Watch : महाकौशल और विंध्य इलाकों पर BJP का जोर, कैलाश विजयवर्गीय ने कार्यकर्ताओं को दी ये सलाह
MP Assembly Elections: विंध्य में मैहर से विधायक नारायण त्रिपाठी ने नई पार्टी बना कर समीकरण बिगाड़ दिया है. बीजेपी के बागी विधायक नारायण त्रिपाठी ने सभी 30 सीटों से उम्मीदवार उतारने का एलान किया है.

Madhya Pradesh BJP: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) सिर पर है. ऐसे में बीजेपी (BJP) को अपने नए-पुराने सभी कार्यकर्ताओं की याद आ रही है. इसके लिए बड़े नेताओं को नाराज चल रहे कार्यकर्ताओं को मनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय (Kailash Vijayvargiya) ने इसी अभियान के तहत गुरुवार को महाकौशल और विंध्य क्षेत्र का दौरा किया.
उन्होंने इत्मीनान से सबकी बातें सुनीं. इसके बाद अपनी बात कही. बताते चलें कि इन दोनों इलाकों में विधानसभा की 68 सीटें आती हैं. अगली सरकार बनाने के लिए यहां से बहुमत हासिल करना बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती है.
आलाकमान तक शिकायतें पहुंचाने का आश्वासन
पार्टी के अंदरूनी सूत्र बताते हैं कि राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय की बैठकों का लब्बोलुआब यही था कि अभी पार्टी की जीत के लिए कार्यकर्ताओं को जुट जाना चाहिए. नाराजगी बाद में भी दूर की जा सकती है. हालांकि, उन्होंने कार्यकर्ताओं की शिकायतों को पार्टी के आलाकमान तक पहुंचाने का आश्वासन भी दिया. असल मुद्दा मंत्रियों और विधायकों द्वारा कार्यकर्ताओं को सम्मान न देने का था.
पार्टी के आंतरिक सर्वे के अनुसार, महाकौशल इलाके में मैदानी स्तर पर बीजेपी के लिए काफी कठिनाइयां हैं. इसीलिए राजनीतिक नेतृत्व के साथ—साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक भी पार्टी के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं के घर-घर जाकर फीडबैक ले रहे हैं.
हमेशा से चौंकाने वाले रहे हैं परिणाम
राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण महाकौशल इलाके में जबलपुर, छिंदवाड़ा, कटनी, सिवनी, नरसिंहपुर, मंडला, डिंडोरी और बालाघाट जिले हैं. यहां के चुनाव परिणाम हमेशा ही चौकाने वाले रहे हैं. 2018 के चुनाव में बीजेपी को महाकौशल इलाके से निराशा हाथ लगी थी. इसकी बड़ी वजह आदिवासियों की नाराजगी मानी गईं थी. कांग्रेस ने कमलनाथ को सीएम का चेहरा बनाकर चुनाव लड़ा था. इससे उनके गृह जिले छिंदवाड़ा की सभी 7 सीट कांग्रेस ने जीत ली थीं. इसी तरह जबलपुर में कांग्रेस को 8 में से 4 सीटें मिली थीं.
2018 में कांग्रेस को मिली थीं 24 सीटें
साल 2018 के चुनाव में महाकौशल की 38 में से 24 सीटें कांग्रेस के खाते में गईं. वही,बीजेपी को 13 सीटों से ही संतोष करना पड़ा. 1 सीट निर्दलीय उम्मीदवार ने जीती. अब बड़ा सवाल है कि क्या 2023 के चुनाव में भी कांग्रेस ऐसा ही प्रदर्शन कर पाएगी या बीजेपी को बड़ी सफलता मिलेगी? वैसे ही कांग्रेस ने महाकौशल से आने वाले कमलनाथ को ही अपना सीएम चेहरा बनाया है.इसलिए अगले चुनाव में यहां से कांग्रेस को अच्छा नतीजा देने की उम्मीद है.
विंध्य इलाके में आगे रही थी बीजेपी
विंध्य इलाके में 7 जिले सतना, रीवा, सीधी, सिंगरौली, शहडोल, उमरिया व अनूपपुर आते हैं. यहां कुल 30 विधानसभा सीटें हैं. 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 24 और कांग्रेस को 6 सीटें मिली थीं. बसपा और सपा को यहां अनुमान के विपरीत मुंह की खानी पड़ी थी. 2013 के चुनाव में कांग्रेस को विंध्य इलाके से 10 सीटें मिली थी. बीजेपी ने 2018 में कांग्रेस के कब्जे से 4 सीटें छीनते हुए मात्र 6 सीटों पर समेट कर रख दिया था.
इस नेता ने बिगाड़ा बीजेपी का समीकरण
इस बार विंध्य में बीजेपी और कांग्रेस के अलावा मैहर से विधायक नारायण त्रिपाठी ने भी एक नई पार्टी बना कर यहां का राजनीतिक समीकरण बिगाड़ दिया है. बीजेपी के बागी विधायक नारायण त्रिपाठी ने अपने नए दल विंध्य जनता पार्टी के बैनर तले सभी 30 सीटों से उम्मीदवार उतारने का एलान किया है. माना जा रहा है कि नारायण त्रिपाठी की पार्टी बीजेपी को बड़ा नुकसान कर सकती है. अब बीजेपी के लिए 2018 का प्रदर्शन दोहराना चुनौती बन गया है.
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