शिमला में 3507 कुत्तों को लगाए गए एंटी-रेबीज वैक्सीन, अंतरराष्ट्रीय मानकों से अधिक सफलता
Shimla Rabies Vaccination: शिमला नगर निगम ने 15 से 29 अगस्त तक सामूहिक एंटी-रेबीज़ टीकाकरण अभियान सफलतापूर्वक आयोजित किया गया.

हिमाचल प्रदेश में नगर निगम (एमसी) शिमला क्षेत्र में 15 से 29 अगस्त 2025 तक बड़े पैमाने पर सामूहिक एंटी-रेबीज़ टीकाकरण अभियान सफलतापूर्वक संपन्न हुआ. इस अभियान ने न केवल प्रशासनिक समन्वय बल्कि सामुदायिक भागीदारी और राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय संगठनों के सहयोग का भी उत्कृष्ट उदाहरण पेश किया. इस कार्यक्रम का प्रमुख उद्देश्य शिमला को रेबीज़-मुक्त शहर बनाने की दिशा में ठोस कदम बढ़ाना था. मानव और पशु स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बने इस रोग के संचरण को रोकने के लिए अभियान का फोकस आवारा व सामुदायिक कुत्तों में उच्च स्तर का टीकाकरण कवरेज हासिल करना रहा.
संगठनों की सक्रिय भूमिका
जानकारी के अनुसार, इस अभियान में एमसी शिमला, पशुपालन विभाग, मिशन रेबीज़ इंडिया, ह्यूमेन पीपल एनजीओ रामपुर, कम्पैशन फॉर एनिमल वेलफेयर एनजीओ, नेबरहुड वूफ दिल्ली, पीपल फ़ार्म और जस्ट बी फ़्रेंडली असम जैसी संस्थाओं ने मिलकर कार्य किया. साथ ही, स्थानीय डॉग फीडर्स ने भी अपनी-अपनी कॉलोनियों और वार्डों में टीमों को सहयोग देकर अभियान को सफलता की ओर अग्रसर किया.
टीमों की तैनाती और रणनीति
इस अभियान का संचालन जिला नोडल अधिकारी (रेबीज़ नियंत्रण) शिमला, डॉ. अनिल कुमार शर्मा के नेतृत्व में सात विशेष टीमें गठित की गईं. प्रत्येक टीम में वैक्सीनेटर (बीवीएससी इंटर्न), डेटा कलेक्टर, हैंड कैचर, नेट कैचर और ड्राइवर शामिल थे. इन टीमों ने वार्डवार जाकर व्यवस्थित ढंग से टीकाकरण कार्य किया.
उपलब्धियां और आंकड़े
डॉ. शर्मा ने बताया कि इस दौरान कुल 3,507 कुत्तों को एंटी-रेबीज़ वैक्सीन लगाई गई, जोकि शिमला की अनुमानित कुत्ता आबादी का लगभग 90% है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार रेबीज़ संचरण चक्र को रोकने के लिए कम से कम 70% कवरेज जरूरी होता है. इस लिहाज़ से शिमला ने अंतरराष्ट्रीय मानकों से भी अधिक सफलता हासिल की.
इसमें स्थानीय निवासियों और पशु-प्रेमियों ने अभियान की सराहना करते हुए कहा कि इससे न केवल मानव जीवन सुरक्षित होगा बल्कि पशुओं के प्रति मानवीय दृष्टिकोण को भी बढ़ावा मिलेगा. इससे शहर में मानव-कुत्ता संघर्ष की घटनाओं में कमी आने की उम्मीद है.
इसके साथ ही अधिकारियों ने बताया कि यह अभियान सिर्फ एक शुरुआत है. आगे चलकर वार्षिक बूस्टर डोज़ और नए जन्मे पिल्लों का टीकाकरण सुनिश्चित किया जाएगा. साथ ही, शिमला को अगले 3 वर्षों में पूर्ण रूप से रेबीज़-फ्री सिटी घोषित करने का लक्ष्य रखा गया है.
Source: IOCL
























