पहलगाम हमला: कश्मीर के लोगों की आजीविका पर मंडराया संकट, अब अमरनाथ यात्रा से है आस
Pahalgam News: कभी टूरिस्ट से भरा हुआ पहलगाम आज आतंकी हमले के बाद बिल्कुल वीरान पड़ा हुआ है. 22 अप्रैल को हुए हमले से लोगों के दिल में दहशत फैला दी है और साथ ही हमले में कितने लोगों ने जान भी गवाई.

Pahalgam Terror Attack: दक्षिण कश्मीर के पहलगाम में टूरिस्ट पर भीषण आतंकी हमले के एक महीने बाद स्थानीय लोगों की आजीविका पर संकट मंडरा रहा है. यहां टूरिस्ट पर हमले को अंजाम देने वाले आतंकवादी सुरक्षाबलों की गिरफ्त से दूर हैं, लेकिन उनकी धर-पकड़ के लिए व्यापक अभियान चलाया जा रहा है. स्थानीय लोगों को अब अपनी आजीविका को हुए नुकसान की भरपाई के लिए आगामी अमरनाथ यात्रा से उम्मीदें हैं.
22 अप्रैल को हुआ था भीषण हमला
अधिकारियों ने गुरुवार को बताया कि 22 अप्रैल को बैसरन मैदान में हुए भीषण हमले के बाद शुरू किए गए विभिन्न अभियानों में कई शीर्ष आतंकवादी मारे गए हैं, लेकिन (बैसरन) हत्याकांड को अंजाम देने वाले आतंकवादी सुरक्षा बलों की पकड़ से बाहर हैं.
पहलगाम के खूबसूरत बैसरन मैदान में 22 अप्रैल को आतंकवादी घुस आए और उन्होंने 25 टूरिस्ट और उन्हें बचाने की कोशिश करने वाले एक स्थानीय व्यक्ति की गोली मारकर हत्या कर दी. हालांकि इन आतंकवादियों की सही संख्या का पता नहीं चल पाया है, लेकिन सूत्रों ने बताया है कि चार से छह आतंकवादी थे.
पहले धर्म पता किया फिर मारी गोली
प्रारंभिक जांच से पता चला है कि आतंकवादियों ने इन टूरिस्ट को ‘कलमा’ पढ़ने के लिए कहकर उनका धर्म पता किया और फिर गोली मारकर उनकी जान ले ली. अधिकारियों ने बताया कि सुरक्षा बल इन आतंकवादियों की धर-पकड़ के लिए अनथक अभियान चला रहे हैं. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया, ‘‘वे अब तक सुरक्षा बलों को चकमा देने में भले ही कामयाब रहे हैं, लेकिन उन्हें पकड़ने में ज्यादा समय नहीं लगेगा.’’
इस सिलसिले में सुरक्षा तंत्र ने नरसंहार के अपराधियों की तलाश के लिए बड़े पैमाने पर कार्रवाई शुरू की, जिसके तहत कश्मीर में हजारों संदिग्धों को पूछताछ के लिए बुलाया गया, जबकि सैकड़ों लोगों को हिरासत में लिया गया.
कभी इतना वीरान नहीं हुआ था पहलगाम
करीब 100 लोगों पर जन सुरक्षा अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया और उन्हें विभिन्न जेलों में डाला गया. ऐसी खबरें हैं कि सुरक्षा बलों ने उन युवाओं को भी हिरासत में लिया है, जो पहले भी आतंकवाद से जुड़े होने के कारण जेल की सजा काट चुके हैं. इस बीच, पहलगाम और आसपास के इलाकों में रह रहे लोग टूरिस्ट के नहीं आने से हो रहे अपने नुकसान को गिना रहे हैं. टूर ऑपरेटर नासिर अहमद ने कहा, ‘‘यह जगह वीरान दिखती है. पहलगाम में हर दिन हजारों पर्यटक आते थे, जिससे दुकानदारों, सड़क किनारे सामान बेचने वालों, टट्टू वालों, टैक्सी चालकों और होटल व्यवसायियों समेत सभी को आजीविका के अवसर मिलते थे.’’
उन्होंने कहा कि 1990 के दशक के प्रारंभ में आतंकवाद के चरम पर पहुंचने पर भी पहलगाम में इतनी वीरानी नहीं थी. उन्होंने कहा, ‘‘सबसे बुरे दौर में हम स्थानीय आगंतुकों (कश्मीरियों) की मेजबानी करते थे, जो अर्थव्यवस्था को सहारा प्रदान करता था. हालांकि, इस बार स्थानीय आगंतुक भी नहीं आ रहे हैं.’’
कब से शुरू हो रही है अमरनाथ यात्रा?
दुकानदार मोहम्मद इरशाद ने कहा कि पर्यटन से आजीविका चलाने वालों के लिए स्थिति निराशाजनक होने लगी है. उन्होंने कहा, ‘‘सरकार को कुछ करना होगा. लोगों ने पिछले महीने एक भी पैसा नहीं कमाया है. ऐसा लंबे समय तक ऐसे ही नहीं चल सकता.’’ अब स्थानीय लोगों को उम्मीद है कि तीन जुलाई से शुरू होने वाली अमरनाथ यात्रा उनका भाग्य बदलेगी.
टट्टूवाले सबजार अहमद ने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि अमरनाथ तीर्थयात्री पहलगाम के बारे में धारणा बदलने में मदद करेंगे. यह एक दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी, लेकिन यह कश्मीर की पहचान नहीं है. हम मेहमान-नवाज लोग हैं और अपने मेहमानों का बहुत सम्मान करते हैं.’’ उसने कहा कि चूंकि यात्रा के दौरान सुरक्षा हमेशा चाक-चौबंद रहती है, इसलिए नियमित हिंदू श्रद्धालु अंततः इस प्रवृत्ति को तोड़कर यात्रा के लिए आ सकते हैं.
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Source: IOCL























