Bihar News: परकैप्टा इनकम से शिक्षा छोड़ने तक... इन पांच मामलों में बिहार का हाल बेहाल
बिहार की सियासी लड़ाइयां विकास और सामाजिक मुद्दों पर लड़ने के दावे हैं. पक्ष और प्रतिपक्ष के अपने-अपने वादे हैं.इस राजनीति में बिहार की जमीनी स्थिति क्या है, चुनाव के बीच इस पर भी चर्चा हो रही है.

बिहार में विधानसभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी है. राज्य में दो चरणों में मतदान होंगे और 243 सीटों के परिणाम 14 नवंबर को आएंगे. सियासी लड़ाई मुख्यतः भारतीय जनता पार्टी नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी NDA और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस नीत इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस (INDIA) के बीच है.
सियासी लड़ाइयां विकास के और सामाजिक मुद्दों पर लड़ने के दावे हैं. पक्ष और प्रतिपक्ष के अपने-अपने वादे हैं. आरोप-प्रत्यारोप की इस राजनीति में बिहार की जमीनी स्थिति क्या है, चुनाव के बीच इस पर भी चर्चा छिड़ी है.
आइए आपको बिहार की जमीनी हकीकत से रुबरू कराते हैं. इस जमीनी हकीकत से आपको खुद अंदाजा लगेगा कि मानव और समाज के लिए बने तमाम सूचकांकों में बिहार की क्या स्थिति है.
सबसे पहले बात करते हैं राज्य में प्रति व्यक्ति आय की. बिहार में प्रति व्यक्ति आय का औसत 59 हजार 244 रुपये है. वहीं पूरे भारत में प्रति व्यक्ति आय 1 लाख 89 हजार रुपये है. राजधानी पटना में प्रति व्यक्ति आय 2 लाख 15 हजार 49 रुपये है तो वहीं शिवहर में यह 33 हजार 399 रुपये है.
बिहार देश के उन राज्यों में से एक है जहां शहरीकरण की रफ्तार बहुत धीमी है. बीते दो दशक में बिहार केवल 2 फीसदी ज्यादा शहरी हो पाया है. वर्ष 2001 में जब पूरे भारत में शहरीकरण की दर 27.9 फीसदी थी तब बिहार में यह आंकड़ा 10.5 फीसदी था. वहीं वर्ष 2025 में जब भारत में शहरीकरण की दर 35.7 फीसदी थी तब बिहार में 2.1 फीसदी आगे बढ़कर 12.4 फीसदी पर पहुंचा था.
नौकरी और शिक्षा में क्या है स्थिति?
राज्य की अर्थव्यवस्था में फैक्ट्रियों का योगदान बहुत कम है. राज्य में नौकरियों की कमी का आलम ये है कि एक बड़ी आबादी बेहतर नौकरी न मिल पाने की दशा में पलायन का रास्ता चुनती है. अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार बिहार में लेबर फोर्स पार्टिसिपेशन रेट 49 फीसदी है जबकि पूरे भारत में यह दर 55 फीसदी तक है.
बिहार में शिक्षा की भी स्थिति बहुत गंभीर है. राज्य में स्टूडेंट्स की एक बड़ी संख्या है जो कक्षा 6 से 8 तक पढ़ने के बाद नहीं पढती. राज्य में कक्षा 6-8 के दौरान 25.9 फीसदी बच्चे आगे की पढ़ाई नहीं पढ़ते और यही हाल 9 से 12वीं के दौरान भी है. 9वीं से 12वीं तक की पढ़ाई के दौरान 20.9 फीसदी स्टूडेंट्स पढ़ाई छोड़ देते हैं. दोनों ही मामलों में पूरे भारत में यह आंकड़ा क्रमशः 5.2 फीसदी और 10.9 फीसदी है.
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