जम्मू-कश्मीर: DDC का भी होगा पंचायतों जैसा हश्र? अधर में चुनावी प्रक्रिया, नए CEC की नियुक्ति नहीं
Jammu Kashmir DDC Elections: जम्मू-कश्मीर में ज़िला विकास परिषदों (डीडीसी) का कार्यकाल जनवरी में समाप्त हो रहा है, लेकिन राज्य चुनाव आयोग के निष्क्रिय होने से चुनाव प्रक्रिया अधर में है.

पंचायतों, खंड विकास परिषदों (बीडीसी) और नगर पालिकाओं के बाद, जम्मू-कश्मीर में एकमात्र कार्यरत पंचायती राज संस्था, ज़िला विकास परिषदें (डीडीसी) अगले साल जनवरी के मध्य में अपना कार्यकाल पूरा करेंगी. लेकिन राज्य चुनाव आयोग (एसईसी) के चार महीने से निष्क्रिय होने के कारण, आरक्षित सीटों के परिसीमन और चक्रानुक्रमण के लिए आवश्यक प्रक्रिया कहीं नजर नहीं आ रही है, जिससे संकेत मिलता है कि डीडीसी का भी पंचायतों जैसा ही हश्र होगा.
नगर पालिकाओं के अलावा पंचायती राज संस्थाओं के तीनों स्तरों के चुनाव कराने के लिए ज़िम्मेदार राज्य चुनाव आयोग 26 अप्रैल से यानी साढ़े चार महीने से ज़्यादा समय से आयुक्त के बिना है. सूत्रों ने बताया कि अभी तक नए एसईसी की नियुक्ति नहीं हुई है, हालाँकि आयोग में कुछ कर्मचारी काम कर रहे हैं, लेकिन एसईसी के बिना चुनाव प्रक्रिया शुरू नहीं की जा सकती.
अध्यक्षों के पद थे आरक्षित
केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर संभागों में 10-10 डीडीसी हैं, जिनका गठन इतिहास में पहली बार जनवरी 2021 में हुआ था, जब नवंबर-दिसंबर 2020 में इनके लिए चुनाव हुए थे. प्रत्येक डीडीसी में 14 सदस्य थे, जिनमें महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत और अनुसूचित जातियों व जनजातियों के लिए भी कोटा निर्धारित था. अध्यक्षों के पद भी आरक्षित थे.
सूत्रों ने बताया कि यदि निर्वाचन क्षेत्रों का नया परिसीमन नहीं भी किया जाता है, तो आरक्षित सीटों को रोटेट करना होगा, जिसके लिए चुनाव कराने से पहले ग्रामीण विकास विभाग (आरडीडी) द्वारा एक प्रक्रिया अपनाई जानी है.
'प्रत्येक जिले में 14 डीडीसी सीटें होना नहीं है उचित'
विभिन्न राजनीतिक नेताओं ने मांग की है कि प्रत्येक जिले में समान संख्या में 14 डीडीसी सीटें होना उचित नहीं है क्योंकि जम्मू और श्रीनगर जैसे जिलों की जनसंख्या और मतदाता सांबा, शोपियां, कुलगाम, बांदीपोरा और रामबन आदि जिलों की तुलना में कहीं अधिक हैं. उनका मानना था कि डीडीसी सीटों का निर्धारण जनसंख्या, क्षेत्रफल और मतदाताओं के आधार पर होना चाहिए.
अगले साल जनवरी-फरवरी में हुआ था डीडीसी का औपचारिक गठन
2020 में, डीडीसी चुनावों की अधिसूचना 4 नवंबर को जारी की गई थी और 28 नवंबर से 19 दिसंबर तक आठ चरणों में मतदान हुआ था. मतगणना 22 दिसंबर को हुई थी. डीडीसी का औपचारिक गठन अगले साल जनवरी-फरवरी में हुआ था. ऊपरी इलाकों में बर्फबारी के कारण जम्मू-कश्मीर में दिसंबर के अंत से फरवरी तक चुनाव नहीं हो सकते.
सूत्रों ने बताया कि अगर पिछले चुनाव की अधिसूचना की तारीख यानी 4 नवंबर को ध्यान में रखा जाए, तो अब मतदाता सूची के प्रकाशन, आरक्षित सीटों के रोटेशन और परिसीमन जैसी बाकी तैयारियों के लिए दो महीने से भी कम समय बचा है, अगर ऐसा करना है, लेकिन ऐसा कोई काम होता नहीं दिख रहा है.
पंचायतों का कार्यकाल 9 जनवरी, 2024 को समाप्त हो रहा है. ब्लॉक विकास परिषदों का कार्यकाल भी उसी दिन समाप्त हो रहा है क्योंकि उनका कार्यकाल पंचायतों के कार्यकाल के साथ ही समाप्त हो रहा था. नगर पालिका ने नवंबर-दिसंबर 2023 में अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा कर लिया. सूत्रों ने बताया कि अब, पंचायती राज के तीन स्तरों में से डीडीसी ही एकमात्र संस्था है जो बची हुई है और अगले कुछ महीनों में समाप्त होने वाली है.
नगरपालिकाओं के चुनाव अक्टूबर-नवंबर 2018 में हुए थे और उसके बाद उसी वर्ष नवंबर-दिसंबर में पंचायतों के चुनाव हुए थे. जहां पंचायत चुनाव लगभग चार दशकों के बाद हुए थे, वहीं नगरपालिका चुनाव 13 वर्षों के बाद हुए थे.
जम्मू क्षेत्र के 10 डीडीसी में से छह पर भाजपा का शासन है, जिनमें जम्मू, सांबा, कठुआ, उधमपुर, रियासी और डोडा शामिल हैं, जबकि सत्तारूढ़ नेशनल कॉन्फ्रेंस तीन डीडीसी-किश्तवाड़, रामबन और राजौरी में सत्ता में है. एक निर्दलीय सदस्य डीडीसी पुंछ का अध्यक्ष है.
Source: IOCL






















