पेट्रोल-डीजल जीएसटी के दायरे में नहीं आने से निराशा, जानें बजट पर शीर्ष व्यापारी संगठन CTI का रिएक्शन
India Budget 2024: मोदी सरकार 3.0 के बजट पर प्रतिक्रियाओं का सिलसिला जारी है. दिल्ली में व्यापारियों के शीर्ष संगठन चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री का बयान सामने आया है.

CTI On Union Budget 2024: दिल्ली में व्यापारियों के शीर्ष संगठन चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (CTI) को बजट से काफी निराशा हुई है. सीटीआई को मोदी सरकार 3.0 के बजट से टैक्स स्लैब में बदलाव, बुजुर्ग करदाताओं को राहत, छोटे कारोबरियों को कम ब्याज दरों पर लोन की उम्मीद थी.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर सीटीआई ने सुझावों को बजट में शामिल करने की अपील की थी. सीटीआई के चेयरमैन बृजेश गोयल और अध्यक्ष सुभाष खंडेलवाल ने आम बजट पर प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि बजट राजनीति से प्रेरित लगता है.
बृजेश गोयल ने कहा, "मोदी सरकार ने आंकड़ों की बाजीगरी की है. पिछले 10 साल से इनकम टैक्स के स्लैब में बदलाव नहीं हुआ. उनकी मांग थी कि 2.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 7 लाख कर दिया जाए. इनकम टैक्स छूट सीमा बढ़ने से मिडिल क्लास के लाखों करदाताओं को लाभ होता."
उन्होंने कहा कि सरकार ने इस बार भी टैक्स स्लैब में बदलाव न कर मिडिल क्लास को चिंतित कर दिया है. सीटीआई ने कहा कि मीडिल क्लास और छोटे व्यापारियों के लिए केन्द्र सरकार की मुद्रा योजना में ज्यादा ब्याज देना पड़ता है.
पेट्रोल डीजल जीएसटी के दायरे में नहीं आने से CTI निराश
इसलिए मिडिल क्लास को भी सस्ती ब्याज दरों पर लोन उपलब्ध कराने की मांग की थी. सरकार ने मुद्रा योजना की सीमा को 10 लाख से बढ़ा कर 20 लाख कर दिया, लेकिन ब्याज दरों को लेकर कोई घोषणा नहीं की. कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के बावजूद दाम में कमी नहीं हो रही है.
सरकार पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाकर राहत दिला सकती थी. 6 अप्रैल 2022 के बाद से कच्चे तेल की कीमत में कमी नहीं की गई है. कच्चे तेल की कीमतों में 35-40 फीसद तक की गिरावट आई है. सीटीआई का कहना है कि, केन्द्र सरकार को पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे में लाकर या पेट्रोलियम कंपनियों पर दवाब बनाकर पेट्रोल डीजल की दरों में कटौती करनी चाहिए थी.
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