Bihar Caste Census: सुशील मोदी बोले- केंद्र सरकार कर चुकी है तैयारी, अंतिम समय में जातीय जनगणना कराना संभव नहीं
बिहार में जातीय जनगणना कराने का मुद्दा जोर शोर से उठाया जा रहा है. सीएम नीतीश कुमार भी जातीय जनगणना कराने के पक्ष में हैं. इस बाबत 10 सदस्यीय शिष्ठ मंडल के साथ उन्होंने पीएम से मुलाकात की थी.
पटना: साल 2021 में प्रस्तावित जनगणना (Census) जाति के आधार पर नहीं होगी. पूर्व के ही तरह इस बार भी जनगणना कराई जाएगी, जिसकी तैयारी भी पूरी कर ली गई है. ये बात राज्यसभा सांसद और बीजेपी नेता सुशील मोदी (Sushil Modi) ने गुरुवार को पत्रकारों से बातचीत के दौरान कही है. उन्होंने कहा कि केंद्र ने कहा कि राष्ट्रव्यापी जनगणना की तैयारी कर ली गई है और केंद्र के लिए पिछड़े वर्गों की अंतिम समय में जनगणना (Caste Based Census) संभव नहीं है.
राज्य जातीय जनगणना कराने को स्वतंत्र
जातीय जनगणना पर केंद्र के फैसले को बताते हुए उन्होंने ये भी कहा कि अगर कोई राज्य चाहे तो तेलंगाना की तरह जातिगत जनगणना (Caste Based Census) करा सकता है. वहीं, जातीय जनगणना पर को लेकर आरजेडी (RJD) द्वारा केवल एक कॉलम जोड़ने वाले बयान पर उन्होंने निशाना साधते हुए कहा कि ये केवल एक कॉलम जोड़ने की बात नहीं है, जैसे की आरजेडी कहता है.
Centre said that preparations for nationwide census have been made, and last-minute census of backward classes not possible for Centre. However, if a state wants, it can conduct caste census like Telangana. It's not a matter of adding a column, like RJD says: BJP MP Sushil Modi pic.twitter.com/oXgnRXcdNv
— ANI (@ANI) September 30, 2021
मालूम हो कि बिहार में जातीय जनगणना कराने का मुद्दा जोर शोर से उठाया जा रहा है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) भी शुरू से ही जातीय जनगणना (Caste Based Census) कराने के पक्ष में हैं. इस बाबत 10 सदस्यीय शिष्ठ मंडल के साथ उन्होंने 23 अगस्त को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) से मुलाकात की थी.
प्रधानमंत्री से की थी बातचीत
इस दौरान उन्होंने जातीय जनगणना से होने वालों फायदों को रेखांकित करते हुए इस ओर विचार करने के लिए प्रधानमंत्री से गुहार लगाई थी. शिष्ठ मंडल के सदस्यों का भी यही कहना था. हालांकि, बीते दिनों केंद्र सरकार (Central Government) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में एक हलफनामा दायर किया था, जिसमें ये स्पष्ट कहा गया था कि केंद्र जातीय जनगणना कराने के पक्ष में नहीं है. ये सरकार का सोच समझ कर लिया गया फैसला है.
नीतीश कुमार ने दी प्रतिक्रिया
केंद्र सरकार के इस कदम के बाद सूबे के सियासी पारा चढ़ गया है. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा था, " जातीय जनगणना एक जायज मांग है और ये समय की मांग है. यह विकास समर्थक है और नीति निर्माताओं को पिछड़ी जातियों के लिए लक्षित कल्याणकारी नीतियां बनाने में मदद करेगा. जातीय जनगणना होनी चाहिए. हम बिहार में इस मामले को लेकर सर्वदलीय बैठक करेंगे."
हालांकि, तब तक ये स्पष्ट नहीं था कि पूरे देश में जातीय जनगणना कराने पर क्या निर्णय लिया है. लेकिन अब चूंकि सुशील मोदी ने स्पष्ट रूप से कह दिया है कि अंतिम क्षण जातीय जनगणना कराना संभव नहीं है. तो अब ये देखना है कि इसपर मुख्यमंत्री क्या प्रतिक्रिया देते हैं.
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