दिल्ली में कम आय वाले एक तिहाई परिवार इतने फीसदी पीने के पानी पर करते हैं खर्च, रिपोर्ट ने चौंकाया
Delhi News: ग्रीनपीस इंडिया के सर्वेक्षण के अनुसार, दिल्ली के गरीब परिवारों का 34% अपनी मासिक आय का 15%पानी पर खर्च करता है. गर्मियों में पानी की आपूर्ति बाधित होती है, जिससे असमानता बढ़ती है.

दिल्ली के निम्न आय वाले कम से कम 34 प्रतिशत परिवार अपनी मासिक आय का 15 प्रतिशत हिस्सा पेयजल पर खर्च करते हैं. यहां एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) द्वारा जारी सर्वेक्षण में यह जानकारी दी गई. राष्ट्रीय राजधानी के विभिन्न 12 इलाकों में किए गए सर्वेक्षण में ‘ग्रीनपीस इंडिया’ संगठन ने यह भी पाया कि भीषण गर्मी के मुख्य महीनों के दौरान कभी-कभी पानी की आपूर्ति बाधित होती है.
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘दिल्ली में किए गए एक त्वरित जल ‘ऑडिट’ में पाया गया है कि सर्वेक्षण किए गए निम्न आय वाले 34 प्रतिशत परिवार अपनी मासिक आय (6,000-10,000 रुपये) का 15 प्रतिशत अंश सिर्फ पेयजल प्राप्त करने पर खर्च कर रहे हैं.’’
सर्वेक्षण में कहा गया है कि यह दिल्ली में गहरी असमानता और असंतुलित जल वितरण प्रणाली को दर्शाता है, जो खासकर गर्मियों के महीनों के दौरान बढ़ जाता है. इस मामले पर दिल्ली सरकार की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया उपलब्ध नहीं हो सकी.
कम 20-25 लीटर पानी की होती है आवश्यकता
सर्वेक्षण के आंकड़ों से जल की मांग और वास्तविक उपलब्धता के बीच स्पष्ट अंतर सामने आता है. सर्वेक्षण में शामिल 37 प्रतिशत परिवारों को उनके परिवार के सदस्यों की संख्या और जल उपभोग के तरीकों को देखते हुए प्रतिदिन कम से कम 20-25 लीटर पानी की आवश्यकता होती है.
'केवल 28 प्रतिशत घरों को ही मिल पाता है पर्याप्त मात्रा में पानी'
रिपोर्ट के आंकड़ों में कहा गया है कि हालांकि इनमें से केवल 28 प्रतिशत घरों को ही पर्याप्त मात्रा में पानी मिल पाता है. वह भी तब जब वे इसके लिए भुगतान करते हैं. दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) राष्ट्रीय राजधानी में जल आपूर्ति की मुख्य एजेंसी है, जो 9000 किलोमीटर पाइप लाइन और टैंकरों के माध्यम से पानी वितरित करती है.
ग्रीनपीस इंडिया ने शकूरपुर बस्ती, सावदा घेवरा, दया बस्ती, चुन्ना भट्टी, खजान बस्ती, सीमापुरी, सुंदर नगरी, लोहार बस्ती, संगम विहार आदि जैसे अनधिकृत कॉलोनियों और जेजे समूहों में 500 घरों का सर्वेक्षण करने के बाद यह रिपोर्ट तैयार की है.
पानी खरीदने के लिए होना पड़ता हैं मजबूर
ग्रीनपीस इंडिया से जुड़ीं वैशाली उपाध्याय ने कहा, ‘‘पानी मूलभूत अधिकार है, लेकिन इन परिवारों के लिए यह रोजमर्रा का संकट है. जिन बस्तियों में ‘वाटर एटीएम’ नहीं हैं, वहां लोगों को निजी आपूर्तिकर्ताओं से 15 से 30 रुपये प्रति गैलन की दर से पानी खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ता हैं.’’
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Source: IOCL























