बिहारः कोर्ट ने लगाई फटकार, कहा- SP, DSP और थाना प्रभारी को कानून की जानकारी नहीं, ट्रेनिंग पर भेजा जाए
कोर्ट ने मधुबनी एसपी डॉ. सत्य प्रकाश के खिलाफ डीजीपी, गृह मंत्रालय, राज्य व केंद्र सरकार को पत्र लिखा है. एक लड़की के अपहरण के मामले में पुलिस की ओर से नहीं लगाया गया है सही धारा.

मधुबनी: झंझारपुर व्यवहार न्यायालय के एडीजे प्रथम अविनाश कुमार ने एक लड़की के अपहरण के मामले में पुलिस की ओर से सही धारा नहीं लगाए जाने पर कड़ा रुख अख्तियार किया है. कोर्ट ने एसपी, डीएसपी, थानाध्यक्ष के अलावा व्यवहार न्यायालय के एसीजेएम पर भी सवाल खड़े किए हैं. एडीजे कोर्ट ने खत में लिखा है कि मधुबनी के एसपी को सरदार वल्लभ भाई नेशनल पुलिस एकेडमी (आईपीएस ट्रेनिंग सेंटर) हैदराबाद में प्रशिक्षण के लिए भेजा जाए.
कोर्ट ने केंद्र व राज्य सरकार के साथ डीजीपी को लिखा पत्र
कोर्ट ने मधुबनी एसपी डॉ. सत्य प्रकाश के खिलाफ डीजीपी, गृह मंत्रालय, राज्य व केंद्र सरकार को पत्र लिखा है. एडीजे कोर्ट ने भैरवस्थान थाना में दर्ज एक एफआईआर पर सवाल उठाए और पूछा कि इसमें धारा 376, पोक्सो और बाल विवाह अधिनियम 2006 नहीं लगाई गई है. कोर्ट ने केंद्र सरकार को पत्रांक 361, राज्य सरकार को पत्रांक 362, डीजीपी को पत्रांक 363 के तहत 14 जुलाई 2021 को एक साथ पत्र जारी किया है. सभी पत्र ई कोर्ट पोर्टल पर भी देखे जा सकते हैं.
बता दें कि भैरवस्थान थाना इलाके में एक महिला ने अपनी बेटी के अपहरण को लेकर एफआईआर दर्ज करवाई थी. इसमें बलवीर सदाय और उसके पिता छोटू सदाय व उसकी मां पर आरोप लगाए गए. इस मामले में अभियुक्त बलवीर 25 फरवरी 2021 से जेल में बंद है. पुलिस ने धारा 363, 366 ए और 34 के तहत मामला दर्ज किया है. कोर्ट का मानना है कि इसमें पोक्सो, दुष्कर्म, बाल विवाह अधिनियम की धारा सबसे पहले लगाई जानी चाहिए थी. कोर्ट में लड़की की उम्र 19 साल बताई गई थी, मगर अभियुक्त को जमानत नहीं दी थी.
बाद में मेडिकल रिपोर्ट में लड़की की उम्र 15 साल सामने आई थी. बोर्ड की रिपोर्ट आने के बाद भी पोक्सो एक्ट नहीं लगाया गया. कोर्ट ने इस मामले पर कड़ा रुख अख्तियार कर रखा है और एसीजेएम से स्पष्टीकरण मांगा है. फिलहाल लड़की गर्भवती है. लड़के ने लड़की से शादी कर ली है, तो कोर्ट में सुलहनामा लगाया गया है. कोर्ट ने इस पिटीशन को सुलह के लायक नहीं माना. कोर्ट का मानना है कि नाबालिग के साथ अपहरण और दुष्कर्म के बाद सुलहनामा न्याय के विपरित है.
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Source: IOCL























