Poverty in Madhya Pradesh: नीति आयोग का दावा, '9 साल में मध्य प्रदेश के 2.30 करोड़ लोगों को गरीबी से मिली मुक्ति'
Multidimensional Poverty: नीति आयोग ने हाल ही में बहुआयामी गरीबी से मुक्ति को लेकर डिसकशन पेपर जारी किया है. इसके मुताबिक मध्य प्रदेश में बड़ी तेजी से गरीबी के आंकड़ों में सुधार दर्ज किया गया है.
Multidimensional Poverty in Madhya Pradesh: नीति आयोग ने हाल ही में एक डिसकशन पेपर जारी करते हुए बताया है कि भारत के 24.82 करोड़ लोग पिछले 9 साल के दौरान गरीबी के दलदल से बाहर निकले हैं. इस दौरान राज्यवर डेटा की पड़ताल की गई, जिसके मुताबिक सबसे ज्यादा गरीब राज्यों ने सबसे बेहतरीन प्रदर्शन किया है. मध्य प्रदेश भी उन राज्यों में शामिल है, जिसने बहुआयामी गरीबी के आंकड़ों में तेजी से सुधार दर्ज किया है. 9 साल में मध्य प्रदेश के 2.30 करोड़ लोगों को बहुआयामी गरीबी से मुक्ति मिली है.
मध्य प्रदेश उन राज्यों में शामिल है, जहां लोग बहुत तेजी से बहुआयामी गरीबी से बाहर निकले हैं. 2015-16 से तुलना की जाए तो मध्य प्रदेश के 1.36 करोड़ लोग इस दौरान बहुआयामी गरीबी के दलदल से बाहर निकलने में कामयाब हुए हैं. बहुआयामी गरीबी से बाहर निकलने वालों की सबसे ज्यादा संख्या उत्तर प्रदेश में दर्ज की गई है. उसके बाद बिहार और तीसरे नंबर पर मध्य प्रदेश है, जिसके 2.3 करोड़ लोग पिछले 9 सालों में अलग-अलग तरह की गरीबी से बाहर निकले हैं.
अब मध्य प्रदेश की 20.63 फीसदी आबादी ही गरीब
मध्य प्रदेश में फिलहाल 20.63 फीसदी लोग अलग-अलग तरह की गरीबी में जकड़े हुए हैं. 2015-16 के आंकड़ों से तुलना की जाए तो उस समय राज्य की 36.57 फीसदी आबादी बहुआयामी गरीबी में जकड़ी हुई थी. वहीं अगर तुलना 2005-06 के समय से की जाए तो तब राज्य की 69.44 फीसदी आबादी बहुआयामी गरीबी की श्रेणी में आती थी. यानी तब से अब तक 48.81 फीसदी लोग मध्य प्रदेश में बहुआयामी गरीबी के आंकड़े से बाहर आ गए हैं. इनमें से 12.24 फीसदी लोग पिछले 9 सालों के भीतर ही बहुआयामी गरीबी के आंकड़ों से आजाद हुए हैं.
9 साल में 24.82 करोड़ भारतीयों को मिली गरीबी से मुक्ति
नीति आयोग के इस डिसकशन पेपर के मुताबिक 2013-14 में भारत में बहुआयामी गरीब आबादी की संख्या 29.17 फीसदी थी जो कि 2022-23 में गिरकर 11.28 फीसदी हो गई है. यानी इस दौरान भारत के 24.82 करोड़ लोग अलग-अलग तरह की गरीबी से मुक्त हो चुके हैं.
क्या होता है बहुआयामी गरीबी?
आमतौर पर गरीबी को आर्थिक आय के जरिए ही देखा जाता है, लेकिन बहुआयामी गरीबी में कई अन्य पैमानों के जरिए गरीबी तय की जाती है. बहुआयामी गरीबी का पता लगाने के लिए आर्थिक आय के अलावा स्वास्थ्य, शिक्षा और जीने के तौर-तरीकों की भी पड़ताल की जाती है. ये आंकड़े हाल ही में नीति आयोग ने मल्टीडाइमेंसनल पॉवर्टी इन इंडिया के डिसकशन पेपर में जारी किए हैं. बहुआयामी गरीबी को 12 पैमानों पर मापा गया है, जबकि ग्लोबल मल्टीडाइमेंसनल पॉवर्टी को 10 पैमानों पर ही मापा जाता है.
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