सिरमौर में 'जोड़ीदार प्रथा' की शादी फिर सुर्खियों में, संविधान पढ़कर दो भाइयों ने रचाई शादी
Sirmaur News: शिलाई विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले नैनीधार के कलोग गांव के दो सगे भाइयों ने एक साथ संविधान को साक्षी मानकर विवाह किया. जिसकी चर्चा अब चारों तरफ हो रही है.

हिमाचल प्रदेश का सिरमौर जिला एक दुल्हन से दो भाइयों की शादी के बाद काफ़ी सुर्खियों में रहा था. अब एक बार फिर सिरमौर का शिलाई क्षेत्र सुर्खियों में हैं. इस बार भी मामला दो भाइयों की शादी का है, जिसकी चर्चा चारों तरफ है. हालांकि इस बार चर्चा विवाह के रीति रिवाजों का लेकर है.
सिरमौर जिले में दो सगे भाइयों की अनोखी शादी हुई है. जिसमें न पंडित को बुलाया गया, न ही सात फेरे लिए गए. बल्कि दूल्हा बने दोनों भाइयों ने संविधान की शपथ लेकर शादी की. यही नहीं, इस शादी के लिए छपवाए गए कार्ड भी लीक से हटकर दिखे. उन महान विभूतियों के चित्र प्रकाशित किए गए, जिन्होंने सामाजिक कुरीतियों को दूर कर लोगों को जीने की नई राह दिखाई.
बाबा साहेब के विचारों से प्रेरित
शिलाई विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले नैनीधार के कलोग गांव के दो सगे भाइयों ने एक साथ संविधान को साक्षी मानकर विवाह किया. दोनों सगे भाइयों सुनील कुमार बौद्ध और विनोद कुमार आजाद ने संविधान निर्माता डॉ. भीम राव आंबेडकर के विचारों से प्रेरित होकर यह अनोखी पहल की. इन दोनों ने समारोह में बदलाव करते हुए पारंपरिक ब्रह्म विवाह की जगह संविधान को साक्षी मानकर विवाह किया. इनका मानना है कि विवाह दो दिलों का मेल है और इसके लिए किसी परंपरागत रीति और कर्मकांड का होना जरूरी नहीं है.
परंपरागत रस्में भी निभाई
इस शादी में खास बात यह रही कि दोनों भाइयों ने शादी की दूसरी रस्मों को जरूर निभाया. इसमें मामा स्वागत, वर माला, बरात वगैरह दूसरी रस्में शामिल रहीं. दोनों भाइयों की इस पहल को दुल्हन पक्ष के लोगों ने भी पूरा समर्थन दिया. एक भाई सुनील ने शिलाई के कटाड़ी गांव की रितु और दूसरे भाई विनोद ने शिलाई के नाया गांव की रीना वर्मा ने शादी की. परिवार और समाज के og भी इनका समर्थन कर रहे हैं.
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