Bihar News: बिहार में छोटे अस्पतालों को राहत, नीतीश सरकार ने कर दिया ये बड़ा ऐलान
Bihar Clinical Establishment Law: 40 बिस्तर वाले क्लीनिक प्रतिष्ठानों को पंजीकरण से छूट देने का निर्णय लिया है. हालांकि 40 से अधिक बिस्तरों वाले सभी क्लीनिक प्रतिष्ठानों के लिए पंजीकरण अनिवार्य होगा.

Bihar News: बिहार सरकार ने 40 बिस्तरों से कम वाले छोटे अस्पतालों को 'क्लीनिकल प्रतिष्ठान कानून' के तहत पंजीकरण से छूट देने का मंगलवार (26 फरवरी) को फैसला किया. बिहार सरकार के इस निर्णय के बाद ऐसे छोटे अस्पतालों को 'बिहार क्लिनिकल प्रतिष्ठान कानून-2025' के तहत पंजीकृत कराने की आवश्यकता नहीं होगी. हालांकि उन्हें सरकार के अन्य संबंधित प्राधिकारों के साथ पंजीकरण की मौजूदा प्रक्रिया का पालन करना होगा.
सरकार के इस निर्णय के बाद अब बिहार क्लीनिकल प्रतिष्ठान (पंजीकरण एवं विनियमन) अधिनियम-2025 (संशोधित) के तहत 40 से अधिक बिस्तरों वाले सभी क्लीनिक प्रतिष्ठानों के लिए पंजीकरण अनिवार्य होगा. इस आशय का निर्णय मंगलवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में राज्य मंत्रिमंडल ने लिया.
40 से अधिक बिस्तरों वाले प्रतिष्ठानों के लिए पंजीकरण अनिवार्य
मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग के अपर मुख्य सचिव (एसीएस) एस सिद्धार्थ ने बताया, "बिहार क्लीनिकल प्रतिष्ठान (पंजीकरण एवं विनियमन) अधिनियम-2025 (संशोधित) के अनुसार, सरकार ने राज्य में एक से 40 बिस्तर वाले क्लीनिक प्रतिष्ठानों को पंजीकरण से छूट देने का निर्णय लिया है. हालांकि 40 से अधिक बिस्तरों वाले ऐसे प्रतिष्ठानों के लिए पंजीकरण अनिवार्य होगा."
उन्होंने बताया कि मंत्रिमंडल ने इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. इससे पहले, कानून के तहत 40 बिस्तरों से कम क्षमता वाले प्रतिष्ठानों के लिए भी पंजीकरण अनिवार्य था. उन्होंने आगे कहा, "प्रारंभ में, अनंतिम पंजीकरण दिया जाएगा जो पांच साल के लिए वैध होगा. पहले यह सिर्फ एक साल के लिए वैध था. अब, संबंधित प्राधिकारों को आवेदन प्राप्त होने के दस दिनों के भीतर अनंतिम पंजीकरण देना होगा. उसके बाद क्लीनिक प्रतिष्ठानों को स्थायी पंजीकरण के लिए आवेदन करना होगा."
एसीएस ने कहा कि अधिनियम के अनुसार क्लीनिकल प्रतिष्ठान में ऐसे अस्पताल, प्रसूति गृह, नर्सिंग होम, डिस्पेंसरी, क्लिनिक आते हैं जहां बीमारी, चोट, विकृति, गर्भावस्था के लिए निदान, उपचार या देखभाल की आवश्यकता वाली सेवाएं प्रदान की जाती हैं. मंत्रिमंडल ने घरेलू हिंसा से प्रभावित महिलाओं को अधिक प्रभावी ढंग से मदद देने के लिए अनुमंडल, जिला और राज्य स्तर पर पूर्णकालिक "संरक्षण अधिकारियों" की नियुक्ति को लेकर एक अलग कैडर के निर्माण के संबंध में समाज कल्याण विभाग के एक प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी.
एसीएस ने कहा, "मंत्रिमंडल ने राज्य के सभी अनुमंडलों में पूर्णकालिक "संरक्षण अधिकारी" नियुक्त करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. राज्य के सभी 38 जिलों में पूर्णकालिक "संरक्षण अधिकारी" की नियुक्ति की जाएगी.
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Source: IOCL






















