बीजेपी नेता दिनेश लाल यादव बोले- 'तेजस्वी के साथ घूमते हैं अश्लील गानों के उस्ताद'
Bihar Election 2025: निरहुआ ने तेजस्वी यादव और खेसारी लाल पर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि खेसारी बयान बदलते रहते हैं और वो भागने की तैयारी में हैं. बीजेपी धर्म, शिक्षा और रोजगार पर काम कर रही है.

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के बीच बीजेपी नेता और भोजपुरी अभिनेता दिनेश लाल यादव 'निरहुआ' ने राजद नेता तेजस्वी यादव और भोजपुरी गायक खेसारी लाल यादव पर तीखा हमला बोला है. निरहुआ ने कहा कि तेजस्वी यादव को कोई बताने वाला चाहिए कि उनके साथ जो 'अश्लील गीतों के उस्ताद' खेसारी लाल घूमते हैं, वही उनकी छवि बिगाड़ रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि खेसारी हर दिन अपना बयान बदलते रहते हैं और किसी एक बात पर टिकते नहीं है.
निरहुआ ने कहा कि कभी वह कहते हैं कि उन्होंने अश्लील गाने रवि किशन, मनोज तिवारी, निरहुआ और पवन सिंह से सीखे, तो कभी इनकार कर देते हैं कि उन्होंने किसी से कुछ सीखा हो. ऐसे लोग अपनी बातों से पलटने में माहिर हैं. उनके बयानों से साफ है कि वह चुनाव से भागने की तैयारी में हैं.
बीजेपी जनता को दे रही है शिक्षा, रोजगार और सुरक्षा- निरहुआ
बीजेपी नेता और भोजपुरी अभिनेता दिनेश लाल यादव 'निरहुआ' ने आगे कहा कि वे अपने बयान पर आज भी कायम हैं और जहां राम मंदिर था, वहीं सिर्फ राम मंदिर बनना चाहिए था. अयोध्या तो सिर्फ एक झांकी है, अभी काशी और मथुरा बाकी हैं. उन्होंने कहा कि बीजेपी जनता को शिक्षा, रोजगार और सुरक्षा दे रही है, लेकिन साथ ही अपने धर्म और संस्कृति की भी बात कर रही है.
चुनाव हारने के बाद भी मैं आजमगढ़ नहीं छोड़ा- निरहुआ
निरहुआ ने अपने राजनीतिक क्षेत्र आजमगढ़ का जिक्र करते हुए कहा कि चुनाव हारने के बाद भी मैं आजमगढ़ नहीं छोड़ा. मैं आज भी वहां के लोगों के लिए काम कर रहा हूं. उन्होंने तेजस्वी यादव पर तंज कसते हुए कहा कि उन्हें कहो कि जो बोलते हैं उस पर टिकें और छपरा छोड़कर भागे नहीं है.
निरहुआ के बयान से बिहार में बढ़ी राजनीतिक सरगर्मी
निरहुआ के इस बयान ने बिहार की राजनीतिक सरगर्मी को और बढ़ा दिया है. चुनावी माहौल में बीजेपी और राजद के बीच बयानबाजी का दौर तेज होता जा रहा है. एक तरफ बीजेपी नेता हिंदुत्व और विकास के मुद्दे पर जनता को साधने में जुटे हैं, वहीं राजद नेताओं को व्यक्तिगत हमलों का सामना करना पड़ रहा है.
निरहुआ के इस बयान से यह साफ है कि बीजेपी बिहार चुनाव को सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि वैचारिक लड़ाई के रूप में देख रही है. जहां धर्म, विकास और संस्कृति तीनों को चुनावी बहस का केंद्र बनाया जा रहा है.
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