DU में गूंजे लद्दाख के समर्थन में नारे, प्रदर्शनकारी छात्रों ने की सोनम वांगचुक की रिहाई की मांग
Delhi News: दिल्ली यूनिवर्सिटी में प्रदर्शन के दौरान छात्रों ने 'लद्दाख को राज्य का दर्जा दो' और 'छठी अनुसूची लागू करो' जैसे नारे लगाए. आंदोलन को और तेज करने की चेतावनी दी.

दिल्ली यूनिवर्सिटी के आर्ट्स फैकल्टी में रविवार (28 सितंबर) अखिल भारतीय छात्र संघ (AISA) और डीयू के छात्रों ने जोरदार प्रदर्शन किया. लद्दाख से जुड़े कई छात्र भी इस विरोध में शामिल हुए. प्रदर्शनकारियों ने लद्दाख में जारी दमन और पुलिस की बर्बरता के खिलाफ आवाज बुलंद करते हुए पर्यावरण कार्यकर्ता और मैग्सेसे अवॉर्ड विजेता सोनम वांगचुक की तत्काल रिहाई की मांग की.
प्रदर्शन के दौरान लद्दाख को राज्य का दर्जा देने की मांग
प्रदर्शन के दौरान छात्रों ने 'लद्दाख को राज्य का दर्जा दो' और 'छठी अनुसूची लागू करो' जैसे नारे लगाए. उन्होंने कहा कि लद्दाख की अनोखी जनजातीय पहचान, जमीन और नाजुक पर्यावरण को बचाने के लिए संवैधानिक सुरक्षा बेहद जरूरी है.
'बीजेपी सरकार लगातार लद्दाख के लोगों से धोखा कर रही'
इस दौरान AISA के DU अध्यक्ष सैवी ने केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए कहा, ''अनुच्छेद 370 हटाने के बाद से लद्दाख को राज्य का दर्जा देने का वादा किया गया था, लेकिन आज तक पूरा नहीं किया गया. अब हालात इतने खराब हैं कि वहां निर्दोष लोगों पर फायरिंग तक हो रही है. बीजेपी सरकार लगातार लद्दाख के लोगों से धोखा कर रही है. दिल्ली यूनिवर्सिटी के छात्र लद्दाख के संघर्ष के साथ खड़े हैं और जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, आंदोलन और तेज किया जाएगा.
लद्दाख के छात्र ने बयां की जमीनी हकीकत
वहीं, लद्दाख से ताल्लुक रखने वाले और दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले छात्र अली शाह ने वहां की जमीनी हकीकत जाहिर करते हुए कहा, ''लद्दाख में हालात बिगड़ते जा रहे हैं. बेरोजगारी, जमीन पर कब्जा और पर्यावरणीय तबाही लगातार बढ़ रही है. सरकार हमारी बात सुनने के बजाय दमनकारी रवैया अपना रही है.'' उन्होंने स्पष्ट कहा कि लद्दाख को छठी अनुसूची का दर्जा, पूर्ण राज्यत्व, भूमि सुरक्षा और सोनम वांगचुक की रिहाई अब टाली नहीं जा सकती.
आंदोलन तेज करने की चेतावनी
छात्रों ने ऐलान किया कि यह विरोध सिर्फ शुरुआत है. आने वाले दिनों में दिल्ली यूनिवर्सिटी और राष्ट्रीय राजधानी में इस अभियान को और तेज किया जाएगा ताकि लद्दाख के लोगों की लोकतांत्रिक आकांक्षाओं को आवाज दी जा सके.
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Source: IOCL





















