राबड़ी देवी को विधान परिषद में मिला ये पद, कौन होगा बिहार विधानसभा का उपाध्यक्ष?
Bihar Politics: जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के नरेंद्र नारायण यादव बिहार विधानसभा के उपाध्यक्ष पद के लिए निर्विरोध चुने जाने वाले हैं. उन्होंने नामांकन दाखिल किया और कोई अन्य उम्मीदवार नहीं था.

जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के वरिष्ठ नेता और सात बार के विधायक नरेंद्र नारायण यादव ने बुधवार (3 दिसंबर) को बिहार विधानसभा के उपाध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल किया. नामांकन की अंतिम तिथि समाप्त होने तक इस पद के लिए किसी अन्य उम्मीदवार ने नामांकन पत्र दाखिल नहीं किया है. लिहाजा यादव का निर्विरोध चुना जाना तय माना जा रहा है. उनके निर्विरोध निर्वाचन की औपचारिक घोषणा गुरुवार (4 दिसंबर) को की जाएगी.
विधायक नरेंद्र नारायण यादव लगातार दूसरी बार इस पद पर आसीन होंगे. विधानसभाध्यक्ष प्रेम कुमार ने उपाध्यक्ष के चुनाव के लिए चार दिसंबर की तिथि निर्धारित की है. यादव 18वीं विधानसभा में ‘प्रोटेम स्पीकर’ की भूमिका का सफलतापूर्वक निर्वहन कर चुके हैं और उनके ही नेतृत्व में विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव सम्पन्न हुआ था.
इससे पहले वह 17वीं विधानसभा में 23 फरवरी 2024 को उपाध्यक्ष बने थे. अब 18वीं विधानसभा में भी उन्हें यह अवसर प्राप्त हो रहा है. वर्ष 2005 में नीतीश कुमार सरकार गठन के बाद वह पहले ऐसे व्यक्ति होंगे जिन्हें लगातार दूसरी बार इस पद के लिए चुना जा रहा है. सतरहवीं विधानसभा में 2024 में उन्हें महेश्वर हजारी के स्थान पर उपाध्यक्ष बनाया गया था. हजारी के नीतीश कुमार सरकार में मंत्री बनने के बाद यह पद रिक्त हुआ था. वह 2021 में उपाध्यक्ष बने थे.
पहली बार देवशरण सिंह हुए थे आसीन
नरेंद्र नारायण यादव स्वतंत्रता के बाद बिहार विधानसभा के 19वें उपाध्यक्ष होंगे. आजादी के बाद इस पद पर पहली बार देवशरण सिंह 24 अप्रैल 1946 को आसीन हुए थे और 31 मार्च 1952 तक इस पद पर रहे. स्वतंत्रता से पहले अब्दुल बारी 1937 से 1939 तक उपाध्यक्ष रहे थे.
राबड़ी देवी बनीं विधानपरिषद की नेता प्रतिपक्ष
इधर, बिहार विधानपरिषद में सभापति अवधेश नारायण सिंह ने बुधवार को पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) की वरिष्ठ नेता राबड़ी देवी को नेता प्रतिपक्ष के रूप में आधिकारिक मान्यता प्रदान की. इसके साथ ही आरजेडी के अब्दुल बारी सिद्दीकी को विरोधी दल का मुख्य सचेतक नियुक्त किया गया.
इन नियुक्तियों के साथ विधानमंडल के दोनों सदनों में विपक्ष की संगठनात्मक संरचना और मजबूत हो गई है. विपक्षी दलों का मानना है कि इससे सदन में उनकी भूमिका अधिक प्रभावी और समन्वित ढंग से निभाई जा सकेगी. आरजेडी नेता तेजस्वी यादव की विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के रूप में पहले ही मान्यता दी जा चुकी है.
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