'ये अंतरिक विपक्ष और बाहरी दोनों को...', अमित शाह के बयान पर मनोज झा का पलटवार
अमित शाह के मंत्रियों के खिलाफ लाए गए 130वें संशोधन विधेयक पर खुलकर बातचीत की. उन्होंने कहा कि क्या किसी को जेल से सरकार चलानी चाहिए? इससे दुनिया में हमारे लोकतंत्र का सम्मान होगा?

आरजेडी नेता मनोज कुमार झा ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के मंत्रियों के खिलाफ लाए गए 130वें संशोधन विधेयक पर सोमवार को दिए एक इंटरव्यू पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि अमित शाह अभी भी पूर्णत: नेता नहीं बन पाए हैं, उनके अंदर अभी भी सबको साथ लेकर चलने की क्षमता नहीं है. इस कानून से ना केवल विपक्ष मुक्त लोकतंत्र करने की सोच बल्कि उनके जो अपने प्रतिस्पर्धी लखनऊ में बैठे हैं, उन्हें भी निपटाने की कोशिश है.
आरजेडी सांसद ने क्या कहा?
मनोज कुमार झा ने कि "...दरअसल ये अंतरिक विपक्ष और बाहरी विपक्ष दोनों को खत्म करना चाहते हैं. क्या अमित शाह ने ईडी पर सुप्रीम कोर्ट का हालिया सारांश सुना है? या सुनने के बावजूद उसे अनसुना कर दिया गया है? सुप्रीम कोर्ट ने ईडी से कहा है कि आप तो एक राजनीतिक दल की तरह काम कर रहे हैं और किसके इशारे पर काम कर रहे हैं."
#WATCH पटना (बिहार): राजद नेता मनोज कुमार झा ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के इंटरव्यू पर कहा, "...ये अंतरिक विपक्ष और बाहरी विपक्ष दोनों को खत्म करना चाहते हैं....क्या अमित शाह ने ईडी पर सुप्रीम कोर्ट का हालिया सारांश सुना है? या सुनने के बावजूद उसे अनसुना कर दिया गया है?… pic.twitter.com/TBPtpyi4Ka
— ANI_HindiNews (@AHindinews) August 25, 2025
गृह मंत्री अमित शाह ने क्या कहा?
दरअसल एएनआई पर एक इंटरव्यू में अमित शाह ने 130वें संशोधन विधेयक को सही ठहराते हुए कहा कि, "आजादी के बाद से कई नेता जेल गए हैं. हाल ही में जेल जाने के बाद भी इस्तीफा न देने का चलन शुरू हुआ है. क्या किसी को जेल से सरकार चलानी चाहिए? तमिलनाडु के कुछ मंत्रियों ने इस्तीफा नहीं दिया, दिल्ली के मंत्रियों और मुख्यमंत्री ने इस्तीफा नहीं दिया. क्या इससे दुनिया में हमारे लोकतंत्र का सम्मान होगा?"
गृह मंत्री ने ये भी कहा, "संसद में चुनी हुई सरकार कोई भी विधेयक या संवैधानिक संशोधन लाए इसे सदन के समक्ष रखने में क्या आपत्ति हो सकती है? जबकि मैंने स्पष्ट कर दिया था कि हम इसे दोनों सदनों की संयुक्त समिति को सौंपेंगे. दूसरी बात जब इस पर मतदान होगा, तो आप अपनी मत व्यक्त कर सकते हैं. यह एक संवैधानिक संशोधन है, दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत आवश्यक है. हमारे पास (दो-तिहाई बहुमत) है या नहीं, यह उस समय साबित हो जाएगा."
Source: IOCL






















