बिहार: उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी RLM को झटका, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष समेत कई नेताओं ने अचानक दिया इस्तीफा
Upendra Kushwaha News: उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जितेंद्र नाथ समेत कई प्रभारी प्रदेश अध्यक्षों ने पार्टी छोड़ दी है. वहीं प्रवक्ता राहुल ने इस्तीफा दे दिया है.

बिहार में नई सरकार के गठन के तुरंत बाद राजनीतिक हलचल भी तेज हो गई है. इस बार झटका लगा है उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) को, जहां कई प्रमुख नेताओं ने एक साथ अपने पदों से इस्तीफा दे दिया है. इस सामूहिक इस्तीफे ने पार्टी की आंतरिक स्थिति और नेतृत्व को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं.
सबसे बड़ा नाम पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जितेंद्र नाथ का है, जिन्होंने अचानक पार्टी छोड़कर सभी को चौंका दिया. उनके साथ ही कई प्रभारी प्रदेश अध्यक्षों ने भी त्यागपत्र सौंप दिया है. जानकारी के अनुसार प्रवक्ता राहुल, प्रमोद यादव और राजेश रंजन सहित कई महत्वपूर्ण पदाधिकारियों ने अपना इस्तीफा सीधे उपेंद्र कुशवाहा को भेज दिया है.
पार्टी की अनदेखी से नाराज है संगठन के सदस्य
इस्तीफा देने वाले नेताओं का कहना है कि बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी में उनकी लगातार उपेक्षा की गई. चुनाव में अहम जिम्मेदारियां और निर्णय लेने की प्रक्रिया से उन्हें दूर रखा गया, जिससे वे बेहद नाराज थे. उनका आरोप है कि पार्टी नेतृत्व अपने स्तर पर काम कर रहे कार्यकर्ताओं और नेताओं की भावनाओं की अनदेखी की, जिसका असर संगठनात्मक मजबूती पर भी पड़ा है.
इसके अलावा, नेताओं का कहना है कि शेखपुरा विधानसभा कमेटी को अचानक भंग कर दिया गया, जिससे स्थानीय स्तर पर असंतोष बढ़ गया. उनका दावा है कि यह फैसला बिना किसी चर्चा और कारण बताए लिया गया, जिससे पार्टी की संरचना और विश्वास दोनों को नुकसान हुआ.
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आरएलएम की अंदरूनी स्थिति होती दिखाई दे रही कमजोर
जानकारी के अनुसार, इन लगातार इस्तीफों के बाद आरएलएम की अंदरूनी स्थिति कमजोर होती दिखाई दे रही है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम न सिर्फ पार्टी की मौजूदा ताकत को प्रभावित करेगा, बल्कि आगामी राजनीतिक समीकरणों पर भी इसका असर पड़ेगा. खासकर बिहार की राजनीति में छोटे दलों की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण होती है, ऐसे में इतने नेताओं का एक साथ बाहर जाना आरएलएम के लिए बड़ा संकट बन सकता है.
इस मामले में उपेंद्र कुशवाहा की नहीं आई कोई प्रतिक्रिया
उपेंद्र कुशवाहा की ओर से इस मामले पर अभी तक कोई औपचारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है. लेकिन पार्टी के भीतर बढ़ते असंतोष और नेताओं के इस्तीफों की लंबी सूची संकेत देती है कि आरएलएम के अंदर संगठनात्मक सुधार और संवाद की बहुत आवश्यकता है.
बिहार की राजनीति में यह घटनाक्रम नई सरकार बनने के तुरंत बाद आया है, जिससे यह स्पष्ट है कि राजनीतिक दलों के भीतर हलचल और असंतोष की स्थिति अभी थमी नहीं है. आने वाले दिनों में आरएलएम के रुख और नेतृत्व की प्रतिक्रिया पर सबकी नजरें टिकी रहेंगी.
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