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मालिक के लिए वफादारी की ऐसी मिसाल कि दाह संस्कार तक नहीं छोड़ा साथ, भावुक कर देगी बस्तर के 'कालू' की कहानी
छत्तीगढ़ में ओमप्रकाश अवस्थी नामक शख्स का निधन हो गया तो रात भर उनका पालतू कुत्ता अर्थी के पास ही बैठा रहा. वह शव वाहन में मालिक की अर्थी के साथ मुक्तिधाम तक गया और दाह संस्कार के बाद भी घर नहीं लौटा.
![मालिक के लिए वफादारी की ऐसी मिसाल कि दाह संस्कार तक नहीं छोड़ा साथ, भावुक कर देगी बस्तर के 'कालू' की कहानी example of loyalty to owner till cremation know the story of Kalu of Bastar ann मालिक के लिए वफादारी की ऐसी मिसाल कि दाह संस्कार तक नहीं छोड़ा साथ, भावुक कर देगी बस्तर के 'कालू' की कहानी](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/02/01/b6f69847cb46071ea2bfbbdb9f62e73e1675225231855646_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
शव वाहन में अपने मालिक के पार्थिव शरीर के पास बैठा बेजुबान कालू (फोटो क्रेडिट:अशोक नायडू)
Dog Loyalty For Owner: कहते हैं कि कुत्ता वफा का वो फरिश्ता होता है, जो इंसान से मरते दम तक वफादारी निभाता है. इस कहावत को चरितार्थ किया है छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में रहने वाले ओमप्रकाश अवस्थी के पालतू कुत्ते ने, जिसने उनकी मौत के बाद भी उनका साथ नही छोड़ा और वफादारी ऐसी निभाई कि अंतिम संस्कार के बाद भी परिवार के साथ मुक्तिधाम से वापस नहीं लौटा.
अंतिम संस्कार पर जोर-जोर से रोया कालू
दरअसल रविवार की रात शहर के अंबेडकर वार्ड में रहने वाले ओमप्रकाश अवस्थी का निधन हो गया. रात भर उनका कालू (पालतू कुत्ता) अर्थी के पास बैठा रहा और सोमवार की दोपहर शव वाहन में जैसे ही शव रखा गया तो कालू जोर-जोर से रोने लगा. रोकने की तमाम कोशिशों के बाद भी वह कूदकर शव वाहन में चढ़ गया और अर्थी के पास बैठ गया. मालिक के लिए एक बेजुबान का प्रेम देख लोगों की आंखें भर आईं. कालू अपने मालिक की अर्थी के साथ मुक्तिधाम तक गया. लोगों ने उसे रोकने का प्रयास किया लेकिन उनकी सारी कोशिशें नाकाम साबित हुईं. हैरानी की बात तो यह रही कि मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार के बाद भी कालू उस रात वापस घर नहीं लौटा.
दाह संस्कार के बाद भी वापस नहीं लौटा
अम्बेडकर वार्ड के निवासी हेमंत कश्यप ने बताया कि उनके पड़ोस में रहने वाले ओमप्रकाश अवस्थी का 72 वर्ष की उम्र में रविवार रात को निधन हो गया था और सोमवार दोपहर एक बजे उनकी अंतिम यात्रा निकाली गई. जब तक अर्थी आंगन में रही कालू वहीं बैठा रहा और जैसे ही अन्तिम यात्रा शुरु हुई, वह चिल्लाते हुए अर्थी के आगे चलने लगा. दिवंगत ओमप्रकाश अवस्थी ने दस साल पहले इस कुत्ते को पाल कर उसे कालू नाम दिया था. कालू हर वक्त अपने मालिक के साथ ही रहता था. जब मालिक की मौत हुई और उन्हें अंतिम संस्कार के लिए शव वाहन में रखा जा रहा था तो कालू भी इस अंतिम यात्रा के आगे आगे चलने लगा. लोग उसे भगाने का प्रयास करते रहे, लेकिन वह अर्थी के साथ ही चलता रहा.
वफादारी देख भावुक हुए लोग
इतना ही नहीं, जब अर्थी को शव वाहन में रखा गया तो वह कूदकर वाहन मे चढ़ गया और रोते हुए अपने मालिक के पार्थिव देह को लगातार देखता रहा. उसकी स्वामी भक्ति देख किसी ने उसे वाहन से नहीं उतारा बल्कि लोग भावुक हो गए और उनकी आंखे बहने लगी. मुक्तिधाम में अन्तिम संस्कार के बाद भी कालू वहीं बैठा रहा और वह घर नहीं लौटा. परिवारवालों के मुताबिक, मुक्तिधाम से कालू को लाने के लिए पूरी कोशिश की गई लेकिन वह नहीं आया और जहां दाह संस्कार किया गया कालू वहीं बैठा रह गया. जिसके बाद मंगलवार की सुबह उसे जबरदस्ती कर वापस घर लाया गया.
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डॉ. सब्य साचिन, वाइस प्रिंसिपल, जीएसबीवी स्कूल
Opinion