दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद MCD का एक्शन, चांदनी चौक में कई दुकानें सील
Delhi News: व्यापारियों का कहना है कि वे दशकों से यहां कारोबार कर रहे हैं और उन्होंने कन्वर्जन फीस भी जमा की है. अब अचानक कोर्ट के इस आदेश से उनकर सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया है.

दिल्ली के ऐतिहासिक और कपड़ों के सबसे बड़े थोक बाजार, चांदनी चौक के सैकड़ों दुकानदारों के लिए सुप्रीम कोर्ट का एक हालिया आदेश बड़ी चिंता का विषय बन गया है. इन दुकानों पर अब सीलिंग की तलवार लटक गई है, अभी तक 20 से ज्यादा दुकानों को एमसीडी द्वारा सील भी कर दिया गया है.
सीलिंग के डर से व्यापारी अपनी परेशानी को लेकर एमसीडी अधिकारी, मेयर, स्थानीय सांसद और मंत्री तक को मिलकर अपनी परेशानी मौखिक रूप से बताने के साथ लिखित रूप से दे चुके, सभी लोगों से बस आश्वासन मिला पर अभी कोई कार्य नहीं हुआ. व्यापारियों के पास राहत के लिए सिर्फ इस साल के अंत यानी दिसंबर 2025 तक का समय है.
31 दिसबंर तक का समय
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने 22 सितंबर को एक महत्वपूर्ण सुनवाई के दौरान स्पष्ट कर दिया कि निचली अदालतों से प्राप्त सभी स्टे ऑर्डर, जिनके कारण अब तक इन दुकानों पर सीलिंग की कार्रवाई रुकी हुई थी, वे केवल 31 दिसंबर 2025 तक ही मान्य रहेंगे. कटरा नील, गली घंटेश्वर और आसपास के इलाकों में स्थित ये दुकानें मुख्य रूप से इस आदेश के दायरे में आई हैं.
अगर इस निर्धारित समय सीमा तक अवैध निर्माण या उपयोग परिवर्तन से जुड़े इस मामले का कोई स्थायी हल नहीं निकलता है, तो दिल्ली नगर निगम को सीलिंग की प्रक्रिया आगे बढ़ाने की छूट मिल जाएगी.
कोर्ट का रुख और व्यापारियों की बेचैनी
दिल्ली हिंदुस्तानी मर्केंटाइल एसोसिएशन के प्रेसिडेंट मुकेश सचदेवा ने एबीपी लाइव को जानकारी देते हुए बताया कि यह मामला चांदनी चौक क्षेत्र में बने वर्षों पुराने मकानों का है जो अब दुकानें हो गयी है. 2700 से ज्यादा कपड़ों की दुकानें हैं जो आजादी के समय से भी पहले से है.
उन्होंने कहा कि सालों से सभी व्यापारी बखूबी हाउस टैक्स, कनवर्जन चार्ज, कमर्शियल बिजली बिल, पानी बिल सभी कुछ समय से भर रहे हैं. फिर अचानक एमसीडी को ये सारी जगह डोमेस्टिक कैसे दिखने लगी ये समझ से परे हो गया है. जबएमसीडी ने अचानक दुकानों पर नोटिस भेजने और चिपकाने लगी तो कानूनी राहत पाने के लिए निचली अदालतों का दरवाजा खटखटाया था, जहां हमें स्टे ऑर्डर मिल गए थे. लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने इन सभी आदेशों की समय-सीमा तय कर दी है.
कोर्ट के आदेश से खड़ा हुआ संकट- व्यापारी
चांदनी चौक हिंदुस्तानी मर्केंटाइल एसोसिएशन के जनरल सेक्रेट्री और व्यापारी भगवान बंसल ने कहा बाजार के व्यापारियों का कहना है कि, वे दशकों से यहां कारोबार कर रहे हैं और उन्होंने कन्वर्जन फीस भी जमा की है. अब अचानक कोर्ट के इस आदेश से उनकर सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया है.
कुछ दुकानें सील हुई और अगर आगे भी दुकानें सील होती गईं, तो सैकड़ों लोगों की रोजी-रोटी प्रभावित होगी. व्यापारियों का आग्रह है कि एमसीडी और दिल्ली सरकार एक बार मार्केट का सर्वे करवा लें ताकि पता चल पाए कि आखिरकार कितनी दुकानें हैं जो सालों पहले से चल रही है और वो वैधानिक है.
31 दिसंबर तक समाधान की आस
सुप्रीम कोर्ट ने इस संवेदनशील मामले पर दिल्ली नगर निगम को दो सप्ताह के भीतर एक विस्तृत रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है. इस रिपोर्ट मेंएमसीडी द्वारा उन सभी सील होने वाली संपत्तियों की वर्तमान स्थिति और कानूनी पहलुओं का ब्योरा देना होगा. लेकिन उस बीच ही कल गुरुवार को 9 बंद परी दुकानों कोएमसीडी द्वारा सील किया गया.
व्यापारी अब इस उम्मीद में हैं किएमसीडी की रिपोर्ट या दिसंबर तक सरकार और अदालत के हस्तक्षेप से कोई ऐसा रास्ता निकल आएगा जिससे सीलिंग को टाला जा सके. उनका मानना है कि चूंकि यह बाजार दिल्ली की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, इसलिए एक स्थायी समाधान जरूरी है जो कानूनी मानकों को भी पूरा करे और व्यापारियों के हितों की भी रक्षा करे.
सुप्रिम कोर्ट पर निगाहें
फिलहाल, कटरा नील और गली घंटेश्वर के व्यापारियों की निगाहें अब सुप्रीम कोर्ट में लंबित इस मामले पर टिकी हैं. यह देखना बाकी है कि साल का अंत होने से पहले उन्हें कोई कानूनी राहत मिलती है या फिर दिल्ली के सबसे पुराने बाजार में सीलिंग की बड़ी कार्रवाई होती है.
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Source: IOCL






















