एशेज इतिहास की सबसे बड़ी साझेदारियां , इन मौकों पर बल्लेबाजों ने बदली मैच की दिशा
ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच खेली जाने वाली यह सीरीज सिर्फ ट्रॉफी की लड़ाई नहीं होती, बल्कि यहां हर रन, हर विकेट और हर साझेदारी इतिहास का हिस्सा बन जाती है.

एशेज सीरीज को टेस्ट क्रिकेट की सबसे प्रतिष्ठित और रोमांचक प्रतिद्वंद्विता माना जाता है. ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच खेली जाने वाली यह सीरीज सिर्फ ट्रॉफी की लड़ाई नहीं होती, बल्कि यहां हर रन, हर विकेट और हर साझेदारी इतिहास के पन्नों में दर्ज होती है. एशेज के लंबे इतिहास में कुछ ऐसी विशाल साझेदारियां बनी हैं, जिन्होंने न सिर्फ रिकॉर्ड तोड़े, बल्कि मैच का पूरा रुख ही बदल दिया.
ब्रैडमैन–पोंसफोर्ड की ऐतिहासिक जोड़ी
साल 1934 में द ओवल के मैदान पर सर डॉन ब्रैडमैन और बिल पोंसफोर्ड ने एशेज इतिहास की सबसे बड़ी साझेदारी दर्ज की. दूसरे विकेट के लिए दोनों ने 451 रन जोड़ दिए. यह साझेदारी न सिर्फ एशेज बल्कि टेस्ट क्रिकेट की महानतम साझेदारियों में गिनी जाती है. इंग्लैंड के गेंदबाज इस जोड़ी के सामने पूरी तरह बेबस नजर आए.
सिडनी टेस्ट 1946: ब्रैडमैन और सिड बार्न्स का दबदबा
दूसरे विश्व युद्ध के बाद खेले गए सिडनी टेस्ट में डॉन ब्रैडमैन और सिड बार्न्स ने पांचवें विकेट के लिए 405 रनों की साझेदारी की. यह पारी ऐसे समय आई जब ऑस्ट्रेलिया को संभलने की जरूरत थी. दोनों की समझदारी और धैर्य ने मैच का पूरा रुख बदल दिया था.
लीड्स में फिर चमके ब्रैडमैन–पोंसफोर्ड
1934 की एशेज सीरीज में ब्रैडमैन और पोंसफोर्ड की जोड़ी ने इंग्लैंड को एक बार नहीं, बल्कि दो बार परेशान किया. लीड्स टेस्ट में चौथे विकेट के लिए 388 रनों की साझेदारी कर दोनों ने यह साबित कर दिया कि उस दौर में उनसे बेहतर कोई जोड़ी नहीं थी.
इंग्लैंड के लेलैंड और हटन का कमाल
1938 में द ओवल के मैदान पर इंग्लैंड के मौरिस लेलैंड और लेन हटन ने दूसरे विकेट के लिए 382 रन जोड़कर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जबरदस्त जवाब दिया था. यह साझेदारी इंग्लैंड की सबसे बड़ी एशेज साझेदारियों में शामिल है और क्लासिक टेस्ट बल्लेबाजी की मिसाल मानी जाती है.
गोवर और गूच की यादगार साझेदारी
आधुनिक एशेज इतिहास में डेविड गोवर और ग्राहम गूच की जोड़ी भी खास रही. 1985 में द ओवल टेस्ट के दौरान दोनों ने दूसरे विकेट के लिए 351 रन बनाए और इंग्लैंड को मजबूत स्थिति में पहुंचाया. यह साझेदारी उस सीरीज के निर्णायक पलों में से एक थी.
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