जम्मू: मनोज सिन्हा से मिले बीजेपी विधायक, SMVDIME की पहली एडमिशन लिस्ट रद्द करने की मांग
Jammu News: जम्मू में बीजेपी विधायकों ने एलजी मनोज सिन्हा से मिलकर एसएमवीडीआईएमई की पहली प्रवेश सूची रद्द करने की मांग की. आरोप है कि 50 में से 41 MBBS सीटें एक ही समुदाय को मिलीं.

जम्मू में शनिवार (22 नवंबर) देर शाम एक बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम देखने को मिला, जब बीजेपी के विधायकों का एक प्रतिनिधिमंडल जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से मिलने राजभवन पहुंचा. प्रतिनिधिमंडल ने रियासी जिले में स्थित श्री माता वैष्णो देवी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एक्सीलेंस द्वारा जारी पहली एमबीबीएस एडमिशन लिस्ट को रद्द करने की मांग की है.
बीजेपी विधायक और जम्मू-कश्मीर विधानसभा में विपक्ष के नेता सुनील शर्मा के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने एलजी के सामने यह मुद्दा उठाया. प्रतिनिधिमंडल का आरोप है कि चयन सूची में दाखिला पाने वाले 41 छात्र एक ही समुदाय से आते हैं. विधायक दल के अनुसार यह चयन प्रक्रिया संदेह के दायरे में है और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े करती है.
जानकारी के अनुसार, विधायकों ने कहा कि यह संस्थान माता वैष्णो देवी की आस्था से जुड़ा है और यहां श्राइन बोर्ड द्वारा भक्तों से मिलने वाले दान का उपयोग होता है. ऐसे में प्रवेश प्रक्रिया पूरी तरह निष्पक्ष और धार्मिक आस्था का सम्मान करने वाली होनी चाहिए. प्रतिनिधिमंडल ने प्रशासन से अनुरोध किया कि माता में आस्था रखने वाले छात्रों को भी प्रवेश में प्राथमिकता दी जाए.
विधायकों ने एलजी को सौंपा ज्ञापन
राजभवन द्वारा जारी बयान के अनुसार, इस बैठक में सुनील शर्मा के साथ विधायक शाम लाल शर्मा, सुरजीत सिंह सलाथिया, देवेंद्र कुमार मन्याल और रणबीर सिंह पठानिया भी शामिल हुए. एलजी से मुलाकात के दौरान विधायकों ने प्रवेश प्रक्रिया की संपूर्ण समीक्षा की मांग उठाई.
बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए सुनील शर्मा ने कहा कि एसएमवीडीआईएमई की पहली प्रवेश सूची में असामान्य स्थिति देखने को मिली है. अधिकांश सीटें एक विशेष समुदाय के छात्रों को दी गई हैं, जिससे दूसरे समुदायों के छात्रों के साथ भेदभाव हुआ प्रतीत होता है.
50 सीटों पर पहले बैच को लेकर विवाद
गौरतलब है कि एसएमवीडीआईएमई को इस वर्ष 50 एमबीबीएस सीटों की मंजूरी मिली है. वर्ष 2025–26 के पहले बैच के लिए जारी सूची में 41 छात्रों का एक ही समुदाय से होने का दावा किया गया है. इससे जुड़े कुछ दक्षिणपंथी संगठनों ने भी प्रवेश प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं.
अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा देने की मांग भी उठी
विवाद बढ़ने के साथ ही कुछ समूहों ने इस मेडिकल कॉलेज को अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा देने की भी मांग की है, ताकि प्रवेश प्रक्रिया में उस समुदाय के छात्रों को प्राथमिकता मिल सके. फिलहाल प्रशासन इस मामले पर गंभीरता से विचार कर रहा है. एलजी कार्यालय की ओर से जल्द ही प्रवेश प्रक्रिया की समीक्षा या आगे की कार्रवाई को लेकर स्पष्ट बयान जारी होने की उम्मीद है.
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Source: IOCL





















