CBI के शिकंजे में खुद भी फंसे और परिवार को भी फंसाया, जानें कौन हैं IAS अधिकारी राजीव रंजन?
CBI Raid: आईएएस अधिकारी कुमार राजीव रंजन का नाम 17 फरवरी को दर्ज की गई प्राथमिकी में था. अब सीबीआई ने आईएएस के पारिवारिक सदस्यों पर भी आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया है.

Jammu Kashmir News: आईएएस अधिकारी कुमार राजीव रंजन (IAS Rajiv Ranjan) केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के शिकंजे में फंस गए हैं. सीबीआई ने कुमार राजीव रंजन के साथ पारिवारिक सदस्यों पर भी आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का मामला दर्ज किया है. 2010 बैच के आईएएस अधिकारी जम्मू-कश्मीर में सचिव पद पर श्रम और रोजगार विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं.
बुधवार को आईएएस अधिकारी रंजन के जम्मू स्थित कार्यालय की सीबीआई ने तलाशी ली थी. वाराणसी, श्रीनगर और गुरुग्राम में भी रंजन से जुड़ी संपत्तियों सहित सात स्थानों पर सीबीआई की टीम ने छापा मारा था. श्रम और रोजगार विभाग के सचिव बनाए जाने से पहले रंजन डिप्टी कमिश्नर रह चुके हैं. रंजन को कुपवाड़ा का डिप्टी कमिश्नर बनाया गया था.
आईएएस अधिकारी कुमार राजीव रंजन बुरे फंसे
हथियार लाइसेंस घोटाले में कथित संलिप्तता की वजह से रंजन सीबीआई की जांच के दायरे में थे. 2012 से 2016 के बीच जम्मू कश्मीर में फर्जी गन लाइसेंस घोटाला उजागर हुआ था. रिश्वत के बदले अपात्र व्यक्तियों को 2.78 लाख से अधिक शस्त्र लाइसेंस जारी किए गए थे. अधिकारियों का अनुमान है कि गन लाइसेंस घोटाला 100 करोड़ रुपये से अधिक का है. गन लाइसेंस घोटाले की जांच सीबीआई 2019 से कर रही है.
CBI ने दर्ज किया आय से अधिक संपत्ति का केस
कहा जा रहा है कि जिला मजिस्ट्रेट, डिप्टी कमिश्नर और लाइसेंसिंग अधिकारियों ने वित्तीय लाभ के लिए शक्ति का दुरुपयोग किया है. आईएएस अधिकारी कुमार राजीव रंजन का नाम 17 फरवरी को प्राथमिकी में दर्ज किया गया है. रंजन के पारिवारिक सदस्यों में कृपा शंकर रॉय और दुलारी देवी की भी जांच की जा रही है. पिछले साल नवंबर में केंद्र सरकार ने रंजन के साथ-साथ सात अन्य आईएएस अधिकारियों पर मुकदमा चलाने को मंजूरी दी थी. आरोप है कि आईएएस अधिकारियों ने जम्मू-कश्मीर में महत्वपूर्ण प्रशासनिक पदों पर रहते हुए भ्रष्टाचार को अंजाम दिया.
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