हरियाणा: नवजोत कौर के बयान पर शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा बोले, 'आपस में लट्ठम-लट्ठा है'
Mahipal Dhanda News: शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा ने कांग्रेस की नेत्री नवजोत कौर सिद्धू के बयान पर प्रतिक्रिया दी. ढांडा ने कहा कि कांग्रेस के शासन में 200-500 करोड़ रुपये देना आम बात बन चुकी थी.

पानीपत बीजेपी कार्यालय में शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा ने जनता दरबार लगाकर लोगों की समस्याएं सुनीं. इस दौरान मीडिया से बातचीत के दौरान शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा ने कांग्रेस की नेत्री और नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी के उस बयान पर प्रतिक्रिया दी, जिसमें उन्होंने कहा था कि कांग्रेस में वही मुख्यमंत्री बनता है जो 500 करोड़ की बोली लगाता है. ढांडा ने इस बयान पर कांग्रेस को जमकर घेरा तो उन्होंने कहा कि कांग्रेस और उसके नेता न लोगों की सुनते हैं, न समझते हैं. सिर्फ बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर ठीकरा फोड़ना इनकी आदत बन गई है. उन्होंने आगे कहा कि अगर आपकी ही नेत्री कह रही है कि कांग्रेस में 500 करोड़ देकर मुख्यमंत्री बनते हैं, तो इसे स्वीकार करो और डिक्लेअर करो कि अब एक रुपया भी नहीं लोगे.
महिपाल ढांडा ने कांग्रेस पर लगाए आरोप
ढांडा ने आरोप लगाया कि कांग्रेस के शासनकाल में 200-500 करोड़ रुपये देकर मंत्री और मुख्यमंत्री बनना आम बात बन चुकी थी. शिक्षा मंत्री ने तुलना करते हुए कहा कि बीजेपी में एक साधारण कार्यकर्ता भी मेहनत और निष्ठा से मुख्यमंत्री या मंत्री बन सकता है. उन्होंने कहा कि हम पारदर्शिता और ईमानदारी से काम कर रहे हैं. जिसका हक है, उसे उसका हक मिल रहा है. लोगों ने जमीन-आसमान का अंतर देख लिया है.ढांडा ने तंज कसते हुए कहा कि कांग्रेस के नेता सिर्फ कुर्सी के लिए लड़ते हैं.
इनके नेता आपस में लट्ठम-लट्ठा हैं- महिपाल ढांडा
महिपाल ढांडा ने कहा कि हरियाणा में इनके नेता आपस में लट्ठम-लट्ठा हैं. बस चाबी हाथ आ जाए, फिर लोगों को भूल जाते हैं. 100-100 करोड़ देकर मंत्री बनते हो और सोचते हो कि जनता बेवकूफ है? उन्होंने कहा कि कांग्रेस की नीयत शुरू से ही संदिग्ध रही है. जनता अब जागरूक हो गई है.
महिपाल ढांडा ने बीजेपी कार्यालय में सुनीं जनसमस्याएं
पानीपत बीजेपी कार्यालय में शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा ने जनता दरबार लगाकर लोगों की समस्याएं सुनीं. दरबार में आए अधिकांश लोग अपनी पारिवारिक और निजी समस्याएं लेकर पहुंचे. इस पर मंत्री ढांडा ने कहा कि समाज को जागरूक होने की जरूरत है, क्योंकि अधिकांश मामले सामाजिक कुरीतियों और पारिवारिक विवादों से जुड़े होते हैं.
ढांडा ने बताया कि जो सामाजिक व डेवलपमेंट के काम होते हैं, वह मुश्किल से 10% लोग लेकर आते हैं. लगभग 90-92% लोग पर्सनल कामों के लिए ही आते हैं. समाज में अवेयरनेस की बेहद जरूरत है.
उन्होंने कहा कि कई पारिवारिक विवाद आगे बढ़कर दहेज, पैसे के लेन-देन के झगड़े और कभी-कभी गंभीर अपराधों का रूप ले लेते हैं. समाज में बदलते स्वरूप पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि सामाजिक कुरीतियों पर सामूहिक जागरूकता ही समाधान है.
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