IB Schools Delhi: दिल्ली में IB स्कूल का क्यों बढ़ रहा है क्रेज, CBSE और अन्य बोर्ड से कैसे है अलग?
Delhi Education Model: आईबी की पढ़ाई 1976 से ही इंडिया में जारी है. दिल्ली के सरकारी स्कूली शिक्षा व्यवस्था को इससे जोड़ने की पहल की वजह से यह फिर से चर्चा में है.
Delhi News: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को बवाना में स्कूल ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सिलेंस का उद्घाटन किया. इस मौके पर उन्होंने लोगों को संबोधित करते हुए कहा था कि आज हमें सिसोदिया जी की बहुत याद आ रही है. उन्होंने आईबी एजुकेशन सिस्टम पर आगे बढ़ने की दिशा में आगे बढ़ने की वकालत की थी. सिसोदिया जी चाहते थे कि दिल्ली सरकार के स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को इंटरनेशनल स्तर की शिक्षा मिले. एक साल पहले दिल्ली सरकार ने आईबी स्कूल प्रबंधन के साथ एक एमओयू पर भी साइन किया था. उसके बाद से एक बार फिर आईबी स्कूल एजुकेशन सिस्टम को लेकर चर्चा जोरों पर है.
ये बात भी नहीं है कि इससे पहले आईबी स्कूल की इंडिया में चर्चा नहीं हुई हो. आईबी एजुकेशन सिस्टम की पढ़ाई 1976 से ही इंडिया में जारी है. नए सिरे चर्चा इसलिए हो रही है कि पहली बार सरकारी एजुकेशन सिस्टम को आईबी पैटर्न पर तैयार करने की बात दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की सरकार ने शुरू की है. सरकारी स्कूलों में अगर इस तरह की शिक्षा बच्चों को मिलने की दिशा सरकार आगे कदम बढ़ाती है तो यह अपने आप में एक मिसाल होगा. इससे गरीब बच्चों को इंटरनेशनल लेवल का शिक्षा हासिल करने में मदद मिलेगी. ऐसे में अहम सवाल यह है कि आईबी स्कूल सिस्टम क्या है और इंडिया में इसका क्रेज क्यों बढ रहा है?
IB स्कूल क्या है, क्यों बढ़ रहा है इसका क्रेज
आईबी यानि इंटरनेशनल बैकलॉरिएट अंतर्राष्ट्रीय स्तर का एक शिक्षण व्यवस्था है. इंडिया सहित दुनिया के देशों के हजारों स्कूल इससे जुड़े हैं. 1968 में स्विट्जरलैंड के जिनेवा में एक गैर-लाभकारी संस्था के रूप में इसकी स्थापना हुई थी. इसका लक्ष्य बच्चों को एक ऐसी शिक्षा-व्यवस्था से जोड़ना है, जिससे उनके सोचने-समझने की क्षमता ग्लोबल हो. जहां उन्हें केवल किताबी ज्ञान देने के साथ व्यावहारिक पहलुओं की भी शिक्षा मिले. शुरुआती दिनों में इसे 'इंटरनेशनल बैकलॉरिएट ऑर्गनाइजेशन (IBO) कहा गया, अब सीधे IB कहते हैं. IB स्कूल एक प्राइवेट इंटरनेशनल बोर्ड है, जिससे जुड़े स्कूलों में पाठ्यक्रम एक जैसा है. इसके सर्टिफिकेट की मान्यता भी इंटरनेशनल लेवल पर है. 3 से लेकर 19 साल तक के स्टूडेंट को शिक्षा मुहैया कराने का काम इस बोर्ड के जरिए होता है.
आईबी बोर्ड से जुड़े हैं इंडिया के 209 स्कूल
इंटरनेशनल बैकलॉरिएट की वेबसाइट ibo.org के आंकड़ों के मुताबिक 160 देशों में IB के 5500 स्कूल हैं. IB स्कूलों के मामले में इंडिया दुनिया के शीर्ष 5 देशों में शुमार है. आईबी बोर्ड से संबद्ध इंडिया में 209 स्कूल हैं. भारत में IB ने 1976 में अपनी जगह बनाई, जब कोडैकनाल का कोडाई स्कूल इस बोर्ड से जुड़ गया. इस संस्थान को अब कोडैकनाल इंटरनेशनल स्कूल कहा जाता है. यहां IB डिप्लोमा प्रोग्राम और मिडिल स्कूल प्रोग्राम चल रहे हैं.
ये है IB स्कूल की खासियत
आईबी से संबद्ध दुनियाभर के स्कूलों में सिलेबस एक जैसा ही है. पढ़ाई-लिखाई का तौर तरीका भी एक समान ही है. आईबी सर्टिफिकेट की मान्यता 'इंटरनेशनल लेवल' की है. यही वजह है कि IB का क्रेज तेजी से बढ़ रहा है. अभिभावक अपने बच्चों को IB एजुकेशन सिस्टम से जोड़ना चाहते हैं. यहां से निकले बच्चों की सोच और शिक्षा का स्तर उन्हें विदेशी संस्थानों में पढ़ने के काबिल बनाते हैं. विदेशी संस्थान IB के सर्टिफिकेट देखकर अपने यहां छात्रों को प्रवेश देते समय प्राथमिकता देते हैं.
8 से 40 लाख तक है सालाना फीस
इंडिया के मेट्रो शहरों में IB स्कूलों की फीस सालाना 8 से 10 लाख रुपये है. मुंबई जैसे महानगरों में यह फीस 17-18 लाख रुपये तक है. प्रीमियर IB वर्ल्ड स्कूल में यह फीस 40 लाख रुपये सालाना भी हो सकता है. छोटे नगरों में छात्रों की फीस 2.5 से 3 लाख रुपये सालाना है.
2022 में DBSE ने किया था IB से करार
साल 2022 में दिल्ली बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन ने IB के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. इसके पीछे मुख्य मकसद दिल्ली सरकार के 30 स्कूलों में एक साल के लिए IB पाठ्यक्रम को अपनाना था. महाराष्ट्र में भी कुछ ऐसी ही सुगबुगाहट देखी गई थी.
IB Board Schools Delhi,