हिमाचल: हमीरपुर में 15 साल बाद घर लौटे लापता जवान बलदेव, ढोल-नगाड़ों संग हुआ भावुक स्वागत
Himachal Pradesh News: 15 साल से लापता जवान बलदेव के घर लौटने पर घीरथोली गांव में खुशी की लहर दौड़ गई. सोशल मीडिया की मदद से परिवार को उसका सुराग मिला और सालों बाद मिलन संभव हो पाया.

हमीरपुर के ग्राम पंचायत बनाल के घीरथोली गांव में रविवार (7 दिसंबर) का दिन किसी त्योहार से कम नहीं था. पूरे 15 साल बाद गांव का लापता जवान बलदेव अपने घर पहुंचे तो ग्रामीणों ने ढोल-नगाड़ों से उसका जोरदार स्वागत किया. घर-आंगन में आरती उतारी गई, पूजा हुई और रिश्तेदारों का तांता लगा रहा. हर कोई बलदेव को सुरक्षित देखकर भावुक हो उठा.
बलदेव के बड़े भाई प्रताप सिंह बताते हैं कि 15 साल पहले जब बलदेव गायब हुआ, उसी समय उसकी याददाश्त भी चली गई थी. वह कैसे और कब हरियाणा के हिसार स्थित एक गौशाला पहुंच गया, यह किसी को नहीं पता. वहां वह करीब 9 साल तक रहा.
कोरोना महामारी के दौरान गौशाला से उसे बाहर कर दिया गया. इसी बीच राजस्थान के बीकानेर जिले के मलोटी गांव के एक बिश्नोई परिवार की नजर उस पर पड़ी. दयालुता दिखाते हुए वे उसे अपने घर ले गए और कई महीनों तक उसकी देखभाल की.
फेसबुक पर बनाकर डाला वीडियो
बिश्नोई परिवार के सदस्यों ने बताया कि बलदेव अक्सर अपने गांव का नाम बदल-बदलकर बताता था. कभी हमीरपुर चबूतरा, कभी ऊना. उन्हें शक हुआ कि यह व्यक्ति कहीं दूर से भटका हुआ है. इसलिए उन्होंने उसका एक वीडियो बनाकर फेसबुक पर डाल दिया. बस यही वीडियो बलदेव को उसके परिवार तक पहुंचाने का रास्ता बन गया.
वीडियो देखते ही बलदेव की भाभी ने उसे पहचान लिया. परिवार ने तुरंत राजस्थान के लिए रवानगी की और शनिवार को उसे अपने साथ घर ले आया.
गांव में जश्न जैसा माहौल
घीरथोली गांव में बलदेव की वापसी एक भावनात्मक पल था. लोग ढोल-नगाड़ों के साथ उसके स्वागत के लिए जुट गए. महिलाएं आरती की थाल लेकर खड़ी थीं. रिश्तेदार, पुरानी स्कूल के साथी और गांव के लोग दिनभर आते रहे और उसे गले लगाकर खुशियां बांटते रहे.
विधायक कैप्टन रणजीत, पंचायत प्रधान कांता देवी, राजपूत महासभा के जिला महासचिव जोगेंद्र ठाकुर समेत कई नेताओं ने पहुंचकर परिवार को बधाई दी और मिठाई बांटी.
ड्यूटी ज्वाइन करने जाते वक्त हुआ लापता
बलदेव ग्रिफ इंडिया आर्मी में भर्ती हुआ था और त्रिपुरा में ड्यूटी ज्वाइन करने जा रहा था. आखिरी बार उसने दिल्ली से अपने परिवार से बात की थी. उसके बाद वह अचानक गायब हो गया. ड्यूटी ज्वाइन नहीं की और न ही घर लौटा.
परिवार ने गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई, लेकिन सालों तक कोई जानकारी नहीं मिली. उम्मीदें टूटने लगी थीं, लेकिन किस्मत ने आखिरकार उसे परिवार तक पहुंचा दिया.
याददाश्त अब भी कमजोर
हालांकि बलदेव की याददाश्त अभी पूरी तरह लौटी नहीं है. वह केवल कुछ चेहरों को पहचान पा रहा है. अपने परिवार वालों को, जिनके साथ रहा और कुछ पुराने परिचितों को. डॉक्टरों ने कहा है कि धीरे-धीरे याददाश्त वापस आने की संभावना है.
बलदेव की सकुशल वापसी से गांव में पुराने दिनों जैसी हलचल लौट आई है. लोग इस मिलन को चमत्कारी और भावुक बताते नहीं थक रहे. 15 साल बाद घर लौटे इस जवान की कहानी सोशल मीडिया पर भी लगातार चर्चा में है और उम्मीद की मिसाल बन गई है.
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Source: IOCL





















