मुन्ना शुक्ला को SC से झटका, पूर्व मंत्री बृज बिहारी हत्याकांड में उम्रकैद की सजा रहेगी बरकरार
Former Minister Murder Case: विजय कुमार शुक्ला उर्फ मुन्ना शुक्ला को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है. शीर्ष अदालत ने बिहार के पूर्व मंत्री बृज बिहारी प्रसाद हत्याकांड में सजा को बरकरार रखा.

Bihar News: बिहार के पूर्व मंत्री बृज बिहारी प्रसाद हत्याकांड में विजय कुमार शुक्ला उर्फ मुन्ना शुक्ला को झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने अपराधी से नेता बने मुन्ना शुक्ला को दी गई आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा है. पिछले साल तीन अक्टूबर को शीर्ष अदालत ने शुक्ला और मंटू तिवारी को मामले में दोषी ठहराया था.
जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने शुक्ला और एक सह-दोषी की शीर्ष अदालत के फैसले की समीक्षा संबंधी वाली याचिका खारिज कर दी. पीठ ने छह मई के आदेश में कहा, '3 अक्टूबर, 2024 के फैसले की समीक्षा करने का कोई आधार नहीं बनता है.' सुप्रीम कोर्ट का फैसला हाल में अपलोड किया गया है. समीक्षा याचिकाओं पर खुली अदालत में सुनवाई की प्रार्थना भी खारिज कर दी गई.
बृज बिहारी प्रसाद हत्याकांड
शीर्ष अदालत ने सभी आरोपियों को बरी करने के पटना हाईकोर्ट का फैसला आंशिक रूप से खारिज करते हुए दोषी पूर्व विधायक शुक्ला और तिवारी को आजीवन कारावास की सजा भुगतने के लिए 15 दिनों का समय दिया गया. पीठ ने शुक्ला और तिवारी दोनों को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं में 20,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया था. हालांकि, शीर्ष अदालत ने पूर्व सांसद सूरजभान सिंह समेत पांच अन्य को संदेह का लाभ देते हुए बरी करने के हाईकोर्ट का फैसला बरकरार रखा.
बीजेपी की पूर्व सांसद रमा देवी के पति बृज बिहारी प्रसाद हत्याकांड ने बिहार और उत्तर प्रदेश की पुलिस को हिलाकर रख दिया था. बृज बिहारी प्रसाद की हत्या गोरखपुर के गैंगस्टर श्रीप्रकाश शुक्ला ने की थी. श्रीप्रकाश शुक्ला बाद में उत्तर प्रदेश एसटीएफ के साथ मुठभेड़ में मारा गया था. शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘बृज बिहारी प्रसाद और अंगरक्षक लक्ष्मेश्वर साहू की हत्या के लिए मंटू तिवारी और विजय कुमार शुक्ला उर्फ मुन्ना शुक्ला पर आरोप उचित संदेह से परे साबित हो चुके हैं.’’
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पीठ ने कहा कि मुन्ना शुक्ला और मंटू तिवारी पर हत्या के प्रयास का आरोप भी साबित हो चुका है. दो अन्य आरोपियों भूपेंद्र नाथ दुबे और कैप्टन सुनील सिंह की कार्यवाही के दौरान मृत्यु हो गई. मंटू तिवारी, रमा देवी के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी देवेंद्रनाथ दूबे का भांजा है. भूपेंद्र नाथ दुबे और देवेंद्रनाथ दूबे भाई थे. राजद की तत्कालीन उम्मीदवार रमा देवी के खिलाफ समाजवादी पार्टी ने देवेंद्र नाथ दुबे को मैदान में उतारा था. सपा प्रत्याशी देवेंद्र नाथ दुबे की 23 फरवरी, 1998 को मोतिहारी लोकसभा क्षेत्र के लिए पुनर्मतदान से एक दिन पहले हत्या कर दी गई थी.
CBI ने लिया था जांच का जिम्मा
घटना में बृज बिहारी प्रसाद और अन्य को आरोपी बनाया गया था. मामला सात मार्च, 1999 को सीबीआई के पास पहुंचा. केंद्रीय एजेंसी ने पूर्व सांसद सूरजभान सिंह और तीन अन्य को अपराधिक षडयंत्रकारी के रूप में नामजद किया था. सीबीआई ने आरोप लगाया था कि 13 जून 1998 को प्रसाद की हत्या से पहले पटना के बेउर जेल में सूरजभान सिंह, मुन्ना शुक्ला, लल्लन सिंह और राम निरंजन चौधरी की बैठक हुई थी. हाईकोर्ट ने 24 जुलाई 2014 को संदेह का लाभ देते हुए सभी आरोपियों की रिहाई का आदेश पारित किया. 12 अगस्त 2009 के निचली अदालत का आदेश खारिज करते हुए सभी को दोषी ठहराया गया था और सभी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. 1998 को पटना में पूर्व मंत्री बृज बिहारी प्रसाद को मौत के घाट उतार दिया गया था.
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