हिमाचल: पेखुवाला प्रोजेक्ट में भ्रष्टाचार का आरोप, बीजेपी विधायक बिक्रम ठाकुर ने सुक्खू सरकार को घेरा
Himachal Pradesh News: बीजेपी विधायक बिक्रम ठाकुर ने आरोप लगाया कि इस प्रोजेक्ट में भारी भ्रष्टाचार हुआ, जिसकी कीमत विमल नेगी को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी.

हिमाचल प्रदेश के ऊना जिला में करोड़ों रुपये की लागत से बना पेखुवाला हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गया है. पूर्व उद्योग मंत्री और विधायक बिक्रम ठाकुर ने इस परियोजना से जुड़ी अनियमितताओं और ठेकेदार कंपनी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं.
उन्होंने कहा कि दो अगस्त को ऊना में हुई भारी बारिश के कारण पेखुवाला प्लांट पूरी तरह पानी में डूब गया. परिणामस्वरूप प्लांट को बंद करना पड़ा. अब इस प्लांट का चलना मुश्किल है.
'तकनीकी कुप्रबंधन का परिणाम'
बिक्रम ठाकुर ने कहा, "इतने महंगे प्रोजेक्ट का प्राकृतिक आपदा में डूबना लापरवाही के साथ तकनीकी कुप्रबंधन का परिणाम है. जिस कंपनी को निर्माण कार्य सौंपा गया था, उसे आठ माह तक प्लांट की मरम्मत करने की भी जिम्मेदारी सौंपी गई थी. लेकिन इस शर्त की पूरी तरह अनदेखी की गई. प्लांट से 32 मेगावाट बिजली उत्पादन होना था. जो आजकल ठप पड़ा हुआ है. यह दर्शाता है कि निर्माण कार्य में गुणवत्ता से समझौता हुआ है."
'अधूरे प्रोजेक्ट पर क्यों किया पूरा पेमेंट'
उन्होंने आगे कहा, "इस प्रोजेक्ट में भारी भ्रष्टाचार हुआ, जिसकी कीमत विमल नेगी को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी. आरोपी अफसरों को सरकार ने फिर ऊंचे ओहदों पर बिठा दिया. जब प्रोजेक्ट अधूरा था तो ठेकेदार को 99 प्रतिशत भुगतान किस आधार पर कर दिया गया."
बीजेपी नेता ने कहा, "इस प्रोजेक्ट की डीपीआर महज 15 दिन में तैयार की गई थी और उसे जांचे बिना ही कार्य शुरू कर दिया गया जो एक गंभीर चूक है. दिवंगत अधिकारी विमल नेगी इस भुगतान के पक्ष में नहीं थे, क्योंकि उन्हें प्रोजेक्ट की पारदर्शिता पर शंका थी."
लागत 100 करोड़ से 240 करोड़ कैसे पहुंची?
उन्होंने ये भी कहा, "प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत 100 करोड़ रुपये थी, लेकिन यह बढ़कर 240 करोड़ रुपये तक पहुंच गई. इसके पीछे किसकी भूमिका रही, इसकी निष्पक्ष एजेंसी से जांच होनी चाहिए. जब गुजरात में इसी तरह का प्लांट 70 करोड़ रुपये में बन गया तो हिमाचल में लागत तीन गुना क्यों बढ़ी. यह सब कुछ सरकार की सहमति और संरक्षण में हुआ है. इस पूरे मामले की स्वतंत्र एजेंसी से निष्पक्ष जांच करवाई जानी चाहिए."
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Source: IOCL





















