राहुल गांधी पर क्यों भड़क गए BJP सांसद निशिकांत दुबे? बोले- 'हे भगवान...'
Nishikant Dubey News: राहुल गांधी ने चुनाव आयुक्त के चयन में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के उल्लंघन का आरोप लगाया. इसके जवाब में, बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने कांग्रेस पर निशाना साधा है.

Nishikant Dubey on Rahul Gandhi: देश के नए मुख्य चुनाव आयुक्त का चयन हो गया है. चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से संबंधित नए कानून के तहत नियुक्त होने वाले पहले मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार बन गए हैं. इसको लेकर लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने एक्स पोस्ट कर आरोप लगाया कि चुनाव आयुक्त के चयन के दौरान सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन हुआ है. इसको लेकर अब बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे का बयान आया है.
झारखंड की गोड्डा लोकसभा सीट से सांसद डॉ. निशिकांत दुबे ने सोशल मीडिया एक्स पर राहुल गांधी का पोस्ट शेयर करते हुए लिखा, "सौ चूहे खाकर बिल्ली चली हज को? ऐलचा, बेलचा, चमचा को ज़िंदगी भर चुनाव आयुक्त बनाने वाली कांग्रेस मर्यादा की बात करती है. हे भगवान घोर कलयुग."
सौ चूहे खाकर बिल्ली चली हज को ? ऐलचा,बेलचा,चमचा को ज़िंदगी भर चुनाव आयुक्त बनाने वाली कांग्रेस मर्यादा की बात करती है,हे भगवान घोर कलयुग https://t.co/m9CYzfAGdt
— Dr Nishikant Dubey (@nishikant_dubey) February 19, 2025
राहुल गांधी ने क्या कहा?
राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर लिखा, "अगले चुनाव आयुक्त का चयन करने के लिए समिति की बैठक के दौरान, मैंने प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को एक असहमति नोट प्रस्तुत किया था, जिसमें कहा था: कार्यकारी हस्तक्षेप से मुक्त एक स्वतंत्र चुनाव आयोग का सबसे बुनियादी पहलू चुनाव आयुक्त और मुख्य चुनाव आयुक्त को चुनने की प्रक्रिया है."
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने आगे लिखा, "सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करके और भारत के चीफ जस्टिस को समिति से हटाकर, मोदी सरकार ने हमारी चुनावी प्रक्रिया की अखंडता पर करोड़ों मतदाताओं की चिंताओं को बढ़ा दिया है."
राहुल गांधी ने आगे लिखा, "नेता प्रतिपक्ष के तौप पर यह मेरा कर्तव्य है कि मैं बाबासाहेब अंबेडकर और हमारे देश के संस्थापक नेताओं के आदर्शों को कायम रखूं और सरकार को जिम्मेदार ठहराऊं. नए सीईसी का चयन करने के लिए आधी रात को निर्णय लेना प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के लिए अपमानजनक और असभ्य दोनों है, जब समिति की संरचना और प्रक्रिया को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा रही है और अड़तालीस घंटे से भी कम समय में सुनवाई होनी है."
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Source: IOCL























