'केजरीवाल सरकार ने कब अपने विधायकों को 15 करोड़...,' बीजेपी प्रवक्ता का सौरभ भारद्वाज पर तंज
Delhi Politics: दिल्ली में बीजेपी प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने आप नेता सौरभ भारद्वाज पर निशाना साधा है. उन्होंने ‘आप’ पर झूठ और भ्रम फैलाने का आरोप लगाते हुए कहा कि यह पार्टी की पुरानी आदत है.

Praveen Shankar Kapoor: दिल्ली में सियासी घमासान का दौर जारी है. दिल्ली बीजेपी के प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने मंगलवार को. आम आदमी पार्टी (आप) के नेता सौरभ भारद्वाज पर तीखा हमला बोला है. कपूर ने भारद्वाज से सवाल किया कि वह बताएं, आखिर केजरीवाल सरकार ने किस साल अपने विधायकों को 15 करोड़ रुपये की विधायक निधि दी? बीजेपी प्रवक्ता ने ‘आप’ पर झूठ और भ्रम फैलाने का आरोप लगाते हुए कहा कि यह पार्टी की पुरानी आदत है.
दरअसल, सौरभ भारद्वाज और ‘आप’ विधायक संजीव झा ने दावा किया था कि केजरीवाल सरकार अपने विधायकों को हर साल 15 करोड़ रुपये की विधायक निधि देती थी. इस दावे को कपूर ने सरासर झूठ करार दिया. उन्होंने आंकड़ों के साथ बताया कि 2015 से 2018 तक केजरीवाल सरकार में विधायक निधि महज 4 करोड़ रुपये थी. 2018-19 में इसे बढ़ाकर 10 करोड़ करने की घोषणा तो हुई, लेकिन वास्तव में कभी 10 करोड़ दिए ही नहीं गए. कपूर ने खुलासा किया कि 2019-20 में भी केवल 4 करोड़ रुपये दिए गए.
कुल मिलाकर 4 करोड़ रुपये का फंड ही
वहीं, 2020-21 में कोविड का हवाला देकर विधायक निधि को पूरी तरह शून्य कर दिया गया. 2021-22 और 2022-23 में दो साल में कुल मिलाकर 4 करोड़ रुपये ही दिए गए. हाल ही में, 2023-24 और 2024-25 में सौरभ भारद्वाज ने खुद 7 करोड़ रुपये की निधि की घोषणा की थी, लेकिन ज्यादातर विधायक इस राशि का इस्तेमाल भी नहीं कर पाए. कपूर ने तंज कसते हुए कहा कि जब भारद्वाज ने खुद 16 दिसंबर 2023 को अधिकतम 7 करोड़ रुपये की निधि की घोषणा की थी, तो अब 15 करोड़ का दावा कैसे कर रहे हैं?
‘आप’ के नेता बार-बार झूठे दावे क्यों
बीजेपी प्रवक्ता ने आगे कहा कि अक्टूबर 2024 में तत्कालीन आतिशी सरकार ने विधायक निधि को 15 करोड़ करने का प्रस्ताव तो पारित किया, लेकिन इसे कभी लागू नहीं किया गया. कपूर ने दिल्ली की जनता की ओर से सवाल उठाया कि ‘आप’ के नेता बार-बार झूठे दावे क्यों करते हैं?
यह विवाद दिल्ली की सियासत में एक नया मोड़ ला सकता है. जहां एक तरफ ‘आप’ अपनी उपलब्धियों को गिनाने में जुटी है, वहीं बीजेपी सरकारी आंकड़ों के साथ उनके दावों की पोल खोल रही है.
Source: IOCL





















