बिहार: अंडे हुए महंगे और बजट वही, सरकारी स्कूलों में मिड डे मील पर संकट, शिक्षक परेशान
Bihar Mid-Day Meal: बिहार के सरकारी स्कूलों में मिड डे मील के लिए अंडे महंगे होने से संचालक परेशान हैं. तय कीतम कम होने से शिक्षक आपसी सहयोग से व्यवस्था संभाल रहे हैं.

बिहार में बच्चों को दिए जाने वाले मिड डे मील ने संचालकों को काफी परेशान कर दिया है. दरअसल, मिड डे मिल में शुक्रवार (12 दिसंबर) को बिहार के सभी सरकारी स्कूलों में बच्चों को अंडे दिए जाते हैं. जो बच्चे अंडे नहीं खाते उन्हें संतरा दिया जाता है.
ऐसे में मिड डे मील में स्कूल संचालकों को अंडे खिलाने में काफी दिक्कत आ रही है. ठंड की वजह से अंडों की कीमत में इजाफा हुआ है. एक पीस अंडा तकरीबन 7 से 8 रुपये में मिल रहा है और यही वजह है कि संचालकों को काफी दिक्कत हो रही है.
अंडे के दाम बढ़ने से संचालकों की बढ़ी परेशानी
जानकारी के अनुसार, मिड डे मील के लिए सरकार ने एक अंडे की कीमत पांच रुपये तय की है. ऐसे में 2 से 3 रुपये का अंतर अंडे की कीमत में आया है वो मिड डे मील में संचालकों के लिए चिंता का विषय बन गया है. आज (17 दिसंबर) एबीपी ने इस मामले को लेकर एक स्कूल से ग्राउंड रिपोर्ट किया तो पाया कि संचालक और सहायक शिक्षक इस मामले से परेशान है. खुद के सहयोग से अंडे की पूर्ति मिड डे मील के लिए कर रहे हैं.
आपसी तालमेल से बच्चों के लिए कर रहे अंडे की पूर्ति- शिक्षक
पटना के पुनाई शिक्षक स्थित कन्या बालक मध्य विद्यालय के सहायक शिक्षक ब्रज भूषण पांडेय ने कहा कि दाम तो बढ़े हैं लेकिन हम आपसी तालमेल से बच्चों के लिए अंडे की पूर्ति कर रहे हैं. उन्होंने बताया इस विषय को सरकार तक भी नहीं रख पाए. शुक्रवार को मेनू के हिसाब से मिड डे मील के तहत बच्चों को अंडा दिया जाता है.
स्कूल में संवाददाता ने बच्चों से मिड डे मील के बारे में पूछा तो सभी बच्चों ने मिलने वाले खाने की तारीफ भी की है. बच्चों ने कहा शुक्रवार को एक-एक अंडा दिया जाता है.
मिड डे मील के नाम पर चल रहा लूट का खेल- एजाज अहमद
आरजेडी प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा कि मिड डे मील के नाम पर लूट का खेल हो रहा है. बच्चों को खाने में अंडा तक नहीं मिलता. साथ ही जो चावल बच्चों को खिलाए जाते हैं वह खाने योग्य नहीं हैं. मिड डे मील पर अंडे की दरों पर जदयू प्रवक्ता नवल शर्मा ने कहा कि मिड डे मील सरकार की प्रभावशील योजना है. अंडे की बाजार दर और सरकार के भुगतान दर में जो अंतर हुआ है वह सरकार के संज्ञान में है. बच्चे नोनीहाल है उनके भविष्य की हमें चिंता है.
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