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Delhi: जमीन से पानी निकालने के मुकाबले दिल्ली के ग्राउंडवाटर लेवल में बढ़ोतरी, 13 साल बाद पहली बार हुआ ऐसा

Delhi Groundwater Recharge: 2009-2010 के बाद ऐसा पहली बार हुआ है जब जमीन से पानी निकलने की तुलना में भूजल का स्तर ज्यादा बढ़ा है. वहीं पूरे देश में उत्तर भारत में भूजल के स्तर में सर्वाधिक कमी आई है.

Delhi Groundwater: दिल्ली में भूजल के स्तर को लेकर एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है. केंद्रीय भूजल बोर्ड (CGWB) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली में वित्त वर्ष 2021-22 में जमीन से निकाले गए जल की तुलना में भूजल के स्तर में ज्यादा वृद्धि देखी गई है. कम से कम 2009-2010 के बाद ऐसा पहली बार हुआ है जब जमीन से पानी निकलने की तुलना में भूजल का स्तर ज्यादा बढ़ा है. 

'0.32 बीसीएम से बढ़कर 0.41 बीसीएम हुआ दिल्ली का भूजल स्तर'
'Dynamic Ground Water Resources Assessment of India - 2022', नाम से प्रकाशित की गई इस रिपोर्ट में बताया गया है 2020-21 की तुलना में भूजल का स्तर 0.32 बीसीएम (बिलियन क्यूबिक मीटर) से बढ़कर 0.41 बीसीएम हो गया. साथ ही जमीन से पानी के मामले में भी तुलनात्मक रूप से वृद्धि हुई है. कृत्रिम और प्राकृतिक निर्वहन सहित जमीन से पानी निकलने की स्थिति 0.322 बीसीएम से बढ़कर 0.4 बीसीएम रही. कुल मिलाकर जमीन से जल निकासी की दर 101.4 प्रतिशत से घटकर 98.1 प्रतिशत हो गई.

जमीन से पानी निकालने के मामले में देश में 5वें नंबर पर दिल्ली

इस रिपोर्ट में कुछ चिंताएं भी व्यक्ति की गई है. रिपोर्ट में बताया गया है कि दिल्ली में जमीन से जल निकासी पूरे देश में पांचवें नंबर पर है. इस मामले में पहले नंबर पर पंजाब (134%) और उसके बाद दमन और दीव (157%), राजस्थान (151%) और हरियाणा (134%) क्रमश दूसरे, तीसरे व चौथे नंबर पर आते हैं.

देश के अन्य हिस्सों की तुलना में उत्तर भारत में सबसे कम हुआ भूजल स्तर
बीते कुछ समय में देश के अन्य हिस्सों की तुलना में उत्तर भारत में भूजल के स्तर में सर्वाधिक कमी आई है. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी)-गांधीनगर द्वारा किये गए एक अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है. अध्ययन के मुताबिक, देश में भूजल के स्तर में जितनी कमी आई है, उसमें 95 प्रतिशत कमी उत्तर भारत से है. अध्ययन में पाया गया है कि भविष्य में बारिश में वृद्धि पहले से ही समाप्त हो चुके संसाधनों के पूरी तरह से पुनर्जीवन करने के लिए अपर्याप्त होगी.

भूजल के अत्यधिक दोहन को करना होगा सीमित
आईआईटी-गांधीनगर के शोधकर्ताओं ने यह भी पाया है कि भारत में भूजल की कमी तब तक जारी रहेगी, जब तक भूजल के अत्यधिक दोहन को सीमित नहीं किया जाता है, जिससे भविष्य में जल स्थिरता के मुद्दे सामने आएंगे. शोधकर्ताओं ने कहा कि गैर-नवीकरणीय (अस्थिर) भूजल दोहन का भूजल भंडारण पर मुख्य रूप से प्रभाव पड़ता है, जिससे जल स्तर घट जाता है.

क्या है भूजल के अत्यधिक दोहन को रोकने का तरीका
आईआईटी-गांधीनगर में सिविल इंजीनियरिंग और पृथ्वी विज्ञान विभाग में प्रोफेसर विमल मिश्रा ने कहा, ‘‘भूजल के गहरे स्तर के अत्यधिक दोहन को रोकने के लिए नलकूप की गहराई को सीमित करना और निकासी लागत को शामिल करना फायदेमंद है.’’

'भूजल स्तर बढ़ाने के लिए तापमान को करना होगा सीमित'

प्रोफेसर विमल मिश्रा ने कहा, ‘‘वैश्विक औसत तापमान वृद्धि को दो डिग्री सेल्सियस के भीतर सीमित करने से उत्तर भारत में भूजल भंडारण को लाभ मिल सकता है.’’ यह अध्ययन हाल ही में 'वन अर्थ' नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है, इसमें भूजल भंडारण परिवर्तनशीलता का अध्ययन करने के लिए केंद्रीय भूजल बोर्ड (CGWB) द्वारा भूजल स्तर और उपग्रह अवलोकन से प्राप्त डेटा का विश्लेषण किया गया.

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