बिहार: मशरूम को नहीं मिल रहा बाजार, औने-पौने दाम में बेचने को मजबूर किसान
मशरूम को उचित बाजार नहीं मिलने के कारण किसान मशरूम औपे-पौने भाव में बेचने को मजबूर हैं. स्थिति ऐसी है कि यदि इन किसानों को बाजार नहीं उपलब्ध कराया गया, तो मशरूम को फेंकने की नौबत आ जाएगी.

सुपौल: कम लागत में अधिक मुनाफे की चाह ने पिपरा प्रखंड के रामनगर के मशरूम उत्पादक के सामने एक नई मुसीबत खड़ी कर दी है. मशरूम को उचित बाजार नहीं मिलने के कारण किसान मशरूम औपे-पौने भाव में बेचने को मजबूर हैं. स्थिति ऐसी है कि यदि इन किसानों को बाजार नहीं उपलब्ध कराया गया, तो मशरूम को फेंकने की नौबत आ जाएगी.
हालांकि, कृषि विभाग द्वारा मशरूम उपजाने वाले किसानों को बाजार उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया गया है. इधर, मदद की आस में बैठे किसान औने-पौने दामों पर प्रतिदिन मशरूम खपा रहे हैं. फिलहाल उन्हें इस बात की चिंता सताए जा रही है कि यदि बिक्री नहीं हुई तो फिर महाजन या साहूकार का कर्ज कैसे चुका पाएंगे.
मशरूम की खेती करने वाले राजेश की मानें तो उन्हें उनके एक रिश्तेदार ने मशरूम उत्पादन के लिए प्रेरित किया था. इसके लिए उन्होंने सबसे पहले कृषि विभाग के आत्मा से संपर्क कर मशरूम उत्पादन लिए 15 दिनों का प्रशिक्षण लिया. प्रशिक्षण के बाद पिछले वर्ष कम मात्रा में मशरूम लगाया, जिससे उन्हें मुनाफा तो नहीं हुआ परंतु, पूंजी लगभग वापस हो गई. फिर उन्होंने इस वर्ष बड़े पैमाने पर मशरूम उत्पादन करने के लिए चार लेयर वाली झोपड़ी बनाई और उत्पादन शुरू किया.
राजेश बताते हैं कि फिलहाल 40 किलोग्राम मशरूम प्रतिदिन उत्पादन हो रहा है. पहली बार जब कटिंग किया गया तो आसपास के गांवों और बाजारों में खपा दिया गया. परंतु अब ऐसा करना संभव नहीं हो रहा है. इस कारण उनकी मेहनत और पूंजी दोनों बेकार जा रही है. ऐसे में कृषि विभाग से मदद की गुहार लगाई है.
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