Bastar News: बस्तर की इस महिला ने ग्रामीण अंचलों में माहवारी की समस्याओं से बचाने के लिए चला रखी है मुहिम, पैड वुमेन के नाम से हैं मशहूर
Bastar News: करमजीत कौर एक समाजसेवी हैं. पिछले 6 सालों से बस्तर के ग्रामीण और शहरी इलाकों में माहवारी के प्रति जागरुकता अभियान चला रहीं हैं. महिलाओं को मुफ्त सैनिटरी नैपकिन्स उपलब्ध करवा रहीं हैं.

Bastar News: छत्तीसगढ़ के बस्तर को काफी पिछड़ा हुआ क्षेत्र माना जाता है और आज भी बस्तर के ग्रामीण अंचलों में विकास और जागरुकता की कमी दिखाई देती है. कई मामलों में ग्रामीण इलाके पिछड़े हुए हैं. माहवारी यानी मासिक धर्म (menstruation)को लेकर भी कई महिलाओं और बालिकाओं में भ्रम की स्थिति है. एक रिपोर्ट के मुताबिक बस्तर संभाग में मासिक धर्म के दौरान मात्र 30 प्रतिशत महिलाएं सैनिटरी नैपकिन्स (sanitary napkins)का इस्तेमाल करती हैं, वहीं 10% युवतियों का मानना है कि मासिक धर्म एक बीमारी है. ये जानकर भी हैरानी होगी कि बस्तर में अधिकतर बालिकाएं इसे बीमारी मानकर स्कूल भी छोड़ देती हैं. यह प्राकृतिक प्रक्रिया अपने साथ कई समस्याएं भी लेकर आती है.
पीरियड्स के दौरान अगर सही से रखरखाव और साफ सफाई का ध्यान न रखा जाए तो कई तरह की गंभीर समस्या भी जन्म ले सकती हैं. ऐसे में ये हालात चिंता पैदा करने वाले हैं. पूरे विश्व में 8 मार्च को महिलाओं के सम्मान के लिए अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है. महिलाओं ने आज हर क्षेत्र में अपनी भागीदारी को साबित किया है. इस अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (international women's day) के मौके पर ABP न्यूज़ बस्तर की आयरन लेडी से पहचान करवा रहा हैं. इनका नाम करमजीत कौर है. अगर हम इन्हें बस्तर की 'पैडवुमन' के नाम से पुकारें तो गलत नहीं होगा.
जागरुकता अभियान चला रहीं करमजीत
दरअसल करमजीत कौर एक समाजसेवी हैं. पिछले 6 सालों से बस्तर के ग्रामीण और शहरी इलाकों में माहवारी के प्रति जागरुकता अभियान चला रहीं हैं. अपनी संस्था के माध्यम से महिलाओं को मुफ्त सैनिटरी नैपकिन्स उपलब्ध करवा रहीं हैं. ABP न्यूज़ ने करमजीत कौर से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने बस्तर में महिलाओं के हालातों पर अपनी बात मुखर होकर रखी. करमजीत कौर ने बताया कि बस्तर के ग्रामीण अंचलों के साथ ही शहरी क्षेत्र की महिलाएं और किशोर बालिकाएं पीरियड्स के दौरान कपड़े का इस्तेमाल करतीं हैं. इससे गंभीर बीमारी का खतरा बढ़ जाता है.
6 साल पहले शुरू किया अभियान
वहीं बस्तर के ग्रामीण अंचलों की अधिकतर महिलाएं और किशोर बालिकाएं पीरियड्स से होने वाले रोगों से जूझ भी रहीं हैं. लगातार बढ़ती समस्या को देखते हुए उन्होंने 'दी बस्तर केयर फाउंडेशन संस्था की शुरुआत की. संस्था में अपने साथ ऐसी महिलाओं और युवतियों को शामिल किया जो बस्तर की महिलाओं को विभिन्न क्षेत्रों में जागरूक करने के लिए अच्छा काम कर रहीं हैं. उसके बाद उन्होंने 2016 से अपने संस्था के माध्यम से लगातार इस क्षेत्र में काम करना शुरू किया. उनके साथ-साथ उनकी पूरी टीम ने ग्रामीण महिलाओं को जागरूक करने के लिए बस्तर के ग्रामीण अंचलों में शिविर लगाकर माहवारी से बचने के लिए उपाय बताने का काम शुरू किया. इसके साथ ही पैड बैंक के माध्यम से नि:शुल्क सैनिटरी नैपकिन्स का वितरण करने का काम भी शुरू किया.
लोगों ने भी दिया समर्थन
करमजीत कौर ने अपनी संस्था के सदस्यों के साथ मिलकर ग्रामीण अंचलों में लगातार जागरुकता अभियान चलाया. उन्होंने बताया कि इस दौरान उन्हें बस्तर के कई लोगों ने पैड बैंक में नैपकिन्स देकर उनके इस अभियान में पूरा समर्थन दिया. जिले के बालिका आश्रम, स्कूल और ऐसे कई संस्थानों और कार्यक्रमों में युवतियों के साथ साथ बड़ी संख्या में महिलाओं ने उनका साथ दिया और लोगों को जागरुक करने का काम किया. उन्होंने बताया कि शुरुआती दौर में झिझक की वजह से महिलाएं और किशोरी बालिकाएं सामने नहीं आती थीं लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने इस झिझक को दूर करने का संकल्प लिया. ग्रामीण युवतियों के माध्यम से बस्तर के अंदरूनी इलाकों में जागरुकता अभियान चलाया.
सरकार से की ये मांग
नतीजा यह हुआ कि अब बस्तर जिले के अधिकतर महिलाएं और किशोरी बालिकाएं सैनिटरी नैपकिन का उपयोग करने लगी हैं. करमजीत कौर ने कहा कि उनका लक्ष्य बस्तर में माहवारी से होने वाली गंभीर बीमारी को जड़ से खत्म करने और सैनिटरी नैपकिन की उपयोगिता की जानकारी गांव-गांव तक पहुंचाना है. ना सिर्फ बस्तर जिला बल्कि नारायणपुर, दंतेवाड़ा और कोंडागांव जिले में भी उन्होंने अपनी टीम के माध्यम से जागरुकता अभियान चलाया. ABP न्यूज़ से बातचीत के दौरान करमजीत कौर ने कहा कि हमें शासन से उम्मीद है. अगर शासन सैनिटरी नैपकिन्स बनाने की मशीन पूरे ब्लॉक में उपलब्ध कराए तो महिलाओं और किशोरी बालिकाओं को यह नैपकिन्स फ्री में उपलब्ध हो पाएंगी.
टीम की सदस्य ने क्या कहा
इस टीम की सदस्य और समाजसेवी उन्नति मिश्रा ने बताया कि बस्तर में ग्रामीण क्षेत्रों में अशिक्षा की वजह से अधिकतर महिलाएं और किशोर बालिकाएं पीरियड्स के दौरान कपड़ों का इस्तेमाल करती हैं, जिससे इंफेक्शन के साथ-साथ कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का डर बना रहता है. उन्होंने बताया कि जब करमजीत कौर ने अपनी संस्था के माध्यम से इन ग्रामीण महिलाओं को जागरूक करने के लिए बीड़ा उठाया तो वे भी इस संस्था से जुड़कर लगातार ग्रामीण अंचल के लोगों को माहवारी से होने वाली बीमारी के बारे में जानकारी देने के काम में जुट गईं.उन्नति मिश्रा अपना पूरा समय देकर ग्रामीण क्षेत्र की किशोर बालिकाओं और युवतियों को बिना झिझक के नैपकिन के उपयोग के लिए जागरूक करने में जुटी हुई हैं.
सम्मानित किया जा चुका है
बस्तर में नारी शक्ति के लिए बेहतर काम करने वाली करमजीत कौर दिल्ली में आयोजित नेशनल वूमेन एक्सीलेंस अवॉर्ड से सम्मानित भी हो चुकी हैं. इसके अलावा विभिन्न सरकारी और निजी संस्थानों की ओर से भी उन्हें कई बार सम्मानित किया जा चुका है. बस्तर पुलिस और अन्य संस्थानों के कार्यक्रमों में उन्हें कई बार मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित भी किया जाता है. बस्तर की इस पैडवुमन और उनकी पूरी टीम के इस कार्य के लिए उनकी जमकर सराहना की जाती है. साथ ही पूरे बस्तर जिले के ग्रामीण अंचलों में भी इस टीम के जागरूकता अभियान से ग्रामीणों महिलाओं और युवतियों में काफी बदलाव आया है.
Source: IOCL





















