवर्तन के संकेत दिए हैं.

उज्जैन में चली आंधी के बाद महाकाल लोग की 6 प्रतिमाएं खंडित हो गईं, जिसके बाद कांग्रेस ने बीजेपी सरकार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए. अब कांग्रेस मास्टर प्लान को लेकर गंभीर आरोप लगा रही है. पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा के मुताबिक शिवराज सरकार के एक मंत्री को फायदा पहुंचाने के लिए मास्टर प्लान को गलत तरीके से पास किया गया है. सिंहस्थ बाईपास की तमाम भूमि जो सिंहस्थ 2016 में मेले के लिए आरक्षित की गई थी, उसे परिवर्तित करते हुए आवासीय कर दिया गया है. 

दूसरी तरफ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मास्टर प्लान को लेकर आवश्यकता होने पर परिवर्तन के भी संकेत दिए हैं. उल्लेखनीय है कि नए मास्टर प्लान को लेकर लंबे समय से लोगों को उम्मीदें थी. मास्टर प्लान 2035 के लागू होने के बाद अब यह भी विवादों में घिर गया है. मध्य प्रदेश में इस साल विधानसभा चुनाव होना है, ऐसे में कांग्रेस हर मुद्दे को सरकार के खिलाफ उठा रही है.

सिंहस्थ 2016 में खाली पड़ी रह गई थी जमीन
सिंहस्थ 2016 को लेकर सरकार ने व्यापक पैमाने पर तैयारियां की थी. इस दौरान सिंहस्थ बाईपास के इलाके की जमीन को सेटेलाइट डाउनलोड पार्किंग के लिए उपयोग किया गया था. हालांकि सेटेलाइट डाउन पूरी तरीके से खाली पड़ा रह गया. इसके अलावा किसानों की जमीन को अस्थाई रूप से सेटेलाइट के लिए लिया गया था. 

अब यदि सरकार सिंहस्थ की किसानों की भूमि क्षेत्र में डालती है तो किसानों के आक्रोश का भी सामना करना पड़ सकता है. किसान फूल सिंह के मुताबिक के लिए स्थाई रूप से भूमि का अधिग्रहण किया गया था. सरकार कृषि भूमि को क्षेत्र में डालती है तो इसका खामियाजा सरकार को भुगतना पड़ेगा. इसके अलावा सिंहस्थ 2028 के लिए कोई भी किसान अपनी भूमि नहीं देगा.

क्यों सिंहस्थ के लिए भूमि आरक्षित नहीं चाहते हैं किसान?
यदि भूमि को सिंहस्थ के लिए आरक्षित कर दिया जाता है तो फिर उस भूमि पर कभी भी पक्की निर्माण निर्माण की अनुमति नहीं मिलती है. इसके अलावा 12 साल में एक बार 2 महीने के लिए सरकार उसका अधिग्रहण करती है. ऐसी स्थिति में किसानों की भूमि पर कभी भी कॉलोनी का विकास नहीं हो सकता है. इसके अलावा किसान भी इसका व्यवसायिक उपयोग नहीं कर सकता है. सिंहस्थ मेला क्षेत्र की भूमि की कीमत भी दूसरी भूमि से काफी कम हो जाती है. 

इन्हीं बड़े कारणों से किसान अपनी भूमि को सिंहस्थ मेला क्षेत्र में नहीं देना चाहते हैं. किसानों का कहना है कि सरकार सिंहस्थ के लिए आरक्षित भूमि को अतिक्रमण मुक्त नहीं करा पाई और नई जमीन को सिंहस्थ मेला क्षेत्र के लिए आरक्षित किया जा रहा है, यह गलत है.

सिंहस्थ मेले की जमीन पर भारी अतिक्रमण
सिंहस्थ 2004 में जिला प्रशासन ने 2560 हेक्टेयर भूमि पर मेला क्षेत्र लगाया था इसके बाद सिंहस्थ 2016 में लोगों की भीड़ को देखते हुए 4150 हेक्टेयर भूमि पर सिंहस्थ मेला लगाया गया था इसमें कुछ भूमि आई स्थाई रूप से अधिग्रहित की गई थी अब सिंगर 2028 में 6000 से अधिक हेक्टेयर भूमि पर सिंहस्थ मेला क्षेत्र लगाए जाने की उम्मीद है. 

ऐसे में सिंहस्थ की भूमि पर लगातार अतिक्रमण भी हो रहा है. सिंहस्थ 2016 के बाद जिला प्रशासन ने भू माफियाओं पर 17 एफआईआर दर्ज करवाई.

यह भी पढ़ें: Mahakal Lok: खंडित प्रतिमा मामले में कांग्रेस ने हाई कोर्ट से की जांच कराने की मांग, BJP ने बताया 'गंदी राजनीति'

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